इंदौर : भारत में 'एक देश, एक चुनाव' की संभावनाओं पर औपचारिक विमर्श की शुरुआत के बीच, लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सोमवार को कहा कि लगातार अलग-अलग चुनाव चलते रहने से आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण कई सरकारी काम ठप हो जाते हैं. महाजन ने इंदौर में पत्रकारों से कहा कि 'एक देश, एक चुनाव' की अवधारणा का यह पहलू ठीक है कि इसे मूर्त रूप दिए जाने से अपेक्षाकृत कम सरकारी धन और श्रम खर्च होगा.
उन्होंने कहा, 'कई बार ऐसा भी होता है कि देश भर में लगातार चलने वाले अलग-अलग चुनावों की आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण चुनावों को छोड़कर कई सरकारी काम रुक जाते हैं. राज्यों में चुनाव होने पर भी (आदर्श आचार संहिता के चलते) केंद्र सरकार के काम-काज पर भी कोई न कोई लगाम लग जाती है.' केंद्र सरकार ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं तथा स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने की संभावनाओं पर गौर करने और इस सिलसिले में सिफारिशों के लिए पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति हाल ही में गठित की है.
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'ऐसे बयानों को नहीं देना चाहिए तवज्जो'
लोकसभा की अध्यक्ष रहीं महाजन ने उम्मीद जताई कि यह समिति 'एक देश, एक चुनाव' की अवधारणा के अलग-अलग पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श करके उचित फैसला करेगी.
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'स्टालिन के बेटे को अभ्यास की जरूरत'
भाजपा नेता ने कहा, 'सनातन धर्म पुरातन काल से चली आ रही जीवन पद्धति है. स्टालिन के बेटे को बोला जाना चाहिए कि इस धर्म के बारे में टिप्पणी से पहले उन्हें काफी अभ्यास करने की जरूरत है.' महाजन ने यह भी कहा कि सनातन धर्म पर कई लोग सतही टिप्पणी करते रहते हैं, लेकिन ऐसी टिप्पणियों से इस धर्म पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. मीडिया के साथ बातचीत से पहले, महाजन मध्यप्रदेश में नवंबर के दौरान संभावित विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा का घोषणापत्र तैयार करने के संबंध में अलग-अलग वर्गों के स्थानीय प्रतिनिधियों के सुझाव लेने के कार्यक्रम में शामिल हुईं.