
Hareli Tihar 2025: छत्तीसगढ़ी लोकजीवन की खुशबू लिए हरेली तिहार (Hareli Tihar) का पारंपरिक उत्सव मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (CM Vishu Deo Sai) के निवास (CM House) में मनाया गया. छत्तीसगढ़ एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ प्रत्येक अवसर और कार्य के लिए विशेष प्रकार के पारंपरिक उपकरणों एवं वस्तुओं का उपयोग होता आया है. हरेली पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में ऐसे ही पारंपरिक कृषि यंत्रों एवं परिधानों की झलक देखने को मिली, जो छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की अमूल्य धरोहर हैं. आइए एक नजर डालते हैं छत्तीसगढ़ के प्रमुख कृषि उपकरणों पर.
सजे घर, सजा आंगन, सज गए बंदनवार
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) July 24, 2025
खुशी और उमंग लेकर आया हरेली तिहार
छत्तीसगढ़ के प्रथम पर्व हरेली के स्वागत में मुख्यमंत्री निवास संस्कृति, परंपरा और खुशियों के रंग से सज गया है।#सुशासन_की_हरेली pic.twitter.com/twQMRm9j26
काठा
सबसे बाईं ओर दो गोलनुमा लकड़ी की संरचनाएँ रखी गई थीं, जिन्हें ‘काठा' कहा जाता है. पुराने समय में जब गाँवों में धान तौलने के लिए काँटा-बाँट प्रचलन में नहीं था, तब काठा से ही धान मापा जाता था. सामान्यतः एक काठा में लगभग चार किलो धान आता है. काठा से ही धान नाप कर मजदूरी के रूप में भुगतान किया जाता था.
सुशासन सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से हर घर में खुशहाली है और लोकपर्व हरेली की रौनक और भी बढ़ गई है। पूरा प्रदेश प्रकृति, परंपरा और समृद्धि के इस पर्व को उत्साह के साथ मना रहा है।
— Vishnu Deo Sai (@vishnudsai) July 24, 2025
आइए, इस हरेली तिहार पर हम सभी मिलकर मनाएं हरियाली, संस्कृति और सुशासन का यह अनुपम पर्व।
आप सभी… pic.twitter.com/0RR5B5oUyG
खुमरी
सिर को धूप और वर्षा से बचाने हेतु बांस की पतली खपच्चियों से बनी, गुलाबी रंग में रंगी और कौड़ियों से सजी एक घेरेदार संरचना ‘खुमरी' कहलाती है. यह प्रायः गाय चराने वाले चरवाहों द्वारा सिर पर धारण की जाती है. पूर्वकाल में चरवाहे अपने साथ ‘कमरा' (रेनकोट) और खुमरी लेकर पशु चराने निकलते थे. ‘कमरा' जूट के रेशे से बना एक मोटा ब्लैंकेट जैसा वस्त्र होता था, जो वर्षा से बचाव के लिए प्रयुक्त होता था.
छत्तीसगढ़ के लोकजीवन की खुशबू लिए हरेली तिहार का पारंपरिक उत्सव
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) July 24, 2025
छत्तीसगढ़ एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ प्रत्येक अवसर और कार्य के लिए विशेष प्रकार के पारंपरिक उपकरणों एवं वस्तुओं का उपयोग होता आया है। हरेली पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री निवास में ऐसे ही पारंपरिक कृषि यंत्रों एवं परिधानों… pic.twitter.com/UWzaQyXFxJ
कांसी की डोरी
यह डोरी ‘कांसी' नामक पौधे के तने से बनाई जाती है. पहले इसे चारपाई या खटिया बुनने के लिए ‘निवार' के रूप में प्रयोग किया जाता था. डोरी बनाने की प्रक्रिया को ‘डोरी आंटना' कहा जाता है. वर्षा ऋतु के प्रारंभ में खेतों की मेड़ों पर कांसी पौधे उग आते हैं, जिनके तनों को काटकर डोरी बनाई जाती है. यह डोरी वर्षों तक चलने वाली मजबूत बुनाई के लिए उपयोगी होती है.
छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति का पहला पर्व है "हरेली"
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) July 24, 2025
मुख्यमंत्री निवास में दिख रही हरेली की अनुपम छटा#सुशासन_की_हरेली pic.twitter.com/W05FJfxej5
झांपी
ढक्कन युक्त, लकड़ी की गोलनुमा बड़ी संरचना ‘झांपी' कहलाती है. यह प्राचीन समय में छत्तीसगढ़ में बैग या पेटी के विकल्प के रूप में प्रयुक्त होती थी. विशेष रूप से विवाह समारोहों में बारात के दौरान दूल्हे के वस्त्र, श्रृंगार सामग्री, पकवान आदि रखने के लिए इसका उपयोग किया जाता था. यह बांस की लकड़ी से निर्मित एक मजबूत संरचना होती है, जो कई वर्षों तक सुरक्षित बनी रहती है.
कलारी
बांस के डंडे के छोर पर लोहे का नुकीला हुक लगाकर ‘कलारी' तैयार की जाती है. इसका उपयोग धान मिंजाई के समय धान को उलटने-पलटने के लिए किया जाता है.
यह भी पढ़ें : Hareli Tihar 2025: छत्तीसगढ़ का पहला त्योहार 'हरेली तिहार' क्यों है खास? जानिए पूजा से लेकर पकवान तक्र
यह भी पढ़ें : Rarest of the Rare Case: रीवा में अनोखा बच्चा; पैदा होते ही शरीर की स्किन फटने लगी, जानिए कौन सी है बीमारी
यह भी पढ़ें : Passport Index 2025: भारतीय पासपोर्ट ने लगाई बड़ी छलांग; पाकिस्तान सबसे कमजोर, ये हैं दुनिया के Top देश
यह भी पढ़ें : PESA Act: पेसा अधिनियम में MP ने बनाई पहचान; मध्य प्रदेश का पहला स्थान, जनजातीय वर्ग के लिए वरदान