Rahul Gandhi MP Visit 2025: कांग्रेस नेता राहुल गांधी कल से मध्य प्रदेश के दो दिवसीय दौरे पर रहेंगे. इस बार उनका यह दौरा किसी चुनावी रैली या जनसभा के लिए नहीं, बल्कि पार्टी संगठन को मजबूत करने के मिशन से जुड़ा है. राहुल गांधी पचमढ़ी में चल रहे कांग्रेस के प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लेंगे और जिला अध्यक्षों से सीधे संवाद करेंगे. इसे कांग्रेस की संगठनात्मक रणनीति में बड़ा कदम माना जा रहा है.
संगठन को मजबूत करने पर फोकस
राहुल गांधी का यह दौरा पूरी तरह से संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के मकसद से किया जा रहा है. वह पचमढ़ी में चल रहे कांग्रेस के दस दिवसीय ट्रेनिंग कैंप में शामिल होंगे, जहां प्रदेशभर के 71 जिला अध्यक्ष भाग ले रहे हैं. पार्टी का मानना है कि अगर जिला स्तर पर संगठन मजबूत हुआ, तो चुनावों में बेहतर नतीजे मिल सकते हैं.
राहुल गांधी का शेड्यूल तय
राहुल गांधी सोमवार दोपहर 2:30 बजे भोपाल पहुंचेंगे. वहां से वे हेलीकॉप्टर के ज़रिए सीधे पचमढ़ी जाएंगे. दोपहर 3:35 बजे वे मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करेंगे. इसके बाद शाम 4:30 बजे वे जिला अध्यक्षों के ट्रेनिंग सत्र में शामिल होंगे. लगभग तीन घंटे तक चलने वाले इस सेशन में राहुल गांधी कार्यकर्ताओं से सीधे चर्चा करेंगे.
वन टू वन चर्चा और डिनर कार्यक्रम
राहुल गांधी सिर्फ समूह चर्चा तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि जिला अध्यक्षों से वन टू वन बात भी करेंगे. यह बातचीत पार्टी की ज़मीनी स्थिति और स्थानीय चुनौतियों पर केंद्रित रहेगी. शाम को राहुल गांधी जिला अध्यक्षों के साथ डिनर भी करेंगे. रात का विश्राम वे पचमढ़ी के रविशंकर भवन में करेंगे. मंगलवार सुबह 11 बजे वे भोपाल से बिहार के लिए रवाना होंगे.
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कांग्रेस की ‘पाठशाला' में जुटे जिला अध्यक्ष
पचमढ़ी में चल रहा यह प्रशिक्षण शिविर 10 दिनों तक चलेगा. इसमें अखिल भारतीय कांग्रेस के ट्रेनिंग इंचार्ज और सांसद सचिन राव अपनी 10 सदस्यीय टीम के साथ कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर रहे हैं. प्रशिक्षण सत्र एमपीटी होटल हाइलैंड में आयोजित किया गया है, जहां जिला अध्यक्षों को संगठन, जनसंपर्क और चुनाव प्रबंधन जैसे विषयों पर जानकारी दी जा रही है.
कांग्रेस के लिए शुभ रहा है पचमढ़ी
पचमढ़ी कांग्रेस पार्टी के लिए पहले भी शुभ स्थान माना गया है. साल 1998 में भी यहां पार्टी का चिंतन शिविर हुआ था, जब सोनिया गांधी ने पार्टी की बागडोर संभाली थी. उस शिविर के बाद कांग्रेस चार साल में देश की सत्ता में लौटी थी. पार्टी को उम्मीद है कि यह प्रशिक्षण शिविर भी संगठन में नई ऊर्जा और दिशा लेकर आएगा.