
Death Sentence: मध्यप्रदेश की एक अदालत ने श्योपुर जिले में 32 लाख की सावधि जमा (एफडी) की राशि हड़पने के लिए अपनी मां की हत्या कर शव को दीवार में चुनने वाले बेटे को मृत्युदंड की सजा सुनाई है. एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. अपर सत्र न्यायाधीश एल डी सोलंकी ने श्योपुर के रेलवे कॉलोनी निवासी आरोपी दीपक पचौरी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत अपनी मां उषा देवी की हत्या के लिए दोषी पाते हुए मृत्युदंड (फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए तब तक की उसकी मृत्यु न हो जाए) का निर्णय पारित किया.
वकील का क्या कहना है?
इस मामले में राज्य की ओर से पैरवी करने वाले विशेष लोक अभियोजक राजेन्द्र जाधव ने बताया कि दीपक पचौरी ने आठ मई 2024 को थाना कोतवाली श्योपुर में अपनी मां की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. हालांकि जांच के दौरान बार-बार बयान बदलने के कारण पुलिस को पचौरी पर शक हो गया. पुलिस अधीक्षक (एसपी) वीरेंद्र जैन ने कहा कि आरोपी से जब सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने अपना अपराध कबूल कर लिया.
क्यों और कैसे की हत्या?
विशेष लोक अभियोजक राजेन्द्र जाधव ने बताया कि करीब 20 साल पहले पचौरी को उषा देवी और भुवनेन्द्र पचौरी ने ग्वालियर के एक अनाथ आश्रम से गोद लिया था. जैन ने बताया कि वर्ष 2021 में पिता की मृत्यु होने के बाद दीपक पचौरी ने उनके नाम पर जमा 16.85 लाख रुपये की एफडी की राशि निकाल ली थी. उन्होंने बताया कि आरोपी ने इसमें से 14 लाख रुपये शेयर बाजार में लगा दिए और शेष राशि खर्च कर दिए. जैन ने बताया कि शेयर बाजार में घाटा होने के बाद दीपक पचौरी की नजर मां के बैंक खाते में जमा एफडी के 32 लाख रुपये पर पड़ गई. उषा देवी ने इस खाते में बेटे को ही नॉमिनी घोषित कर रखा था.
लोक अभियोजक जाधव ने कहा कि छह मई को दीपक पचौरी ने अपनी मां को सीढ़ी पर चढ़ने के दौरान धक्का दे दिया लेकिन इससे भी जब उनकी मौत नहीं हुई तो उसने लोहे की छड़ से सिर पर वार किए और फिर गला दबा दिया. इसके बाद आरोपी ने मां के शव को लाल रंग के कपड़े में बांधकर सीढ़ियों के नीचे बने शौचालय के दीवार में सीमेंट, रेत और ईंटों से चुन दिया.
उन्होंने कहा कि पुलिस ने आरोपी के बताए स्थान से उषा देवी के शव को कार्यपालक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में निकाला और विधिवत कार्यवाही करते हुए लोहे की छड़ और साड़ी इत्यादि जब्त कर जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) भेजा.
पुलिस ने पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद आरोपी के विरूद्ध आईपीसी की धारा 302 और 201 के तहत अपराध दर्ज कर जांच के बाद अदालत में अभियोग पत्र दाखिल किया. अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि मां को ईश्वर के समान माना गया है और मां की हत्या माफी के योग्य नहीं है.
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