
Saif Ali Khan News: भोपाल में नवाब मंसूर अली खां पटौदी और उनके परिवार की करीब 15 हजार करोड़ की संपत्ति पर अब सरकार का हक हो सकता है. दरअसल भोपाल रियासत की ऐतिहासिक संपत्तियों पर 2015 से चल रहा स्टे अब खत्म हो गया है. जबलपुर हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही थी. जिसमें जस्टिस विवेक अग्रवाल की अदालत ने पटौदी परिवार की संपत्ति पर लगा स्टे हटा दिया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पटौदी परिवार यानी सैफ अली खान के परिवार को जो 30 दिनों की मियाद मिली थी उसमें उन्होंने कोई दावा नहीं किया. हालांकि परिवार अब भी चाहे तो इस फैसले को डिविजन बेंच में चुनौती दे सकता है. दूसरी तरफ यदि सरकार चाहे तो नवाब परिसर की संपत्ति को शत्रु संपत्ति अधिनियम के दायरे में लाते हुए 2015 के आदेश के तहत अपनी कस्टडी में ले सकती है. इन सबके बीच इस 15 हजार करोड़ की संपत्ति को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं जिनका जवाब फिलहाल तो नहीं मिल रहा है. चलिए बात को शुरू से शुरू करते हैं.

जहां बीता सैफ का बचपन वो घर खतरे में
दरअसल भोपाल रियासत के आखिरी नवाब नवाब हमीदुल्लाह खान थे, जो मंसूर अली खान पटौदी के नाना थे. नवाब साहब की बड़ी बेटी आबिदा बंटवारे के बाद पाकिस्तान चली गईं. जिसके बाद केंद्र सरकार ने नवाब हमीदुल्लाह खान की बड़ी बेटी आबिदा को उनकी संपत्ति का हकदार बताते हुए भोपाल और उसके आसपास मौजूद तमाम संपत्ति को शत्रु संपत्ति बताया. लेकिन नवाब साहब की छोटी बेटी के बेटे मंसूर अली खान पटौदी ने इस पर अपना हक बताया.अब उनके बेटे सैफ अली खान और उनका परिवार भी अपनी दादी यानी नवाब की दूसरी बेटी साजिदा सुल्तान को संपत्ति का असली हकदार बताती है. भोपाल में पटौदी परिवार कोहेफिजा स्थित अहमदाबाद पैलेस के पास फ्लैग स्टाफ हाउस पर दावा करता है, जिसकी करीब 15 हजार करोड़ से भी ज्यादा है. खुद सैफ अली खान का बचपन फ्लैग स्टॉफ हाउस में ही बीता है.

Pataudi Family Property: भोपाल में यही वो घर है जहां सैफ अली खान का बचपन बीता
अब यही फ्लैग स्टॉफ हाउस समेत तमाम संपत्तियां खतरे में हैं...कोर्ट के आदेश के बाद ये संपत्तियां अब सरकार के कब्जे में जा सकती है. पहले ये जान लेते हैं कि अदालत के आदेश के बाद कौन-कौन से सवाल उठ रहे हैं?

स्थानीय लोग बोले- हर साल टैक्स भरते हैं
इन मसलों पर NDTV ने मौके पर जाकर स्थानीय लोगों से बात की. स्थानीय निवासी सुमेर खान ने कहा- स्टे हटने का मतलब ये नहीं की सरकार काबिज हो जाए. यहां से केवल दो ही लोग पाकिस्तान गए थे इसलिए पूरे परिवार की संपत्ति शत्रु संपत्ति घोषित नहीं सकती.आज पूरे रिकॉर्ड में शाहिदा सुल्तान के नाम पर संपत्ति चढ़ी है और उनकी मौत तो भारत में ही हुई थी. सुमेर के मुताबिक पटौदी परिवार फैसले के खिलाफ अपील करेगा. हालांकि कुछ लोग परेशान भी हैं. स्थानीय निवासी चांद मियां का कहना है कि वे तो सालों से यहीं रह रहे हैं. हर साल टैक्स भरते हैं. नवाब साहब ने उन्हें पट्टे पर ये जमीन दी थी. एक स्थानीय निवासी नसीम खान का है कहना है कि ये भोपाल के नवाबों की कमजोरी है. भोपाल में करीब एक-डेढ़ हजार एकड़ जमीन उनकी है. सरकार इतनी आसानी से उसे नहीं ले सकती.
शर्मिला टैगोर के तर्क से कोर्ट भी था सहमत
दरअसल भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह की 3 बेटियां थीं - आबिदा, साजिदा और तीसरी राबिया . आबिदा सुल्तान 1950 में भारत छोड़कर पाकिस्तान में बस गईं. दूसरी बेटी साजिदा का निकाह हरियाणा के पटौदी के नवाब इफ्तिकार अली खान से हुआ था. इफ्तिकार के बेटे मंसूर अली खान पटौदी थे.
इस विवाद की जड़ में है 1968 में बना शत्रु संपत्ति कानून जिसके तहत, विभाजन के बाद पाकिस्तान जाने वाले लोगों की भारत में छोड़ी गई संपत्तियों पर केंद्र सरकार का हक होता है. केंद्र सरकार ने 25 फरवरी 2015 को शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत राजस्व विभाग को पटौदी परिवार की संपत्ति राजसात करने का आदेश दिया था, इस आदेश के खिलाफ सैफ अली खान हाईकोर्ट गये थे. परेशानी ये है कि सरकार आबिदा को वारिस मानती है, लेकिन शर्मिला टैगोर ने कोर्ट में तर्क दिया कि आबिदा सुल्तान 1947 के बंटवारे के बाद पाकिस्तान चली गई थीं और भोपाल नवाब की मौत भारत में हुई थी, इसलिए शरीयत के आधार पर उनका भारत की संपत्ति पर कोई दावा नहीं बनता .इसपर 2019 में कोर्ट ने भी फैसला दिया था कि सैफ की दादी साजिदा सुल्तान ही भोपाल की संपत्ति की वैध वारिस हैं.
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