
One Nation One Election: केन्द्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने शुक्रवार को भोपाल स्थित ओरिएंटल इंस्टीट्यूट में छात्र-छात्राओं को वन नेशन, वन इलेक्शन विषय पर संबोधित किया. इस दौरान शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, हमारे देश में कुछ हो या ना हो पांच साल, 12 महीने चुनाव की तैयारियां जरूर चलती हैं. ये बार-बार होने वाले चुनाव देश की प्रगति और विकास में बाधा हैं. इसलिए संविधान में संशोधन कर लोकसभा और विधानसभा (Lok Sabha & Assembly Election) के चुनाव एक साथ होने चाहिए. वहीं, शिवराज सिंह ने युवाओं से संवाद करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद जी के शब्द आज भी मेरे कानों में गूंजते हैं. उन्होंने कहा था कि, तुम अमृत के पुत्र, ईश्वर के अंश हो, अनंत शक्तियों के भंडार हो, अमर आनंद के भागी हो, दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं जो तुम ना कर सको. इसलिए मेरे बेटा-बेटियों, आप भी आगे आइए, एक राष्ट्र-एक चुनाव के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद कीजिए.
वन नेशन, वन इलेक्शन फोरम बने
केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, मैं चाहता हूं कि स्टूडेंट फॉर वन नेशन, वन इलेक्शन एक फोरम बनें, और इस फोरम को स्टूडेंट्स खुद बनाएं. एक राष्ट्र, एक चुनाव, एक जन-अभियान बनें, एक आंदोलन बने और इस अभियान की अगुवाई स्टूडेंट करें. सोशल मीडिया पर भी एक अभियान चले और इस देश से एक आवाज बुलंद हो कि हम एक राष्ट्र, एक चुनाव के पक्ष में खड़े हैं, हम इस अभियान का समर्थन करते हैं. जनता के दबाव में हम सभी राजनैतिक दलों को विवश कर दें कि धन और समय की बर्बादी नहीं होने देंगे, विकास के काम ठप्प नहीं होने देंगे. देश की प्रगति और विकास में बार-बार होने वाले चुनाव को बाधा नहीं बनने देंगे. इसलिए देश में एक बार और एक साथ चुनाव होने चाहिए. अब समय आ गया है कि देश में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराए जाएं.
#ShivrajSinghChouhan ने One Nation One Election पर Bhopal में कहा सभी राजनीतिक दल पूरे 5 साल, 12 महीने, हर सप्ताह, 24 घंटे एक ही तैयारी करते रहते हैं, वो है अगला चुनाव. pic.twitter.com/19VPcuXMGe
— NDTV MP Chhattisgarh (@NDTVMPCG) February 27, 2025
1967 तक होते थे एक साथ चुनाव
केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, वर्ष 1967 में भी हमारे देश में एक साथ चुनाव होते थे. पहले बैलेट पेपर से चुनाव होते थे, फिर बैलेट पेपर पर मुहर लगाई जाती थी और अब ईवीएम के माध्यम से चुनाव कराए जाते हैं. शिवराज सिंह ने कहा कि, तत्कालीन केंद्र सरकार ने राज्यों में दूसरे दलों की सरकार बनने पर अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग कर विधानसभाएं भंग करना शुरू कर दिया और तब से एक साथ चुनाव बंद हो गए. लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अलग-अलग होने लगे. केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि, देश के चुनाव आयोग ने 1983 में सबसे पहले कहा कि, देश में एक बार, एक साथ चुनाव होना चाहिए. फिर वर्ष 1999 में विधि आयोग ने भी यही कहा कि, देश में एक साथ चुनाव हो. देश के न्यायधीश, मुख्य न्यायधीश, पूर्व चुनाव आयुक्त और अनेक विचारशील लोगों ने इस बहस को आगे बढ़ाकर एक साथ चुनाव कराने पर जोर दिया था.
शिवराज सिंह ने आगे कहा, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने ये मुद्दा उठाया कि, देश के संविधान में संशोधन कर एक साथ चुनाव कराने चाहिए. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द जी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई है. उस समिति ने विचार विमर्श किया और रिपोर्ट के आधार पर 87% लोगों ने कहा कि, हमारे देश में एक साथ चुनाव होना चाहिए. शिवराज सिंह ने कहा कि, देश के विद्वान, विचारक, सोचने वाले, अनेकों राजनैतिक दल सब यही चाहते हैं कि, एक राष्ट्र, एक चुनाव होने चाहिए.
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हमेशा होने वाले चुनाव, देश की प्रगति में बाधा
केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, हमेशा होने वाले चुनाव देश की प्रगति और विकास में बाधक है. पिछले साल नवंबर-दिसंबर में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए. उसके चार माह बाद देश में लोकसभा चुनाव हुए. इसके बाद हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, झारखंड में चुनाव हुए। ये चुनाव खत्म हुए नहीं कि, दिल्ली का दंगल शुरू हो गया और अब सभी राजनैतिक दल और नेता बिहार चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं. हमारे देश में हर छह माह में कहीं न कहीं चुनाव होते हैं. ये बार-बार होने वाले चुनाव में बड़ी मात्रा में धन खर्च होता है. सुरक्षा बल और अधिकारी-कर्मचारी भी चुनाव कराने एक राज्य से दूसरे राज्यों में जाते हैं। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री और राज्य के मंत्रीगणों का भी समय खराब होता है. लॉन्ग टर्म प्लानिंग और विकास के सभी काम ठप्प हो जाते हैं. अगर देश में एक साथ चुनाव होंगे तो बाकी साढ़े चार साल सरकारें केवल विकास के काम में जुट सकती है. इसलिए संविधान में संशोधन कर देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने चाहिए.
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