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मध्यप्रदेश में यहां है 'अपराधियों का स्कूल' : 2-3 लाख रु. फीस दीजिए और बनिए चोरी-लूट में ग्रेजुएट

भोपाल से करीब 117 किलोमीटर दूर स्थित तीन गांवों—कड़िया, गुलखेड़ी, और हुलखेड़ी—को अब पूरे देश में 'अपराधियों की नर्सरी' के रूप में पहचाना जाने लगा है. ये गांव मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में स्थित हैं. आलम ये है कि यहां कि पुलिस भी इस इलाके में जाने से हिचकिचाती है. इन गांवों में बच्चों को नर्सरी की उम्र में ही चोरी,लूट और डकैती के गुर सिखाए जाते हैं.

मध्यप्रदेश में यहां है 'अपराधियों का स्कूल' : 2-3 लाख रु. फीस दीजिए और बनिए चोरी-लूट में ग्रेजुएट

Madhya Pradesh Crime News: भोपाल से करीब 117 किलोमीटर दूर स्थित तीन गांवों—कड़िया, गुलखेड़ी, और हुलखेड़ी—को अब पूरे देश में 'अपराधियों की नर्सरी' (Nursery of Criminals) के रूप में पहचाना जाने लगा है. ये गांव मध्यप्रदेश के राजगढ़ (Rajgarh News) जिले में स्थित हैं. आलम ये है कि यहां कि पुलिस भी इस इलाके में जाने से हिचकिचाती है. इन गांवों में बच्चों को नर्सरी की उम्र में ही चोरी,लूट और डकैती के गुर सिखाए जाते हैं. दरअसल ये गांव हाल ही में चर्चा में तब आए जब पिछले दिनों राजस्थान (Rajasthan News) में हुई लाखों की चोरी के मामले में वहां की पुलिस ने यहां से अपराधियों के ग्रुप को गिरफ्तार किया. जिसके बाद ग्राउंड रिपोर्ट के लिए NDTV के रिपोर्टर अजय शर्मा मौके पर पहुंचे तो चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं. 

अपराध की शुरुआत

इन गांवों में बच्चों को 12-13 साल की उम्र में ही अपराध की शिक्षा देने के लिए भेज दिया जाता है. माता-पिता खुद सरगना से मिलकर यह तय करते हैं कि कौन उनकी संतान को बेहतर प्रशिक्षण दे सकता है. इस "शिक्षा" के लिए माता-पिता 2-3 लाख रुपये फीस चुकाते हैं. यहां बच्चों को जेब काटने, भीड़ में से बैग उठाने,तेजी से भागने, पुलिस से बचने, और पिटाई सहन करने के गुर सिखाए जाते हैं. एक साल के लिए बच्चे को गैंग में काम पर रखा जाता है और इसके बदले सरगना उसके माता-पिता को सालाना 3-5 लाख रुपये का भुगतान करता है.

इन अपराधियों के गांव में पहुंचने के पहले नदी पड़ती है. कई बार जब पुलिस यहां पहुंचती है तो एक तरफ से अपराधी फायर करते हैं तो दूसरी तरफ से पुलिस

इन अपराधियों के गांव में पहुंचने के पहले नदी पड़ती है. कई बार जब पुलिस यहां पहुंचती है तो एक तरफ से अपराधी फायर करते हैं तो दूसरी तरफ से पुलिस

करोड़ों के गहने चुरा चुके है यहां के गैंग 

देशभर के कई राज्यों में इन गांवों के बच्चों द्वारा अंजाम दी गई चोरी की घटनाएं सुर्खियों में आई हैं. दिसंबर 2023 में दिल्ली के एक शादी समारोह में 22 साल के यश सिसोदिया ने गहनों से भरा बैग चुराया और फरार हो गया। यश पर देश के अलग-अलग राज्यों में 18 मामले दर्ज हैं। मार्च 2024 में गुड़गांव में एक शादी में 24 साल के रविंद्र सिसोदिया ने भी इसी तरह से गहनों का बैग उड़ाया। अगस्त 2024 में जयपुर के हयात होटल में एक डेस्टिनेशन वेडिंग के दौरान नाबालिग चोर ने 1.50 करोड़ रुपये के गहनों से भरा बैग चुरा लिया।

अपराधी यश सिसोदिया  दिल्ली के शादी समारोह में दूल्हा-दुल्हन के माता-पिता के ठीक पीछे बैठा दिख रहा है. यहां से यश ने गहने चुराए. उस पर देश के अलग-अलग थानों में 18 मामले दर्ज हैं.

अपराधी यश सिसोदिया दिल्ली के शादी समारोह में दूल्हा-दुल्हन के माता-पिता के ठीक पीछे बैठा दिख रहा है. यहां से यश ने गहने चुराए. उस पर देश के अलग-अलग थानों में 18 मामले दर्ज हैं.

गांव की महिलाओं भी हैं शातिर

इन गांवों की स्थिति ऐसी है कि वहां की महिलाएं किसी भी बाहरी व्यक्ति को देखते ही खुद कम सुनने का बहाना करने लगती हैं। अगर कोई अंजान व्यक्ति गांव में प्रवेश करता है, तो गांववाले तुरंत चौकन्ने हो जाते हैं और कैमरा या मोबाइल कैमरा देखते ही सतर्क हो जाते हैं और अक्सर ऐसे लोगों को विरोध का सामना करना पड़ता है. 

बच्चों को किराए पर लेते हैं, 20 लाख तक जाती है बोली

राजगढ़ जिले के पचोर तहसील की इन गांवों में अपराध की इस पाठशाला के कारण, देशभर की पुलिस इन गांवों की ओर रुख करती है.

बोड़ा थाने के इंस्पेक्टर रामकुमार भगत के अनुसार, इन गांवों में 300 से अधिक बच्चे अलग-अलग राज्यों और शहरों में शादी समारोहों में चोरी की वारदातों को अंजाम देते हैं. ये गैंग बड़ी शातिर तरीके से वारदात को अंजाम देते हैं, जैसे पहले रेकी करना और चकमा देने की नई तरकीबें अपनाना और फिर चोरी करना.

गांव के अमीर लोग गरीब बच्चों को 1-2 साल के लिए किराये पर भी लेते हैं, इसके लिए बोली लगाई जाती है, जो 20 लाख रुपये तक पहुँच जाती है. ट्रेनिंग के बाद जब बच्चे पांच-छह गुना कमाई करके दे देते हैं, तो उन्हें आजाद कर दिया जाता है। इन गांवों में हजारों लोग रहते हैं, और 2000 से ज्यादा लोगों पर देशभर के दर्जनों थानों में 8000 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं. ये बच्चे कम पढ़े-लिखे और गरीब परिवारों से आते हैं, लेकिन हाई प्रोफाइल शादियों में शामिल होने के लिए इन्हें अमीर बच्चों की तरह दिखने और बोलने की ट्रेनिंग दी जाती है. जयदीप प्रसाद, एडीजी, लॉ एंड ऑर्डर, बताते हैं कि ये अपराधी इतने शातिर होते हैं कि बगैर जौहरी के गहनों की परख कर लेते हैं. इनका मुख्य पेशा बच्चों से चोरी कराना, जुआ खेलना, और शराब बेचना है. मध्यप्रदेश के ये तीन गांव आज अपराध की पाठशाला बन गए हैं, जहां से देशभर में चोरी, लूट और डकैती के लिए अपराधी तैयार होते हैं. सवाल यह उठता है कि सरकार और प्रशासन इस बढ़ते अपराध को रोकने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं. 

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