Madhya Pradesh Candidate list 2023: कांग्रेस (Congress) ने मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. पहली लिस्ट में मध्य प्रदेश (MP) में 144 और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में 30 नामों का ऐलान हो गया है.
कांग्रेस की सूची जारी होने पर BJP प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने तीखा हमला बोला है. छिंदवाड़ा जिले में कमलनाथ को छोड़ किसी भी वर्तमान विधायक का टिकट फाइनल नहीं होने पर वीडी शर्मा ने 'एक्स' (पूर्व में ट्वटिर) पर लिखा, ''जनता के बाद अब कांग्रेस हाईकामान को भी कमलनाथ पर विश्वास नहीं रहा, यही कारण है छिंदवाड़ा जिले में कमलनाथ को छोड़ किसी भी वर्तमान विधायक की टिकट फाइनल नहीं हुई. कमलनाथ और कांग्रेस के खिलाफ जन आक्रोश है ये कांग्रेस हाईकमान को भी पता है.''
जनता के बाद अब कांग्रेस हाईकामान को भी कमलनाथ पर विश्वास नहीं रहा, यही कारण है छिंदवाड़ा जिले में कमलनाथ को छोड़ किसी भी वर्तमान विधायक की टिकट फाइनल नहीं हुई।
— VD Sharma (@vdsharmabjp) October 15, 2023
कमलनाथ और कांग्रेस के खिलाफ जनआक्रोश है ये कांग्रेस हाईकमान को भी पता है।
एक अन्य पोस्ट में शर्मा ने लिखा, ''कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची में सबसे ऊपर ये चार, परिवारवाद, महिला अत्याचार, अपराध और भ्रष्टाचार."
कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची में सबसे ऊपर ये चार,
— VD Sharma (@vdsharmabjp) October 15, 2023
परिवारवाद, महिला अत्याचार, अपराध और भ्रष्टाचार।
मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी अब तक 136 सीट पर अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर चुकी है. उसने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते तथा पार्टी के कई अन्य सांसदों को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदिशा जिले के बुधनी से किस्मत आजमाएंगे.
मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा के आगामी चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान होगा, जबकि मतों की गिनती 3 दिसंबर को की जाएगी. साल 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 230 सदस्यीय विधानसभा में 114 सीटें जीती थीं और गठबंधन सरकार बनाई थी. बीजेपी को इस चुनाव में 109 सीटें हासिल हुई थीं.
हालांकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों के एक गुट के विद्रोह के चलते कमलनाथ अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और मार्च 2020 में उनके नेतृत्व वाली सरकार गिर गई. सिंधिया गुट के विधायकों के समर्थन से बाद में भाजपा सत्ता में लौटी और शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बने.
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