Poor Condition of Villages: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के टीकमगढ़ (Tikamgarh) में एक ऐसा गांव है जहां आज तक मुक्तिधाम नहीं (No Muktidham) बन सका है. जिसके चलते यहां के लोगों को अच्छी खासी परेशानी उठानी पड़ती है. सबसे ज्यादा परेशानी इन्हें बरसात के मौसम (Rainy Season) में होती है, जब बारिश से शव पूरी तरह से भीग जाता है. मुक्ति नहीं होने के चलते लोगों को खुले आसमान के नीचे दाह संस्कार करने को मजबूर होना पड़ता है. बारिश के समय में लोगों को कई घंटों तक बारिश बंद होने का इंतजार करना पड़ता है. जब बारिश बंद होती है, तब कहीं जाकर दाह संस्कार की क्रिया हो पाती है.
लोग अलग-अलग जगहों पर करते हैं अंतिम संस्कार
यह पूरा मामला टीकमगढ़ जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर बसे ग्राम पंचायत धनवाहा के तिदारी गांव का है. यह एक ऐसा अभागा गांव है, जिसमें मुक्तिधाम जैसी बुनियादी सुविधा नहीं है. यहां लोगों के मरने के बाद उनका अंतिम संस्कार करने में तरह-तरह की परेशानी होती है. यहां मुक्तिधाम नहीं होने से यहां के लोग अपने-अपने खेतों और अपने-अपने मोहल्लों में समाजवार तरीके से अन्तिम संस्कार करते हैं. यहां के निवासी सूरज रैकवार का कहना है कि मुक्तिधाम न होने से बहुत समस्या होती है. लोगों को खुले आसमान के नीचे दाह संस्कार करने को मजबूर होना पड़ता है और बारिश के मौसम में बहुत ज्यादा समस्या होती है. दाह संस्कार करने से पहले ही शव पानी से गीला हो जाता है. जिससे घंटों मशक्कत करनी पड़ती है.
बता दें कि देश के हर गांव में भारत सरकार और प्रदेश सरकार के अनुदान से मुक्तिधाम बनाये जाते हैं. इसके साथ ही गार्डन भी लगाए जाते हैं. लेकिन, तिदारी गांव में न कोई मुक्तिधाम है और न कोई गार्डन. इस गांव की आबादी 1500 के आसपास है. गांव में सभी जातियों के लोग रहते हैं.
सरपंच ने बात करने से किया इनकार
गांव में मुक्तिधाम नहीं बनाए जाने के पीछे ग्राम पंचायत की लापरवाही उजागर हुई है. इस मामले में ग्राम पंचायत के सरपंच ने एनडीटीवी से बात करने से मना कर दिया. जब इस मामले में टीकमगढ़ नायब तहसीदार श्रीपत अहिरवार से जानकारी ली गई तो उनका कहना है कि ग्राम पंचायत ने तहसील से अभी तक मुक्तिधाम के लिए जमीन अलॉट करने की मांग नहीं की है. जब भी ग्राम पंचायत जमीन मांगेगी हम मुक्तिधाम के लिए जमीन अलॉट कर देंगे. वहीं कुछ ग्रामीणों का कहना है कि गांव में मुक्तिधाम के लिए जमीन थी, मगर उस पर गांव के कुछ लोगों ने जबरन कब्जा कर लिया. जिस कारण मुक्तिधाम नहीं बन सका.
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