
Traditional agriculture started in Baloda Bazar: छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार में वनों की हरियाली, पहाड़ियों की ठंडी हवा और चहकते पक्षियों की आवाजों के बीच अब पर्यटक न केवल प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकेंगे, बल्कि खेतों में पारंपरिक धान, कोदो और मिलेट्स की खुशबू भी महसूस कर सकेंगे. बलौदा बाजार के देवहिल नेचर रिजॉर्ट में वन विभाग ने इको टूरिज्म को परंपरागत कृषि (Traditional Agriculture) से जोड़ने की अनोखी शुरुआत की है, जहां पर्यटक खेती की तकनीक देख सकेंगे और किसानों द्वारा उगाए गए जैविक अनाज को खरीद भी सकेंगे. इस पहल का मकसद पर्यटकों को प्रकृति के करीब लाने के साथ किसानों की आय बढ़ाना और गांव में रोजगार के अवसर तैयार करना है.
बलौदा बाजार में इको टूरिज्म को परंपरागत कृषि से जोड़ने की अनोखी पहल
वन विभाग द्वारा कसडोल ब्लॉक के वनांचल ग्राम अचानकपुर में इको टूरिज्म के साथ कृषि पर्यटन को जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की गई है. इस पहल के अंतर्गत अचानकपुर स्थित देवहिल नेचर रिसॉर्ट में पर्यटकों के आगमन को देखते हुए किसानों को पारंपरिक मिलेट्स और सुगंधित धान जैसे कोदो, विष्णुभोग, दुबराज और देसी अरहर की खेती के लिए प्रेरित किया गया है, जिससे न केवल पर्यावरण संरक्षण होगा बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.
पारंपरिक अनाजों की खेती कराई जा रही
वनमण्डलाधिकारी गणवीर धम्मशील ने बताया कि पर्यटक यहां बड़ी संख्या में आते हैं, उनके लिए यहां किसानों को इको टूरिज्म के साथ जोड़ते हुए पारंपरिक अनाजों की खेती कराई जा रही है, ताकि टूरिस्ट प्रकृति के बीच रहकर पारंपरिक कृषि पद्धतियों को देख सकें और किसानों द्वारा उगाए गए जैविक अनाज को खरीद भी सकें. इससे किसानों की आय बढ़ेगी. साथ ही पर्यटकों को स्वास्थ्यवर्धक जैविक उत्पाद मिलेंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था सशक्त होगी.
अब जैविक अनाज खरीद सकेंगे पर्यटक
वन विभाग के मार्गदर्शन में एसीएफ प्रशिक्षु गजेन्द्र वर्मा, परिक्षेत्र अधिकारी संतोष कुमार पैकरा और बीएफओ योगेश सोनवानी ने संयुक्त वन प्रबंधन समिति के माध्यम से स्थानीय कृषकों को जैविक खेती की ओर प्रेरित किया है. ग्रामीणों को प्रशिक्षण देकर रासायन मुक्त खेती करने, जैविक खाद का उपयोग और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के तरीके सिखाए गए हैं. इस पहल का उद्देश्य न केवल वन संरक्षण को बढ़ावा देना है, बल्कि स्थानीय लोगों की आजीविका और पोषण सुरक्षा भी सुनिश्चित करना है.
अचानकपुर के कृषक रामसिंह बरिहा, पानसिंह बरिहा, फूलसिंह बरिहा और रामायण बरिहा ने विष्णुभोग, दुबराज, कोदो और देसी अरहर की जैविक पद्धति से बुवाई प्रारंभ कर दी है. किसानों ने इस पहल को उत्साहपूर्वक अपनाते हुए पारंपरिक खेती को पुनर्जीवित करने और जैविक उत्पादों की आपूर्ति कर पर्यावरण संरक्षण में सहयोग देने का संकल्प लिया है. इन उत्पादों का उपयोग देवहिल नेचर रिसॉर्ट में भी किया जाएगा, जिससे पर्यटन को नया स्वरूप मिलेगा और क्षेत्र में कृषि पर्यटन को नई पहचान मिलेगी.