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भोपाल गैस पीड़ितों के अस्पताल में डॉक्टर नहीं, एमपी हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

Bhopal gas victims hospital: सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ 15 मेडिकल अधिकारियों को भोपाल गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास विभाग में नियुक्ति किए जाने को लेकर सरकार की ओर से आदेश जारी किए गये थे, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा उन्हें पदमुक्त नहीं किया गया.

भोपाल गैस पीड़ितों के अस्पताल में डॉक्टर नहीं, एमपी हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
फाइल फोटो

MP High Court: भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग में प्रतिनियुक्ति किए गए डॉक्टरों को स्वास्थ्य विभाग से पदमुक्त नहीं किए जाने के संबंध में जबलपुर हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार से जवाब मांगा है. एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सर्राफ की युगलपीठ ने त्रासदी में पीडि़त व्यक्ति के लिए फंड जारी करने के निर्देश भी दिए.

सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ 15 मेडिकल अधिकारियों को भोपाल गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास विभाग में नियुक्ति किए जाने को लेकर सरकार की ओर से आदेश जारी किए गये थे, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा उन्हें पदमुक्त नहीं किया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के लिए जारी किए थे 20 निर्देश

गौरतलब है सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2012 में भोपाल गैस पीडि़त महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीडि़तों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए थे और क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किए थे.

मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट पर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी हाई कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने जारी निर्देश में कहा था कि मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने और रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश दिए थे,  जिसके बाद उक्त याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही थी.

राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ 15 मेडिकल अधिकारियों आदेश जारी किए थे

याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ 15 मेडिकल अधिकारियों को भोपाल गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास विभाग में पदस्थ किए जाने के संबंध में राज्य सरकार की ओर से आदेश जारी किए गए थे, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन अधिकारियों को पदमुक्त नहीं किया गया है.

जबलुपर हाई कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए. अब याचिका पर अगली सुनवाई 21 अगस्त को निर्धारित की गयी है. याचिकाकर्ताओं की ओर से सुनवाई के दौरान अधिवकता अंशुमान सिंह ने पैरवी की.

कैंसर सहित अन्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए फंड भी जारी नहीं किया गया

कोर्ट को यह भी अवगत कराया गया कि इसके अलावा कैंसर सहित अन्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए फंड भी जारी नहीं किया गया है. याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किए जाने के खिलाफ भी उक्त अवमानना याचिका 2015 में दायर की गई थी.

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