MP Rajya Sabha Seats: लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) से पहले राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election) होना है. इसे लोकसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट बताया जा रहा है. अलग-अलग प्रदेशों की 56 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है जिसको लेकर चुनाव आयोग (Election Commission) ने अधिसूचना जारी कर दी है. इन 56 सीटों में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की पांच सीटें भी शामिल हैं, जिनमें से चार पर बीजेपी (BJP) और एक पर कांग्रेस (Congress) का कब्जा है. खास बात यह है कि बीजेपी की तरफ से इन सीटों में से दो केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन और धर्मेंद्र प्रधान भी शामिल हैं. प्रदेश के राजनीतिक समीकरण के मुताबिक इन पांच सीटों में से सिर्फ एक सीट कांग्रेस के खाते में आ सकती है.
अब इसको लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है कि कांग्रेस किसको राज्यसभा भेजेगी. चर्चाओं में पूर्व पीसीसी चीफ और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव का नाम सबसे आगे है. माना जा रहा है कि कांग्रेस उनको राज्यसभा भेज सकती है. दरअसल मध्य प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटें हैं, जिनमें से आठ सीटें बीजेपी के पास तो वहीं तीन पर कांग्रेस काबिज है. इन 11 सीटों में से 5 पर चुने गए राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल 2 अप्रैल 2024 को समाप्त हो रहा है. इन 5 सीटों में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय मंत्री एल मुरूगन और कैलाश सोनी और अजय प्रताप सिंह भी हैं, तो वहीं कांग्रेस से राजमणि पटेल हैं.
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अरुण यादव का नाम सबसे आगे
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई है और उसने 230 सीटों में से 163 सीटें हासिल की हैं. वहीं कांग्रेस को 66 सीटों पर समेट दिया है. अगर राज्यसभा में वोटिंग की बात करें तो कांग्रेस सिर्फ एक सीट हासिल कर पाएगी. इसको लेकर अब चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. चर्चाओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव का नाम सबसे आगे है. उनके समर्थकों ने तो बाकायदा सोशल मीडिया पर अपने नेता को राज्यसभा भेजने के लिए मुहिम तक चला दी है.
राज्यसभा चुनाव के चलते अलग हुए थे सिंधिया
दरअसल राज्यसभा सीट का चुनाव भी किसी जंग से कम नहीं है. राज्यसभा चुनाव के चलते ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी थी और कांग्रेस की सरकार गिर गई थी. राज्यसभा की लड़ाई आसान नहीं है. मार्च 2020 में एक राज्यसभा सीट पर खींचतान की वजह से एमपी की राजनीति में भूचाल आ गया था. साथ ही 15 महीने के अंदर कमलनाथ की सरकार गिर गई थी. मार्च 2020 के राज्यसभा चुनाव में तीन सीटें खाली हुई थीं. 114 विधायकों वाली कांग्रेस दो सीट आसानी से जीत सकती थी. दो राज्यसभा की सीटों के लिए कांग्रेस को दो वोट की जरूरत थी. वहीं, कांग्रेस के दावेदारों को सेफ सीट की तलाश थी.
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MP में बीजेपी के राज्यसभा सांसद
यही चीज झगड़े में तब्दील में हो गई. कांग्रेस पार्टी सेफ सीट दिग्विजय सिंह को और दूसरी सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया को दे रही थी. इसके बाद सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी में आते ही पार्टी ने उन्हें राज्यसभा का टिकट दे दिया. उनका कार्यकाल अभी 2026 तक है. एमपी से बीजेपी के राज्यसभा सांसद में ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुमित्रा वाल्मिकी, कविता पाटीदार और सुमेर सिंह सोलंकी हैं. सुमेर सिंह सोलंकी का कार्यकाल 2026 तक है. वहीं, कविता पाटीदार और सुमित्रा वाल्मिकी का कार्यकाल 2028 तक है. दिग्विजय सिंह का 2026 और विवेक तन्खा का कार्यकाल 2028 में पूरा होगा.