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ग्वालियर से White Tiger को लाया गया मुकुंदपुर, जानें इसे लाना क्यों था जरूरी ?

Maharaja Martand Singh Zoo Dev Safari Mukundpur : विंध्य की पहचान है, सफेद शेर. लेकिन अब इसकी पहचना बचाए रखने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. वन विभाग सफेद शेर की नस्लों को बढ़ाने पर जोर दे रहा है. इसीक्रम में  ग्वालियर से आज ही विशेष टीम दो जोड़ी सांभर के बदले में एक 5 माह के सफेद बाघ को लेकर रीवा पहुंची है.

ग्वालियर से White Tiger को लाया गया मुकुंदपुर, जानें इसे लाना क्यों था जरूरी ?
ग्वालियर जू से लाए गए बाघ, रीवा में अब बाघों की संख्या हुई दस.

White Tiger Safari Mukundpur :  दुनिया की एकमात्र सफेद शेरों की सफारी, महाराजा मार्तण्ड सिंह जू देव सफारी मुकुंदपुर में, अब चार सफेद बाघ नजर आएंगे. ग्वालियर से आज ही विशेष टीम दो जोड़ी सांभर के बदले में एक 5 माह के सफेद बाघ को लेकर रीवा पहुंची है. फिलहाल लाए गए सफेद बाघ को क्वॉरेंटाइन करके रखा गया. जैसे ही वह रीवा के वातावरण में रम जाएगा. उसे खुली सफारी में छोड़ दिया जाएगा. तब उसका दर्शक दीदार कर सकेंगे. पूरी दुनिया में आज जितने भी सफेद बाघ हैं, वह सब रीवा में ही पकड़े गए. पहले सफेद शेर मोहन के वंशज हैं. रीवा में एक बार फिर से सफेद शेरों की नस्ल बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. जिसके चलते ग्वालियर से सफेद बाघ को लाया गया है. 

रघु, टीपू, और सोनम पहले से थे मौजूद

किसी जमाने में पूरी दुनिया को सफेद शेर से परिचित कराने वाला रीवा, आज स्वयं सफेद बाघों के लिए तरस रहा है. रीवा में 1953 में पकड़े गए, पहले सफेद भाग मोहन की याद में, जिसे पकड़ा था, उस समय के तत्कालीन महाराजा मार्तंड सिंह ने, उनकी याद में रीवा से 15 किलोमीटर दूर बनाई गई, महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव  व्हाइट टाइगर्स सफारी बनाकर एक बार फिर से सफेद बाघों की नस्ल बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. जिसके चलते यहां पर सफेद बाघों को लाने का लगातार प्रयास जारी है. फिलहाल मुकुंदपुर की मार्तंड सिंह जूदेव सफारी में पहले से तीन बाघ मौजूद थे, जिन्हें नाम दिया गया है रघु, टीपू, और सोनम.

जानें क्या बोले वन विभाग के अधिकारी

अब 5 माह का एक नन्हा शावक भी इसमें शामिल हो गया. वन विभाग के आला अफसर कहते हैं, हमें सफेद बाघों की वंश वृद्धि करनी है. इसके चलते हम जहां से भी हमें मिल रहा है, सफेद बाघ हम लाने का प्रयास कर रहे हैं. और इस सिलसिले को आगे भी जारी रखेंगे. कोशिश करेंगे यहां पर सफेद बाघों की नस्ल को एक बार फिर से तैयार किया जाए.

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पांच माह का है ग्वालियर से लाया गया सफेद बाघ

पूरे मामले को लेकर हमने सीसीएफ रीवा राजेश राय से बात की, उनका कहना था, हमारी टीम गांधी प्राणी उद्यान ग्वालियर गई थी, सांभर के जोड़े को लेकर बदले में हम पांच माह का सफेद बाघ लेकर आए हैं. अब हमारे पास सफारी में इस समय 10 बाघ मौजूद है. जिसमें छह पीले रंग के हैं, और चार सफेद रंग के.

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