विज्ञापन
Story ProgressBack

Dhar Bhojshala: क्या है 'धार भोजशाला' का इतिहास? क्या काशी की ज्ञानवापी जैसा ही है मामला?

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सोमवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को निर्देश दिया कि वह धार जिले के विवादास्पद भोजशाला परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करे. अब खबर है कि पुरातत्व विभाग के 5 वरिष्ठ अफसर इसका सर्वे करेंगे और 6 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट कोर्ट में जमा कर देंगे. सर्वे के रिपोर्ट से पता चलेगा कि भोजशाला पूजा स्थल है या इबादतगाह? इन सबके बीच ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर भोजशाला विवाद क्या है

Read Time: 4 min
Dhar Bhojshala: क्या है 'धार भोजशाला' का इतिहास? क्या काशी की ज्ञानवापी जैसा ही है मामला?

Bhojshala ASI Survey: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सोमवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को निर्देश दिया कि वह धार जिले के विवादास्पद भोजशाला परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करे. अदालत ने ASI को भोजशाला के 50 मीटर के पूरे इलाके का वैज्ञानिक सर्वे करने का निर्देश दिया है. अब खबर है कि पुरातत्व विभाग के 5 वरिष्ठ अफसर इसका सर्वे करेंगे और 6 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट कोर्ट में जमा कर देंगे. सर्वे के रिपोर्ट से पता चलेगा कि भोजशाला पूजा स्थल है या इबादतगाह? इन सबके बीच ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर भोजशाला विवाद क्या है और क्यों इस जगह को एमपी का अयोध्या-काशी भी कहा जाता है. इसके साथ ये भी जान लेते हैं कि जिस याचिका पर ये फैसला आया उसमें क्या है?

Latest and Breaking News on NDTV

दरअसल धार जिले में एक भव्य भवन का निर्माण परमार वंश के राजा भोज ने साल 1034 में कराया था. 11 शताब्दी में बने इस भवन का शुरू में इस्तेमाल एक महाविद्यालय के तौर पर हुआ था. कहा जाता है कि राजा भोज मां सरस्वती के बड़े उपासक थे. इसलिए उन्होंने इस महाविद्यालय का निर्माण करवाया था. यह महाविद्यालय बाद में 'भोजशाला' के नाम से जाना गया, जिस पर हिंदू धर्म के लोग आस्था रखते हैं. निर्माण के बाद दो शताब्दी तक भोजशाला यूं ही रही. बाद में कथित तौर पर 1305 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने इसे ध्वस्त कर दिया था. फिर 1401 ई. में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में एक मस्जिद बनवाई. इसके बाद महमूद शाह खिलजी ने 1514 ई. में भोजशाला के एक अलग हिस्से में एक और मस्जिद बनवाई. इसके बाद अंग्रेजों के शासनकाल में साल 1875 में जब इस स्थान की खुदाई की गई तो यहां सरस्वती की मूर्ति निकली. जिसे बाद में लंदन भेज दिया गया जो अब भी वहां के म्यूजियम में रखी हुई है. 

Latest and Breaking News on NDTV

भोजशाला मामले में ताजा विवाद की शुरुआत 1995 में हुई जब हिंदुओं ने यहां पूजा की अनुमति मांगी. जिसके बाद प्रशासन ने हिंदुओं का पूजा करने की इजाजत दी साथ ही मुसलमानों को शुक्रवार को नमाज पढ़ने की भी अनुमति मिली, हालांकि 1997 में विवाद एक बार फिर से बढ़ गया. जिसके बाद 12 मई 1997 को यहां आम नागरिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया. हिंदुओं को केवल वसंत पंचमी पर पूजा की अनुमति मिली और मुसलमानों को शुक्रवार को एक से 3 बजे के बीच नमाज पढ़ने की अनुमति. इसके बाद साल 2003 में फिर से नियमित पूजा की अनुमति मिली और पर्यटकों के लिए भी भोजशाला को खोल दिया गया. 
बाद में हिंदू फ्रंट फार जस्टिस के बैनर तले हिंदू पक्ष ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर हिंदुओं का यहां पूजा करने का पूरा अधिकार देने की मांग की. इस दौरान एडवोकेट हरिशंकर जैन और विष्णुशंकर जैन ने मामले की पैरवी की. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य शासन और केन्द्र सरकार और ASI से भी जवाब मांगा. सुनवाई के दौरान ASI ने कहा कि साल 1902-03 में भोजशाला का सर्वे हुआ था और अब नए सिरे से इसकी जरूरत नहीं है. मुस्लिम पक्ष ने भी  सर्वे की आवश्यकता को नकारते हुए कहा कि उसी सर्वे के अधार पर उनके समुदाय को नमाज का अधिकार मिला था. इन सबके बावजूद हिंदू पक्ष अपनी मांग पर अड़ा रहा. जिसके बाद सोमवार यानी 11 मार्च को अदालत ने ज्ञानवापी की तर्ज पर धार की भोजशाला में सर्वे का आदेश जारी किया. 

ये भी पढ़ें: Dhar Bhojshala Survey: ज्ञानवापी के बाद मध्य प्रदेश की धार भोजशाला का होगा ASI सर्वे, इंदौर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
NDTV Madhya Pradesh Chhattisgarh
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Close