
बड़वानी में गर्मी की शुरुआत होते ही जल संकट गहरा गया है. शहरों और गांवों में ट्यूबवेल और अन्य व्यवस्थाएं की जाती हैं.... लेकिन जंगली जानवरों के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं है. जंगलों में प्राकृतिक जल स्रोत सूखने लगे हैं, जिससे प्यासे जानवर रिहायशी इलाकों की तरफ आने लगे हैं. इससे मवेशियों पर हमले भी हो रहे हैं. आपको बता दें कि बड़वानी से करीब 7 किलोमीटर दूर 52 गजा सिद्ध क्षेत्र के जंगलों में गर्मियों में पानी की भारी कमी हो जाती है. ये इलाका सतपुड़ा की पहाड़ियों में बसा है. बारिश के बाद यहां के नदी-नाले और छोटे पोखर पानी से भर जाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है... ये सभी स्रोत सूखने लगते हैं.
ट्रस्ट अपने स्तर पर कर रहा प्रयास
52 गजा ट्रस्ट प्रबंधक इंद्रजीत सिंह मंडलोई ने बताया कि ट्रस्ट के माध्यम से कुछ जगहों पर होज (पानी के छोटे कुंड) बनाए गए हैं. लेकिन पहाड़ी इलाका होने के कारण वहां तक पानी पहुंचाना चुनौती भरा है. गर्मी में पानी की किल्लत ज्यादा हो जाती है, इसलिए बड़वानी से टैंकर बुलवाकर जलापूर्ति की जाती है.
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जंगली जानवर रिहायशी इलाकों की ओर आने लगे
ट्रस्ट की तरफ से भेजे गए पानी का इस्तेमाल आसपास के गांवों के लोग भी करने लगते हैं. इससे जानवरों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता. पानी की तलाश में जंगली जानवर अब गांवों और शहरों की ओर बढ़ रहे हैं. कई बार ये मवेशियों पर हमला कर देते हैं. अगर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है. वन्यजीवों के लिए जल संकट बड़ा खतरा बन सकता है.
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