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क्या है पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो अभियान? ऐसे समझिए इसकी पूरी ABCD

PKC-ERCP Link Project: 20 वर्ष से किसी न किसी कारण से राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच होने वाला समझौता टल रहा था, लेकिन 17 दिसंबर को पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना के त्रि-पक्षीय अनुबंध हो गए. आइए समझते हैं क्या है ये पूरा प्रोजेक्ट.

क्या है पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो अभियान? ऐसे समझिए इसकी पूरी ABCD

PKC-ERCP Link Project: मंगलवार 17 दिसंबर 2024 का दिन मध्यप्रदेश और राजस्थान के लिए ऐतिहासिक रहा. इस दिन जयपुर में "संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल" नदी जोड़ो परियोजना का त्रि-स्तरीय अनुबंध हुआ. PKC यानी पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी और ERCP (Eastern Rajasthan Canal Project) यानी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना. यह परियोजना मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के लिए ऐतिहासिक और अभूतपूर्व सौगात है. यह राजस्थान के 21 जिलों को सिंचाई और पीने का पानी उपलब्ध कराएगी और मध्यप्रदेश के 13 जिलों में न केवल पीने के पानी की बल्कि सभी प्रकार की सिंचाई की व्यवस्था भी होगी. इससे राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों के विकास को गति मिलेगी. वहीं 25 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केन-बेतवा लिंक परियोजना का भूमिपूजन करेंगे. आइए इस एक्सप्लेनर से समझते हैं इन प्रोजेक्ट्स का पूरा लेखा-जोखा.

PKC-ERCP Link Project : इन जिलों को होगा फायदा

PKC-ERCP Link Project : इन जिलों को होगा फायदा
Photo Credit: Ajay Kumar Patel

इन जिलों को मिलेगा फायदा

पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना से मध्य प्रदेश के 13 जिलों श्योपुर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, गुना, अशोक नगर सहित आगर, इंदौर, धार, उज्जैन, शाजापुर, राजगढ़, सीहोर इत्यादि को लाभ मिलेगा, वहीं संपूर्ण पश्चिमी मध्यप्रदेश में पीने के पानी और सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था रहेगी. परियोजना से मध्य प्रदेश के 3217 ग्रामों को लाभ मिलेगा. मालवा और चंबल क्षेत्र में 6 लाख 13 हजार 520 हेक्टेयर में सिंचाई होगी और 40 लाख की आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा. वहीं इस प्रोजेक्ट से राजस्थान के 21 जिलों को लाभ होगा. ये जिले हैं - झालावाड़, बारां, कोटा, सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी, करौली, धौलपुर, भरतपुर, डीग, दौसा, अलवर, खैरथल-तिजारा, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, कोटपुतली-बहरोड़, अजमेर, ब्यावर, शाहपुरा, केकरी, टोंक और दूदू. इससे 21 जिलों के सवा तीन करोड़ लोगों को फायदा होगा.

लगभग 60 वर्ष पुरानी चंबल दाईं मुख्य नहर एवं वितरण-तंत्र प्रणाली के आधुनिकीकरण कार्य से भिंड, मुरैना एवं श्योपुर जिले में कृषकों की मांग अनुसार पानी उपलब्ध कराया जाएगा. परियोजना की कुल जल भराव क्षमता 1908.83 घन मीटर होगी. साथ ही 172 मिलियन घन मीटर जल, पेयजल और उद्योगों के लिये आरक्षित रहेगा. परियोजना अंतर्गत 21 बांध व बैराज निर्मित किये जाएंगे.

यह परियोजना 20 वर्षों के लम्बे इतंजार के बाद मूर्त रूप ले रहीं है. परियोजना के अंतर्गत चंबल व उसकी सहायक नदियों पार्वती, कालीसिंध और चम्बल को आपस में जोड़ा जाएगा. पार्वती- कालीसिंध -चंबल लिंक परियोजना से दोनों राज्यों को सिंचाई और पेयजल के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा.

PKC-ERCP Link Project : इस प्रोजेक्ट का खर्च

PKC-ERCP Link Project : इस प्रोजेक्ट का खर्च
Photo Credit: Ajay Kumar Patel

कितना खर्च आएगा?

पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना की अनुमानित लागत 72 हजार करोड़ है, जिसमें मध्यप्रदेश 35 हजार करोड़ और राजस्थान 37 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगा. इस योजना में केन्द्र सरकार कुल लागत का 90 प्रतिशत हिस्सा देगी और 10 प्रतिशत राज्य सरकार देगी. परियोजना की कुल जल भराव क्षमता 1908.83 घन मीटर होगी. 

इस योजना को पूरा करने में 8 वर्ष से अधिक समय लग सकता है. इस प्रोजेक्ट की चर्चा लगभग 20 साल पहले 2004 में शुरू हुई थी. जल शक्ति मंत्रालयल के अनुसार पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना की फीजिबिलिटी रिपोर्ट फरवरी 2004 में सामने आई थी. वहीं दस्तावेजों में इस प्रोजेक्ट का जिक्र पहली बार राजस्थान सरकार के बजट 2017-18 में हुआ था, तब वसुंधरा राजे की सरकार थी.

क्या है संशोधित PKC-ERCP?

पार्वती-कालीसिंध-चंबल (PKC) प्रोजेक्ट नदी-जोड़ो योजना पहल की हिस्सा है. यह केंद्रीय जल आयोग और केंद्रीय सिंचाई मंत्रालय द्वारा तैयार राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (1980) के तहत 30 लिंकों में से एक है. इसका उद्देश्य घरेलू उपयोग के लिये जल उपलब्ध कराना, चंबल बेसिन में जल संसाधनों का अनुकूलन करना तथा मध्य प्रदेश और राजस्थान के क्षेत्रों को लाभान्वित करना है.

ऐसा कहा जा रहा है कि पीकेसी-ईआरसीपी लिंक परियोजना से 4 साल से कम समय में राजस्थान के कुछ जिलों को पेयजल का लाभ मिलने लगेगा.
PKC-ERCP Link Project : ये नदियां हैं शामिल

PKC-ERCP Link Project : ये नदियां हैं शामिल
Photo Credit: Ajay Kumar Patel

ये नदियां है शामिल

  • पार्वती नदी : यह नदी
  • कालीसिंध नदी : यह मध्य प्रदेश के देवास ज़िले से बागली नामक स्थान से निकलती है. इसकी प्रमुख सहायक नदियां परवन, नेवज, आहू हैं.
  • चंबल नदी : यह मध्य प्रदेश में विंध्य पर्वतमाला के दक्षिणी ढलान पर मानपुर इंदौर के पास, महू टाउन के दक्षिण में जानापाव से निकलती है. वहां से यह मध्य प्रदेश में उत्तर दिशा में लगभग 346 किमी और फिर राजस्थान से होकर 225 किमी तक उत्तर-पूर्व दिशा में प्रवाहित होती है. यह नदी उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है और इटावा ज़िले में यमुना नदी में मिलने से पहले लगभग 32 किमी तक बहती है. यह एक बरसाती नदी है और इसका बेसिन विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं तथा अरावली से घिरा हुआ है. चंबल और इसकी सहायक नदियां उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र को जल प्रदान करती हैं. राजस्थान का हाड़ौती का पठार, मेवाड़ मैदान के दक्षिण-पूर्व में चंबल नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में स्थित है. इसकी सहायक नदियां- बनास, काली सिंध, सिप्रा, पार्बती, आदि हैं.

ERCP क्या है?

ERCP यानी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना, इसको जल संसाधनों के अनुकूलन के लिये वर्ष 2019 में राजस्थान द्वारा प्रस्तावित किया गया था. इसका उद्देश्य चंबल बेसिन में अंतर-बेसिन जल स्थानांतरण को सुविधाजनक बनाना है. ERCP का उद्देश्य जल चैनलों का एक ऐसा नेटवर्क स्थापित करना है, जो राजस्थान के 23.67% क्षेत्र में विस्तारित होने के साथ राज्य की 41.13% आबादी को लाभान्वित करेगा. इस पहल से अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर और जयपुर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 ज़िलों को पेयजल और औद्योगिक जल की आपूर्ति होगी. इसका उद्देश्य कालीसिंध, पार्वती, मेज और चाकन उप-बेसिनों के अधिशेष मानसून जल का दोहन करना तथा इसे जल की कमी वाले बनास, गंभीरी, बाणगंगा और पार्वती उप-बेसिनों की ओर भेजना है.

संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल-ERCP लिंक परियोजना, PKC लिंक को पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) के साथ जोड़ने वाली एक अंतर-राज्यीय परियोजना है. यह राज्यों के बीच जल बंंटवारे, लागत-लाभ वितरण और जल विनिमय जैसे मुद्दों को हल करने पर केंद्रित है.

इसका उद्देश्य राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र के भू-जल स्तर में सुधार लाना तथा सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना है. ERCP से 2 लाख हेक्टेयर का अतिरिक्त कमांड क्षेत्र सृजित होने तथा 4.31 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई उपलब्ध होने की उम्मीद है.

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