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शक्ति प्रदर्शन और कसक! केंद्रीय मंत्री शिवराज की MP में हुंकार, वरिष्ठ सांसद का छलका दर्द, क्या हैं मायने

Shivraj Singh Chouhan: चुनाव के दौरान शिवराज का एक बयान वायरल हुआ था कि मैं मर भी गया तो फीनिक्स पक्षी की तरह राख से जिंदा हो जाऊंगा. केन्द्र में वो ताकतवर महकमा तो संभाल रहे हैं लेकिन भोपाल में जबर्दस्त स्वागत के सियासी मायने तो हैं, फग्गन सिंह कुलस्ते की कसक भी बता रही है कि अब बीजेपी के नेता शीर्ष नेतृत्व तक सार्वजनिक मंच से भी अपनी बात पहुंचाने में चूक नहीं रहे.

शक्ति प्रदर्शन और कसक! केंद्रीय मंत्री शिवराज की MP में हुंकार, वरिष्ठ सांसद का छलका दर्द, क्या हैं मायने

Madhya Pradesh Politics: केन्द्रीय मंत्री (Modi 3.0 Cabinet Minister) शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) रविवार को भोपाल आए. लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election) में विदिशा (Vidisha Lok Sabha Seat) से रिकॉर्ड मतों से उन्होंने जीत दर्ज की, मोदी सरकार (Modi Sarkar 3.0) के तीसरे कार्यकाल में कृषि और किसान कल्याण (Minister of Agriculture and Farmers Welfare) और ग्रामीण विकास (Minister of Rural Development) मंत्री बनाया गया. इस दौरान दिल्ली से ट्रेन में और भोपाल की सड़कों पर उनका जोरदार स्वागत हुआ. भोपाल में पार्टी दफ्तर में बाकी 4 केन्द्रीय मंत्री भी जुटे. इस बीच एक और पूर्व केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते (Faggan Singh Kulaste) की कसक सामने आई. इस खबर में किसी की खुशी और किसी की कसक के मायने हम समझने की कोशिश करेंगे.

शिवराज का शक्ति प्रदर्शन

शिवराज सिंह चौहान 4 बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. नया पद केन्द्र में कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री का मिला है. शिवराज सिंह चौहान रविवार को केन्द्रीय मंत्री बनने के बाद पहली बार भोपाल आए. दिल्ली से ट्रेन चली तो वो लोगों से मेल-मुलाकात करते रहे. यात्रियों ने साथ में सेल्फी ली.

शिवराज सिंह चौहान ने रास्ते में ढेर सारे अखबार पढ़े. ट्रेन जैसे ही मध्यप्रदेश पहुंची, स्वागत-सत्कार हुआ. ढोल नगाड़े बजने लगे. मुरैना, ग्वालियर और बीना स्टेशन पर उनके स्वागत की तैयारी थी. भोपाल रेलवे स्टेशन से प्रदेश बीजेपी कार्यालय तक 65 से अधिक जगहों पर स्वागत के लिये मंच बनाया गया.

बुलडोजर से भी फूल बरसाए गये. डॉ मोहन यादव सरकार में मंत्री कृष्णा गौर ने आरती उतारी. मुस्लिम महिलाओं के शॉट्स. एक मंच पर मुस्लिम बहनों को प्रमुखता से जगह भी मिली, इसकी भी तस्वीरें आईं.

प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के बाहर भी इतने पोस्टर लगे कि एक बार अचरज हो जाए कि दफ्तर किसका है. शाम को स्वागत-सत्कार के साथ उनका काफिला पार्टी दफ्तर पहुंचा. यहां भी उम्मीद के मुताबिक लाडली बहनों ने गाना गाया.

मध्यप्रदेश में बीजेपी को सत्ता और शिवराज की बतौर मामा-भैय्या की ब्रांडिग दोनों में बहनों यानी महिलाओं का बड़ा हाथ है, सो उनसे मिलने के उतावले पन में शिवराज बढ़े तो सुरक्षकर्मियों ने पूर्व मंत्री और पार्टी को वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव और कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग तक को धक्का दे दिया.

सूत्र बताते हैं कि पहले पार्टी दफ्तर में स्वागत सिर्फ शिवराज का होना था, लेकिन एक-एक करके 6 मंत्रियों के नाम जुड़े. आनन-फानन में सभी को न्योता गया. हालांकि आए सिर्फ 4, वहीं विदिशा सांसद का भोपाल में ऐसे स्वागत हुआ मानो ये स्वागत उनके लिये ही रखा गया था, जिसे लेकर विपक्ष तंज कसने से चूका नहीं.

अनुराग द्वारी

रेजीडेंट एडिटर NDTV

शिवराज ने दिखाई फ्रस्टेशन : कांग्रेस

वरिष्ठ कांग्रेस नेता मुकेश नायक कहते हैं कि ये शिवराज सिंह चौहान का फ़्रस्ट्रेशन है, अभी भी वो ख़ुद को मुख्यमंत्री की भूमिका में मानते हैं. शिवराज सिंह चौहान प्रासंगिक नेता हो गए हैं. बाक़ी केंद्रीय मंत्रियों को लगा कि यह पार्टी का कार्यक्रम है, लेकिन वहाँ जाकर पता चला कि ये तो सिर्फ़ शिवराज का निजी कार्यक्रम बनके रह गया है. शिवराज सिंह चौहान ये बताना चाहते हैं कि मैं अभी भी प्रदेश का मामा हूँ.

नायक आगे कहते हैं कि कुलस्ते की को इतने सालों से राज्य मंत्री बनाकर रखा है, इस बार उन्हें उम्मीद थी कि कम से कम स्वतंत्र प्रभार तो दे दिया जाएगा. लेकिन जब गठबंधन की सरकार होती है तो मजबूरी बन जाती है BJP फ़िलहाल मजबूरियों से घिरी हुई है. जब गठबंधन होता है तो समझौता करना पड़ता है. BJP में कई नेताओं को समझौता करना पड़ा है. VD शर्मा को मंत्री पद नहीं दिया कई ऐसे और राज्यमंत्री बनाए गए हैं, जिन्हें उम्मीद थी कि उन्हें अच्छा प्रभार मिलेगा लेकिन सबकी उम्मीदों पर पानी फिर गया क्योंकि सीट ही कम आयी है.

भारतीय जनता पार्टी कोई धड़ों में नहीं बंटी है : BJP मंत्री

बीजेपी मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा कहते हैं कि शिवराज हमारे सम्माननीय नेता हैं और हमारी पार्टी के कार्यकर्ता हैं. यह कोई निजी कार्यक्रम नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी का कार्यक्रम था. भारतीय जनता पार्टी कोई धड़ों में नहीं बंटी है. यहाँ सिर्फ़ एक ही नाम है वो है BJP. शिवराज केंद्रीय मंत्री हैं लोगों का उनके प्रति सम्मान है जब वो भोपाल पहुँचे तो कार्यकर्ताओं में उत्साह था. कांग्रेस को हमारी पार्टी पर आरोप लगाने का कोई हक़ नहीं है. कांग्रेस ख़ुद धड़ों में बंटी हुई है जो पूरा सूपड़ा साफ़ कांग्रेस का हो गया है. पहले वो आत्ममंथन करें फिर हमारी पार्टी के लिए कुछ बोले.

नए केंद्रीय मंत्री के स्वागत की इन चमचमाती तस्वीरों के साथ सुर्खियों में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते का बयान भी है. निवास में उनके लिये भी स्वागत कार्यक्रम था जहां उनके बयान में मंत्री ना बनने की कसक सुनाई दी.

अनुराग द्वारी

रेजीडेंट एडिटर NDTV

राज्यमंत्री के लिए मैंने साफ मना कर दिया : कुलस्ते

बीजेपी सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने अपने बयान में कहा है कि कैबिनेट बनता तो ठीक है, राज्यमंत्री तो तीन बार रह चुका हूँ. इसलिए मैने साफ मना कर दिया.

चौथी बार अगर राज्यमंत्री बने तो ये ठीक नहीं, अगर कैबिनेट बने तो ठीक है. मेरे मन में ऐसा नहीं है, मैं बहुत बार मंत्री रहा हूं, इसलिए मैंने साफ तौर से कह दिया है.

फग्गन सिंह कुलस्ते

बीजेपी सांसद

पहली बार फग्गन ने मन की बात रखी : अरुण दीक्षित

वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित बताते हैं कि अगर बदले हालात नहीं होते तो शायद जो शक्ति प्रदर्शन चल रहा है वो होता. शिवराज सिंह चौहान ने जो शक्ति प्रदर्शन किया है उसे वे नहीं करते. रही बात फग्गन सिंह की तो वो बोलने में पीछे नहीं रहते, लेकिन पहली बार मन की बात बिल्कुल साफ और सच कही है.

वह (फग्गन) बेचारे इतने वरिष्ठ हैं, क्या हमेशा राज्य मंत्री ही रहेंगे? क्या आदिवासी सिर्फ वोट बैंक हैं? वह काम नहीं कर सकते? यह सवाल अब वह अपने मुंह से उठा रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है ऊंट पहाड़ के नीचे है. बीजेपी 272 के संख्या तक नहीं पहुंच पायी है, यही असली वजह है.

अरुण दीक्षित

वरिष्ठ पत्रकार

राजनीति के जानकार इन दो तस्वीरों के मायने बीजेपी की बहुमत से दूरी में ढूंढ रहे हैं. वैसे मध्यप्रदेश ने इस बार बीजेपी को 29-29 सीटें दी हैं, पार्टी फिर भी बहुमत से दूर रही. चुनाव के दौरान शिवराज का एक बयान वायरल हुआ था कि मैं मर भी गया तो फीनिक्स पक्षी की तरह राख से जिंदा हो जाऊंगा. केन्द्र में वो ताकतवर महकमा तो संभाल रहे हैं लेकिन भोपाल में जबर्दस्त स्वागत के सियासी मायने तो हैं, फग्गन सिंह कुलस्ते की कसक भी बता रही है कि अब बीजेपी के नेता शीर्ष नेतृत्व तक सार्वजनिक मंच से भी अपनी बात पहुंचाने में चूक नहीं रहे, पहले ये जरा कम ही होता था.

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