MP Narmada Panchkosh Yatra : मध्यप्रदेश के खरगोन (khargone) जिले में देवउठनी एकादशी की सुबह से मां नर्मदा नदी की लघु पंचकोशी यात्रा शुरु हो गई है. ओंकारेश्वर के नर्मदा तट स्थित ममलेश्वर मंदिर से सुबह 4 बजे से शुरू हुई इस यात्रा में 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु शामिल हुए.
पहले दिन 17 किमी की यात्रा
गुरुवार को शुरू हुई इस यात्रा के पहले दिन हजारों श्रद्धालु भजन, नृत्य करते हुए यात्रा का आनंद लेते रहे. पहले दिन ओंकारेश्वर से शिवकोठी अंजरुद चित्रमोड होते हुए 17 किलोमीटर का सफर तय किया. कार्तिक महीने की पूर्णिमा को इस यात्रा का समापन होगा.
जानिए इस यात्रा का इतिहास
जानकारी के मुताबिक विश्व की एकमात्र नर्मदा नदी ही है, जिसकी परिक्रमा की जाती है. पुराण विद्वान उज्जैन (Ujjain) विश्वविद्यालय के व्याख्याता डॉ रविंद्र कुमार चौराहे ने 1979 में अपने चार साथियों के साथ ओंकारेश्वर से नर्मदा की पंचकोशी यात्रा शुरू की थी. नर्मदा नदी के दक्षिण से ममलेश्वर मंदिर से यात्रा शुरू कर ग्राम चित्रमोण होते सनावद पहुंचे थे. यह 17 किमी का सफर था. सनावद में पहला पड़ाव रहा. दूसरे दिन सनावद से ग्राम टोकसर 30 किमी की यात्रा हुई. तीसरे दिन सुबह नर्मदा नदी को नाव से पार कर ग्राम सेमरला पहुंचे और वहीं से बड़वाह में तीसरा पड़ाव रहा. चौथे दिन सुबह बड़वाह से जयंती माता सिद्धवरकूट होते हुए पांचवें दिन कार्तिक पूर्णिमा पर ओंकारेश्वर पहुंचे थे. यहां भगवान ओंकारेश्वर को ममलेश्वर का लिया हुआ जल अर्पित किया और पंचकोशी यात्रा पूरी की थी.
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श्रद्धालुओं ने साझा किए अनुभव
इस यात्रा में शामिल हुई भोपाल की रहने वाली रेखा पाटीदार ने एनडीटीवी को बताया कि मैं पहली बार इस यात्रा में शामिल हो रही हूं. आस्था और विश्वास के साथ 60 किलोमीटर का पैदल सफर बड़ी आसानी से पूरा करूंगी. बड़नगर रतलाम की रहने वाली तेज कुंवर बाई कहती हैं कि यह मेरी 12वीं पंचकोशी यात्रा है. पहले रास्ता बेहद खराब था, अब पक्की सड़क बनने से से यात्रा आसान हो गई है. मक्सी से आई मधुबाला पाटीदार ने कहा कि पंचकोशी यात्रा में बड़ा आनंद आता है, यह मेरी दसवीं यात्रा है.
8 क्विंटल दूध की बनेगी चाय
पंचकोशी श्रद्धालुओं के लिए समाजसेवियों ने चाय, पानी, खिचड़ी, दूध का वितरण किया. प्रशासन ने भी पंचकोशी यात्रियों के विश्राम के इंतजाम किए हैं. पवन जैन ने बताया कि पिछले 20 सालों से हम इस यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को चाय पिलाते हैं. पंचकोशी यात्री को लगभग 8 क्विंटल दूध की चाय पिलाई जाती है. इस बार लगभग 50 हजार लोग चाय पिएंगे.
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