
Ramjanmotsav In Orachha : निवाड़ी जिले की ऐतिहासिक व आस्था की नगरी ओरछा एक बार फिर रामराजा सरकार के जयघोष से गूंज उठी. रामनवमी के पावन अवसर पर यहां निकली शोभायात्रा यादगार रही. ये अवसर वहां पहुंचा दिया जब लगभग पांच सौ साल पहले महारानी कुंवरी गणेश रामलला को अयोध्या से लेकर आई थीं. आज उसी परंपरा का जीवंत रूप एक बग्गी में विराजमान रामराजा सरकार और महारानी कुंवर गणेश ने पुनः साकार किया.

25 क्विंटल पीला और नारंगी रंग के गेंदे से सजाया गया
चैत्र शुक्ल नवमी को दोपहर 12 बजे रामराजा सरकार के प्राकट्य के पश्चात मंदिर में जन्म की आरती की गई. हजारों भक्त इस जन्मोत्सव और महाआरती के साक्षी बने. मंदिर परिसर में बुंदेली बधाइयों के बीच प्रभु श्रीराम के बालरूप पालने में दर्शन हुए. रामराजा सरकार को भोग लगे 21 क्विंटल लड्डुओं का प्रसाद वितरित किया गया. पूरे मंदिर व मंदिर परिसर को 25 क्विंटल पीला और नारंगी रंग के गेंदे से सजाया गया.

मंदिर का हर कोना फूलों से लिपटा हुआ नजर आया. मंदिर में सजावट के लिये रानी पिंक और बेबी पिंक रंग के जरबेरा, पीला और लाल गुलाब, सफेद डेज़ी, गुलदावरी जैसे फूलों का उपयोग किया गया. साथ ही ऐरीका, डैसीना और नोरिया जैसी सजावटी पत्तियां और सन ऑफ इंडिया व जिंसो जैसे फूल भी मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा रहे थें.
नगर में निकली भव्य शोभायात्रा
इसके बाद ओरछा नगर में निकली रामजी की भव्य शोभायात्रा ने श्रद्धालुओं को इतिहास की गलियों में पहुंचा दिया। जहां एक ओर रामलला. वहीं, दूसरी ओर कुंवर गणेश झांकी में थीं. रामनवमी का पर्व हर वर्ष आता है, लेकिन ओरछा में यह पर्व सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक दिव्य परंपरा है. यहां भगवान श्रीराम ‘राजा' हैं, और जन जन की आस्था का केंद्र भी है. रामनवमी के अवसर पर इस वर्ष भी ओरछा की गलियों में एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई. एक बग्गी में रामलला और महारानी कुंवरी गणेश को विराजमान किया गया. जैसे ही यह झांकी नगर में पहुंची, हर गली के श्रद्धालु घर से आरती की थाली लेकर निकले और प्रभु श्रीराम का तिलक किया, आरती उतारी और श्रीफल अर्पित किया. यह नजारा ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो 500 वर्षों का इतिहास फिर से जीवांत हो उठा हो.
जय श्रीराम' के नारों से गूंजा, ओरछा मानो अयोध्या बना

ओरछा के हर प्रवेश द्वार को फूलों से सजाया गया था. जैसे ही शोभायात्रा यहां पहुंची, वहां पुष्पवर्षा की गई. सड़कों पर भक्तों की भीड़ रामराजा सरकार के स्वागत में उमड़ पड़ी, बच्चे, बूढ़े, महिलाएं सभी रामराजा सरकार के दर्शन को आतुर दिखाई दिये. राम के भजनों और 'जय श्रीराम' के नारों से गूंजता ओरछा मानो अयोध्या बन गया था. शोभायात्रा की अगुवाई वही बग्गी कर रही थी, जैसी महारानी कुंवरी गणेश ने रामलला को लेकर की थी.यह दृश्य इतना जीवंत था कि भक्तों की आंखें नम हो गईं और मन भावनाओं में डूब गया.
मंदिर में हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
रामराजा सरकार के दरबार में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन हुआ. इसमें बुंदेली लोक गायिका और राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त उर्मिला पांडे ने अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया. इस अवसर पर निवाड़ी कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ ने उर्मिला पांडे को मंच पर रायप्रवीण सम्मान से सम्मानित किया. बता दें, राय प्रवीण सम्मान मध्य प्रदेश के ओरछा में स्थित एक महल है, जिसे राजकुमार इंद्रजीत ने अपनी प्रेमिका प्रवीण राय के सम्मान में बनवाया था. प्रवीण राय एक खूबसूरत कवियत्री और संगीतकार थीं, जिन्हें “ओरछा की कोकिला“ के नाम से भी जाना जाता था. इसी से प्रेरित होकर कलेक्टर ने उर्मिला पांडे को राय प्रवीण सम्मान से सम्मानित किया.
ऐतिहासिक पदयात्रा ने पुरानी यादों को किया ताजा
इस पर्व का विशेष महत्व इस कारण भी है. क्योंकि यही वो दिन है, जब महारानी कुंवरी गणेश अयोध्या से श्रीराम की मूर्ति को लेकर ओरछा पहुंचीं थीं. पुष्य नक्षत्र में रामलला को प्रतिष्ठित किया गया और तभी से राम को यहाँ 'राजा' के रूप में पूजा जाता है. आज भी हजारों श्रद्धालु उसी ऐतिहासिक पदयात्रा की तर्ज पर ओरछा में भव्य शोभायात्रा निकालते है, जैसी संवत 1631 में रानी कुंवरी गणेश अयोध्या से रामराजा को ओरछा लेकर आई थीं, तब निकाली थी.
इस विश्वास और आस्था ने ओरछा को सिर्फ एक तीर्थ नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव बना दिया. भक्ति और संस्कृति का यह संगम सिर्फ निवाड़ी जिले तक सीमित नहीं रहा. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के 10 से अधिक जिलों से श्रद्धालु इस पावन अवसर पर ओरछा पहुंचे. इस अवसर पर निवाड़ी कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ के साथ पुलिस अधीक्षक डॉक्टर राय सिंह नरवरिया, भाजपा जिला अध्यक्ष राजेश पटेरिया, विधायक अनिल जैन समेत तमाम जनप्रतिनिधि मौजूद रहे.
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