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कांग्रेस का झूठ सड़क से सदन तक पहुंचा, मनरेगा मील का पत्थर साबित हो रही..बोले- शिवराज

MNREGA News : केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- देश की तरक्की में मनरेगा मील का पत्थर साबित हो रही है. साथ ही इसे देश की सबसे बड़ी DBT व पारदर्शी योजना बताया. कांग्रेस के झूठ पर भी पलटवार किया.

कांग्रेस का झूठ सड़क से सदन तक पहुंचा, मनरेगा मील का पत्थर साबित हो रही..बोले- शिवराज

Union Minister Shivraj Singh Chouhan : सदन में कांग्रेस के नेताओं द्वारा महत्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के संबंध में भ्रामक बयान देने पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस का झूठ-अब सड़क से सदन तक पहुंच गया है. कांग्रेस के लिए अब झूठ ही ऑक्सीजन बन चुका है. लोकतंत्र के इस पवित्र मंदिर में भी वे आधे-अधूरे तथ्यों के साथ भ्रामक बयान देने से नहीं हिचकिचाते. अभी सदन में कांग्रेस के नेताओं ने मनरेगा को लेकर गलत दावे किए, जबकि सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ‘गरीबी मुक्त गांव' हमारा संकल्प है और मनरेगा इसमें मील का पत्थर साबित हो रही है.

'चालू वित्त वर्ष का 86,000 करोड़ रु. का बजट आवंटन'

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पिछले एक दशक में पीएम मोदी के नेतृत्व में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) का प्रभावी क्रियान्वयन हुआ है. बजट आवंटन में भी वृद्धि हुई है.वित्तीय वर्ष 2006-07 के लिए बजट आवंटन जहां 11,300 करोड़ रुपये था. वहीं,  2013-14 में बढ़कर 33,000 करोड़ हो गया और पिछले 10 वर्षों में इसमें लगातार वृद्धि हुई है. चालू वित्त वर्ष का 86,000 करोड़ रु. का आवंटन बजट अनुमान चरण में अब तक का सबसे अधिक बजटीय आवंटन है.

'रिकॉर्ड 1,11,000 करोड़ रुपये खर्च किए'

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान परेशान लोगों की आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2020-21 में इस योजना के तहत रिकॉर्ड 1,11,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. यह योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इसी प्रकार, वित्त वर्ष 2006-07 से वित्त वर्ष 2013-14 के बीच सृजित कुल व्यक्ति दिवस 1660 करोड़ थे, जबकि वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2024-25 के बीच सृजित कुल व्यक्ति दिवस 3029 करोड़ रहे हैं, जो कि 2014 से पहले के दशक की तुलना में 82% अधिक है.

इस प्रक्रिया में, 2014-15 से 2024-25 तक के पिछले वर्षों में, केंद्र सरकार ने 7,81,302 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप 8.07 करोड़ ग्रामीण परिसंपत्तियों का निर्माण हुआ है. जबकि 2006-07 से 2013-14 तक के पिछले दशक में केवल 2,13,220 करोड़ रुपये जारी किए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप 1.53 करोड़ ग्रामीण परिसंपत्तियों का निर्माण हुआ था. 

'ग्रामीण परिसंपत्तियों में 526% से अधिक की वृद्धि'

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में, सरकार के बढ़ते प्रयासों से ग्रामीण परिसंपत्तियों के निर्माण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो कि जियोटैग की गई और बेहतर गुणवत्ता वाली ग्रामीण परिसंपत्तियों में 526% से अधिक की वृद्धि से स्पष्ट है. इसके अलावा, महिला सशक्तिकरण पर निरंतर ध्यान देने के कारण, महिलाओं की भागीदारी वित्त वर्ष 2013-14 में 48% से बढ़कर चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 58% से अधिक हो गई है. 

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने बताया कि महात्मा गांधी नरेगा के तहत 266 कार्य अनुमत हैं, जिनमें से 150 कार्य कृषि से संबंधित हैं, 58 प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) से संबंधित हैं और 58 कार्य ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर के हैं. योजना के तहत विभिन्न जल संबंधी कार्य जैसे चेक डैम, खेत तालाब, सामुदायिक तालाब, सिंचाई के खुले कुएं आदि शुरू किए गए हैं. जल संरक्षण पर सरकार के निरंतर जोर ने उल्लेखनीय परिणाम दिए.

'68,000 से अधिक अमृत सरोवर बनाए गए'

एक और बड़ी सफलता मिशन अमृत सरोवर के रूप में मिली है, जिसके कारण पहले चरण में देश में 68,000 से अधिक अमृत सरोवर बनाए गए हैं. वर्तमान में, मिशन अमृत सरोवर के दूसरे चरण को सामुदायिक भागीदारी, जनभागीदारी, के साथ जल उपलब्धता पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करते हुए शुरू किया गया है.

MGNREGA देश की सबसे बड़ी DBT योजना बन गई- शिवराज 

चौहान ने बताया कि सरकार महात्मा गांधी नरेगा में पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार के लिए लगातार काम कर रही है. चालू दशक में राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड प्रबंधन प्रणाली (NeFMS) और आधार आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) को अपनाने से MGNREGA देश की सबसे बड़ी DBT योजना बन गई है. इससे पहले ऐसे तंत्रों की अनुपस्थिति में, लीकेज की संभावना थी क्योंकि 2013 में ई-एफएमएस के माध्यम से मजदूरी का भुगतान केवल 37% था. इसी तरह, जीआईएस आधारित योजना, परिसंपत्तियों की जियो-टैगिंग, अनुमान गणना के लिए सिक्योर आदि जैसी अन्य अग्रणी डिजिटल पहलों ने इस योजना को देश में सबसे पारदर्शी तरीके से संचालित योजनाओं में से एक बना दिया.

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एक मजबूत निगरानी ढांचा तैयार हुआ

यह एक व्यापक एमआईएस सिस्टम नरेगा सॉफ्ट से स्पष्ट है जिसमें व्यक्ति दिवस सृजन और परिसंपत्तियों के बारे में सभी डेटा सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हैं. जनमनरेगा मोबाइल ऐप के साथ-साथ इस कार्यक्रम की नागरिक निगरानी में काफी वृद्धि हुई है, जो 2014 से पहले अनुपस्थित था. इसके अलावा, सामाजिक लेखा परीक्षा, क्षेत्र अधिकारी ऐप के माध्यम से निरीक्षण और अन्य हस्तक्षेपों पर अधिक ध्यान देने के परिणामस्वरूप एक मजबूत निगरानी ढांचा तैयार हुआ है जो 2014 से पहले अनुपस्थित था.

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