Madhya Pradesh Crime News: क्या आप जानते हैं भारत का मोस्ट वांटेड दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) जो दशकों से परदेश में हैं उसकी बेटी माहरूख के निकाह का ब्राइडल गाउन मध्यप्रदेश के शिवपुरी (Shivpuri News) से गया था...उसे बनाने वाला दर्जी इस एक कपड़े से करोड़पति बन गया और उसने इंदौर में हाई प्रोफाइल किडनैपिंग (Indore Kidnapping) का ऐसा कांड किया जिसकी चर्चा करीब दो दशकों से हो रही है...सवाल और भी हैं. मसलन- तीन-तीन बार दाऊद के कत्ल की साजिश रचने वाला विकी मल्होत्रा (Vicky Malhotra) कौन है...मध्यप्रदेश से सिमी (SIMI Organization) का सफाया कैसे हुआ?...दरअसल अगर आप इन बड़े सवालों के जवाब एक जगह पर जानना चाहते हैं तो उसका पता है "शैकल द स्टॉर्म" नाम की किताब. इस नई किताब को लिखा है सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने. किताब के बारे में उनसे बात की हमारे स्थानीय संपादक अनुराग द्वारी ने...किताब में श्रीवास्तव ने मध्य प्रदेश के अपराध जगत के ऐसे काले अध्यायों का पर्दाफाश किया है जिससे पढ़ने वालों के रोंगटे खड़े हो जाना तय है..
ब्राइडल गाउन और अपहरण की कहानी
कहानी की शुरुआत होती है जुलाई 2005 में, जब दाऊद इब्राहिम की बेटी माहरुख का निकाह मक्का में हुआ था.इस खास मौके पर जो ब्राइडल गाउन पहना गया, उसे मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के एक छोटे से दर्जी इस्माइल खान ने तैयार किया था. कहानी यहीं खत्म नहीं होती.महज एक महीने बाद, 17 अगस्त 2005 को, इंदौर के एक प्रमुख सीमेंट व्यापारी के 20 वर्षीय बेटे नितेश नागौरी का अपहरण कर लिया गया.जब पुलिस ने इस केस की तहकीकात की तो जो खुलासा हुआ, उसने सबके होश उड़ा दिए. इस्माइल खान,वही दर्जी जिसने माहरुख का ब्राइडल गाउन तैयार किया था, उसे ही नितेश के अपहरण का मास्टरमाइंड पाया गया. इस्माइल खान का सीधा संबंध दाऊद इब्राहिम के करीबी साथी आफताब आलम से था.पुलिस का मानना है कि इस्माइल को इस अपहरण में उसकी भूमिका के लिए मोटी रकम और दुबई में नौकरी का वादा किया गया था. इसके साथ ही गाउन की सिलाई के लिए एक करोड़ रुपये भी दिए गए थे. दिलचस्प ये भी है कि इस्माइल और आफताब दोनों ही घटना के बाद से फरार हैं, और लगभग दो दशक से पुलिस की पकड़ से बाहर हैं.
अपहरण की जांच और खुलासे
नितेश नागौरी के अपहरण के बाद अपहरणकर्ताओं ने 4 करोड़ रुपये की फिरौती की मांग की.पुलिस ने सितंबर 2005 में नितेश के करीबी दोस्त ध्रुव और एक अन्य सहयोगी गौरव को गिरफ्तार किया, जो इस्माइल की इस खौफनाक योजना में सहयोग कर रहे थे.ध्रुव की गिरफ्तारी ने मामले की परतों को और खोला,जब उसने इस्माइल को इस अपहरण का मास्टरमाइंड बताया. जांच के दौरान, यह भी सामने आया कि आफताब आलम, जो 1997 में मुंबई से फरार हो गया था, अपहरण के समय खाड़ी देशों में छिपा हुआ था.आफताब की संलिप्तता ने इस मामले को और उलझा दिया, जिसके चलते इंटरपोल को सूचित किया गया और इस्माइल, आफताब और अन्य संदिग्धों के खिलाफ वारंट जारी किए गए.इनमें रंधावा और इब्राहिम जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं, जो अभी भी फरार हैं.
अंडरवर्ल्ड के गहरे राज़
डॉ. श्रीवास्तव की पुस्तक सिर्फ इस अपहरण मामले पर ही नहीं रुकती, बल्कि वह मध्य प्रदेश के अंडरवर्ल्ड के गहरे रहस्यों को भी सामने लाती है. इसमें दाऊद इब्राहिम और उसके कट्टर दुश्मन छोटा राजन की गतिविधियों को भी विस्तार से बताया गया है. पुस्तक में एक और हैरान कर देने वाली कहानी है विक्की मल्होत्रा की, जो छोटा राजन की गैंग का एक प्रमुख सदस्य था.विक्की, जिसका असली नाम विजय कुमार यादव है, उसे इंदौर में एक फिरौती के मामले में धमकी से जुड़े फोन नंबर का इस्तेमाल करने पर मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
विजय यादव से विक्की मल्होत्रा तक का सफर
पुस्तक की सबसे रोमांचक कहानियों में से एक है विजय यादव का विक्की मल्होत्रा बनने का सफर. डॉ. श्रीवास्तव ने विस्तार से बताया है कि कैसे पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद का एक मामूली चोर, विक्की मल्होत्रा, अंडरवर्ल्ड में इतना बड़ा नाम बन गया और तीन बार दाऊद इब्राहिम की हत्या के करीब पहुंचा.विक्की मल्होत्रा ने कराची में दाऊद इब्राहिम की बेटी की मौत के बाद उसे निशाना बनाने का असफल प्रयास किया.
योजना साफ थी—जैसे ही दाऊद दरगाह पहुंचे, उसे वहीं मार दिया जाए. लेकिन किस्मत ने दाऊद का साथ दिया, उसे आईएसआई और दाऊद के करीबी सहयोगी, मिर्ज़ा दिलशाद बेग से इस साजिश की खबर मिल गई और उसने प्लान बदल दिया. इस असफल प्रयास से छोटा राजन बेहद नाराज हो गया और उसी साल मिर्ज़ा दिलशाद बेग की हत्या करवा दी.
14 रोमांचक और रहस्यमय कहानियों का संग्रह
"शैकल द स्टॉर्म" सिर्फ एक क्राइम थ्रिलर नहीं है; यह 14 रोमांचक और रहस्यमय कहानियों का संग्रह है जो मध्य प्रदेश में अपराध, न्याय और अंडरवर्ल्ड की गहराइयों को छूते हैं.डॉ.श्रीवास्तव ने अपने अनुभवों का भी वर्णन किया है,
.उन्होंने न केवल अशांति को नियंत्रित किया, बल्कि हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों को अपने-अपने अनुष्ठान करने में भी मदद की.पुस्तक में यह घटना और पुलिस की निर्णायक कार्रवाई का विस्तृत वर्णन किया गया है, जिसमें बताया गया है कि कैसे सिमी को मध्य प्रदेश से बाहर खदेड़ा गया और उस पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई. "शेकल द स्टॉर्म" भोपाल के एक प्रमुख व्यवसायी को हत्या के मामले में फंसाने की साजिश, इंदौर में एक हाई-प्रोफाइल अपहरण, और अविभाजित मध्य प्रदेश में सनसनीखेज पार्सल बम मामले का भी खुलासा करती है.
किताब में बुंदेलखंड के एक बाहुबली नेता के नाम को बदलकर हाथी राजा लिखा गया है जिसकी जिंदगी का अंत जेल की सलाखों के पीछे हुआ। हाथी राजा अपनी नातिन की ही हत्या और यौन शोषण के मामले में 10 साल की सज़ा भुगत रहा था. बताते हैं कि अपने महल में उसने मगरमच्छ पाल रखे थे. उसकी शान-ओ-शौकत के किस्से दूर-दूर तक मशहूर थे. जेल में रहते हुए भी वो चुनाव लड़ा और जीता.उसने खुद स्वीकारा था कि उसने अपने जीवन में कई लोगों को मौत के घाट उतारा लेकिन उनके शव तक नहीं मिले, कहा जाता है ये शव मगरमच्छ का निवाला बन जाते थे.
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