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Viksit Krishi Sankalp Abhiyan: वैज्ञानिकों का किसानों से संवाद! शिवराज सिंह ने बताया क्यों खास है ये अभियान

Viksit Krishi Sankalp Abhiyan: यह अभियान 29 मई से 12 जून, 2025 तक 700 से अधिक जिलों में आयोजित किया जाएगा. इस अभियान में 731 केवीके, 113 आईसीएआर संस्थान, राज्य स्तरीय विभाग तथा कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन के अधिकारी तथा नवोन्मेषी किसान शामिल होंगे.

Viksit Krishi Sankalp Abhiyan: वैज्ञानिकों का किसानों से संवाद! शिवराज सिंह ने बताया क्यों खास है ये अभियान
Viksit Krishi Sankalp Abhiyan: विकसित कृषि संकल्प अभियान

Viksit Krishi Sankalp Abhiyan: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ओडिशा के पुरी से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान' का शुभारंभ करेंगे. शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि "लैब टू लैंड जोड़ने का विकसित कृषि संकल्प अभियान 29 मई से शुरू हो रहा है. हमारे 16 हजार वैज्ञानिकों की टीमें गांव-गांव जाएंगी और किसानों से संवाद करेगी. हम अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग फसलों पर काम कर रहे हैं, किसानों के बीच जाकर उनकी समस्याएं समझने और उनके समाधान की कोशिश लगातार जारी है." कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा शुरू की गई यह ऐतिहासिक पहल, वैज्ञानिक नवाचार और जमीनी स्तर पर भागीदारी के माध्यम से भारतीय कृषि को बदलने तथा देश के खाद्य भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक ठोस कदम है.

क्यों खास है ये अभियान?

15 दिवसीय अभियान के दौरान शिवराज सिंह चौहान लगभग 20 राज्यों की यात्रा करेंगे. इस मिशन को साकार करने में राज्य सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी और सभी राज्यों से सामूहिक स्वामित्व और समर्पण के माध्यम से इस अभियान को सफल बनाने की अपेक्षा जताई गई है.

इस अभियान में दो-तरफा संचार दृष्टिकोण अपनाया जाएगा, एक तरफ वैज्ञानिक किसानों के साथ अनुसंधान और तकनीकी जानकारी साझा करेंगे, वहीं दूसरी तरफ वे किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जानकारी जुटाएंगे. ये निष्कर्ष भविष्य के अनुसंधान प्रयासों को दिशा देने तथा व्यावहारिक, स्थान-विशिष्ट समाधान प्रदान करने में मदद करेंगे.

शिवराज सिंह ने कहा कि "एक व्यापक अभियान शुरू हो रहा है. ‘लैब टू लैंड' को जोड़ने के लिए कल से हमारे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिक अभियान पर निकलेंगे."

  • 16 हजार वैज्ञानिकों की 4-4 टीमें बनी हैं, जो गांव-गांव जाकर किसानों से संस संप संवाद करेंगी.
  • 2,170 टीमें बनी हैं, संपर्क करेंगी. एक दिन में एक टीम 2 गांवों में जाएंगी.
  • यह अभियान 15 दिन तक चलेगा और किसानों के बीच बैठकर सीधा संवाद होगा.
क्षेत्र की जलवायु, पानी, मिट्टी के पोषक तत्व व अन्य बातों का ध्यान रखते हुए उसके आधार पर कौन सी फसल बोनी चाहिए, कौन सी वैराइटी होनी चाहिए, खाद का कितना संतुलित उपयोग करना चाहिए,उसके साथ-साथ प्राकृतिक खेती और दलहन और तिलहन की खेती के संबंध में किसानों से चर्चा की जाएगी. वैज्ञानिक,किसानों की व्यावहारिक समस्याओं के समाधान सीधे संवाद के जरिए सुलझाएंगे. खेत की आवश्यकता के अनुसार की आगे शोध की दिशा भी तय होगी.

शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर से सभी लोगों से इस अभियान से जुड़ने और देशव्यापी स्तर पर इसे कारगर व सफल बनाने का आह्वान किया. यह अभियान 29 मई से 12 जून, 2025 तक 700 से अधिक जिलों में आयोजित किया जाएगा. इस अभियान में 731 केवीके, 113 आईसीएआर संस्थान, राज्य स्तरीय विभाग तथा कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन के अधिकारी तथा नवोन्मेषी किसान शामिल होंगे. इस अभियान के जरिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प की दिशा में एक मजबूत अध्याय जोड़ने का प्रयास किया गया है.

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