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This Article is From Aug 08, 2023

सतना : मिडे डे मील में भारी अव्यवस्था, गैस की जगह चूल्हे पर बन रहा है खाना !

सतना जिले के कई सरकारी स्कूलों में गैस के बजाय चूल्हों में लकड़ी जलाकर भोजन पकाया जा रहा है इससे सरकार की धुआं रहित भोजन पकाने की योजना खतरे में पड़ती दिख रही है. वहीं रसोईयों ने लकड़ी के आसानी से मिलने और नकद पैसे ना होने को इसकी बड़ी वजह बताया

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सतना : मिडे डे मील में भारी अव्यवस्था, गैस की जगह चूल्हे पर बन रहा है खाना !
सतना:

स्कूलों का स्तर सुधारने की कितनी भी कोशिश कर ली जाए लेकिन स्कूलों में अव्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है.
मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के तहत काम करने वाले समूहों और रसोईयों की सेहत को ध्यान में रखते हुए सभी सरकारी 
स्कूलों को एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध कराए गए थे जिससे धुआं रहित भोजन पकाया जा सके लेकिन कुछ समय के बाद ही स्कूल पुराने ढर्रे पर चलने लगे और सिलेंडरों के बजाय स्कूलों में फिर पहले जैसे चूल्हों पर खाना बनने लग गया.

सरकार के धुआं रहित भोजन पकाने की योजना कामयाब नहीं 

मध्य प्रदेश के सतना जिले के सरकारी स्कूलों को गैस कनेक्शन के साथ ही सिलेंडर भी उपलब्ध कराए गए थे. शिक्षण सत्र 2018-19 में सौ से अधिक छात्र संख्या वाले स्कूलों को सरकार की तरफ से सिलेंडर बांटे गए थे. लेकिन केवल चार साल के अंदर ही स्कूल वाले सिलेंडरों से वापस लकड़ी पर पहुंच गए.

इस पर रसोइयों ने भी बताई अपनी मजबूरी 

इस पर रसोइयों का कहना है कि सिलेंडर भरवाने में ज्यादा परेशानी होती है जिसके कारण मजबूरी में उन्हें लकड़ियों का सहारा लेना पड़ रहा है. लक्ष्मी स्व सहायता समूह चोरबरी में काम करने वाली महिलाओं ने बताया कि गैस सिलेंडर भरवाने के लिए गांव से काफी दूर जाना पड़ता है साथ भी इसके लिए नकद धनराशि भी चाहिए और समूह के खाते में धनराशि देरी से आती है वहीं दूसरी तरफ लकड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाती है. इसलिए लकड़ी और उपले का सहारा लेना पड़ता है.

कई स्कूलों में हो रहा है ऐसा

ऐसी स्थिति एक या दो स्कूलों की नहीं है बल्कि कई स्कूलों में ऐसा हो रहा है लेकिन स्कूल के जिम्मेदार अपनी आंख मूंदे हुए है. कई सारे स्कूलों के मिड डे मील की बदहाली की कहानी एक जैसी ही दिख रही है.

क्या कहना है मिड डे मील के प्रभारी का 

जिला पंचायत की मिड डे मील प्रभारी, राखी गुप्ता का कहना है " स्कूलों में भोजन पकाने के लिए गैस कनेक्शन दिलाए गए थे साथ ही सभी स्कूलों में कार्य करने वाले समूहों को पैसा दिया जाता है ताकि वो खाना बनाने का सामान ला सके. विभाग अपना काम पूरी जिम्मेदारी के साथ कर रहा है अब ये स्कूलों में कार्यरत समूहों की जिम्मेदारी है कि वो तय मानक के हिसाब से काम करे. निरीक्षण के दौरान ऐसी गड़बड़ी मिलेगी तो निश्चित ही कार्रवाई की जायेगी."

मिड मील की प्रभारी के केवल ये कहने से उनकी जिम्मेदारी या काम खत्म नहीं हो जाता. प्रभारी ने अब तक स्कूलों के मिड डे मील की स्थिति की जांच क्यों नहीं की ? समूहों के कामों की जांच करना और उसके बाद किसी भी अव्यवस्था को सही करना भी तो विभाग की जिम्मेदारी है.

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