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Bilaspur Train Accident: बड़ा खुलासा, साइकोलॉजिकल टेस्ट में FAIL हो गया था MEMU ट्रेन का लोको पायलट

Big Revelation: दरअसल, CRS जांच में खुलासा हुआ है कि मेमू लोकल ट्रेन का लोको पायलट साइकोलॉजिकल टेस्ट में फेल हो गया था, बावजूद इसके रेल अफसरों ने उसे ट्रेन चलाने की अनुमति दी थी. रेलवे के अफसरों की इसी बड़ी लापरवाही से 11 मेमू ट्रेन पैसेंजर्स को अपनी जान गंवानी पड़ी.

Bilaspur Train Accident: बड़ा खुलासा, साइकोलॉजिकल टेस्ट में FAIL हो गया था MEMU ट्रेन का लोको पायलट
MEMU TRAIN LOCO PILOT WAS FAILED IN PSYCHOLOGICAL TEST, BIG REVELATION IN CRS INVESTIGATION

Memu Train Collison Case: बिलासपुर रेल हादसे में शुक्रवार को एक बड़ा खुलासा हुआ है. नए खुलासे से रेलवे की लापरवाही उजागर हुई है. ताजा खुलासे के मुताबिक मेमू ट्रेन चला रहा लोको पायलट साइकोलॉडिकल टेस्ट में फेल हो गया था, बावजूद उसे न केवल प्रमोट किया गया, बल्कि लोको पायलट बनाया गया और ट्रेन संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई. 

दरअसल, CRS जांच में खुलासा हुआ है कि मेमू लोकल ट्रेन का लोको पायलट साइकोलॉजिकल टेस्ट में फेल हो गया था, बावजूद इसके रेल अफसरों ने उसे ट्रेन चलाने की अनुमति दी थी. रेलवे के अफसरों की इसी बड़ी लापरवाही से 11 मेमू ट्रेन पैसेंजर्स को अपनी जान गंवानी पड़ी.

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साइको टेस्ट में फेल था लोको पायलट, फिर भी चला रहा था ट्रेन

रिपोर्ट के मुताबिक दुर्घटनाग्रस्त हुई मेमू ट्रेन को चलाने वाला लोको पायलट साइकोलॉजिकल टेस्ट में फेल हो गया था, बावजूद इसके रेल अफसरों द्वारा उसको ट्रेन चलाने की अनुमति दे दी गई. यह खुलासा सीआरएस जांच में हुआ है, जो हादसे की मुख्य वजह बनी थी, जिसमें 11 लोगो की जान चली गई और 20 यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए.

रेल अफसरों ने दी थी अनुमति, नियमों को किया था नजरअंदाज

दरअसल, मालगाड़ी लोको पायलट को मेमो या पैसेंजर ट्रेन में प्रमोट करने से पहले पीडीसी ट्रेनिंग होती है. इस ट्रेनिंग के पूरा होने के बाद साइकोलॉजिकल टेस्ट होता है. अगर लोको पायलट इसमें फेल हो जाता है तो उसे अति आवश्यक स्थिति में ही मेमू ट्रेन चलाने के लिए दी जाती है, लेकिन रेलवे के अफसरों ने बावजूद उसको प्रमोट कर मेमू ट्रेन चलाने दिया.

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गत 4 नवंबर को बिलासपुर के गेवरारोड स्टेशन के पास हुई मेमू लोकल ट्रेन मालगाड़ी से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इस टक्कर में 11 यात्रियों को जान गंवानी पड़ी थी और 20 यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिनमें से दो यात्रियो की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है.

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साइको टेस्ट में फेल लोको पायलट को ही दिया जाता है असिस्टेंट 

साइकोलॉजिकल टेस्ट में फेल लोको पायलट को अति आवश्यक स्थिति में ही मेमू ट्रेन चलाने के लिए दी जाती है, लेकिन उसके साथ असिस्टेंट लोको पायलट को भी लगाया जाता है. नियम है लोको पायलट अगर साइको टेस्ट पास कर लिया है तो मेमू ट्रेन चलाने के लिए अकेले काफी होता है, उसके साथ कोई असिस्टेंट लोको पायलट नहीं दिया जाता है.

पीडीसी ट्रेनिंग के बाद मेमू लोको पायलट ने दिया था साइको टेस्ट

बिलासपुर रेल हादसा केस में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि लोको पायलट विद्यासागर ने करीब एक महीना पहले पीडीसी ट्रेनिंग करने के बाद साइकोलॉजिकल टेस्ट दिया था, जिसमें वह फेल हो गया था. इसलिए उनके साथ मेमू ट्रेन चलाने के लिए असिस्टेंट लोको पायलट की ड्यूटी लगाई गई थी.

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रेलवे नियमावली के मुताबिक लोको पायलट का साइकोलॉजिकल टेस्ट दो बार होता है, पहली बार जब वह भर्ती होता है और ट्रेनिंग प्रक्रिया पूरी करता है उसके बाद और फिर गुड्स ट्रेन चलाने के बाद प्रमोशन मिलने पर PDC ट्रेनिंग के बाद उसका साइकोलॉजिकल टेस्ट होता है. 

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रेलवे के अफसरों से आज भी जारी रहेगी सीआरएस की पूछताछ

रिपोर्ट कहती है कि CRS ने बिलासपुर में हादसे की शिकार हुई मेमू ट्रेन को लेकर कुल 10 से ज्यादा अधिकारियों से पूछताछ की और गुरुवार देर रात तक यह सिलसिला चला. सीआरएस की पूछताछ आज भी जारी रहेगी. सीआरएस ने मामले मेART और ARMV इंचार्ज से भी सवाल-जवाब किए और राहत कार्य में देरी पर सवाल उठाए.

अस्पताल में दर्ज होगा असिस्टेंट लोको पायलट व गार्ड का बयान

मामले की तह में पहुंचने के लिए सीआरएस ने घायल असिस्टेंट लोकोपायल और गार्ड का बयान अस्पताल में दर्ज करेगी. बताया जाता है कि मेमू ट्रेन दुर्घटना से संबंधित अधिकारियों को डीआरम दफ्तर तलब किए गए थे, जहां सुबह से शाम तक अधिकारी देखे गए.  सीआरएस ने नियमों की अनदेखी और सिस्टम की गलती से दुर्घटना की पोल खोलने में कामयाब हुई.

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CRS ने मेमू ट्रेन को लेकर कुल 10 से ज्यादा अधिकारियों से पूछताछ की है यह सिलसिला गुरुवार देर रात तक चला. सीआरएस की पूछताछ आज भी जारी रहेगी. सीआरएस ने मामले में ART और ARMV इंचार्ज से भी सवाल-जवाब किए और राहत कार्य में देरी पर सवाल उठाए हैं.

साइको टेस्ट में फेल हुए लोको पायलट को नहीं मिलती है गाड़ी

उल्लेखनीय है किसी भी लोको पायलट का ब्रीथ ऐनालाइजर टेस्ट रोज होता है. ड्यूटी शुरू होने से पहले थंब इंप्रेशन और उसके बाद ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट होता है. उसमें अगर फेल हुए तो फिर उसे चलाने के लिए.गाड़ी मिलती ही नहीं है और यह सारी जानकारी ऑनलाइन शेयर की जाती है.

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