आज देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2023) है. हर साल कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है. इस खास मौके पर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के अशोकनगर (Ashoknagar) में सुबह 4:45 बजे पुराना बाजार स्थित श्री राजराजेश्वर मंदिर से प्रभात फेरी निकालकर देवों को जगाया गया. इस दौरान हजारों की संख्या में महिलाएं सिर पर कलश और जगमगाते दीप को लेकर प्रभात फेरी में पहुंची. इन महिलाओं के सिर पर सजे कलश और हाथों में जगमगाते दीप का शहर में भव्य नजारा देखने को मिला. इतना ही नहीं इस मौके पर पूरे शहर की गलियों को दीपों और रंगोलियों से सजाया गया. बता दें कि मध्य प्रदेश के अशोकनगर में ये परंपरा बीते 32 सालों से चली आ रही है.
32 साल से अशोकनगर में निकाली जा रही है प्रभात फेरी
दरअसल, 32 साल पहले पंडित कैलाश पति ने अशोकनगर में देवउठनी एकादशी के दिन चंद लोगों के साथ प्रभात फेरी निकाली थी और आज ये शहर की एक परंपरा बन चुकी है, जिसमें सूर्य उदय होने से पहले हजारों की संख्या में महिलाएं प्रभात फेरी निकालती हैं.
जय श्री राम न के जयकारे से गूंजा पूरा शहर
वहीं आज देवउठनी एकादशी के मौके पर पंडित कैलाश पति ने शंख की ध्वनी के साथ प्रभात फेरी निकाली. इस दौरान महिलाएं अपने हाथों में दीपक लिए जय श्री राम, जय श्री राम के जयकारे लगाते दिखीं. जिससे शहर का पूरा माहौल भक्तिमय हो गया. इस दौरान शहर ऐसा लग रहा था जैसे सभी शहर वासी देवोत्थान एकादशी के दिन सड़कों, गलियों में उतर आए हैं. इस मौके पर राज राजेश्वर मंदिर में भगवान शिव और पार्वती की आराधना की गई और उसके बाद 4:45 बजे प्रभात फेरी निकाली गई.
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ये फेरी श्री राज राजेश्वर महादेव मंदिर से शुरू होकर विदिशा रोड, लंबरदार गली, चौधरी मोहल्ला, मोती मोहल्ला, प्रोसेशन रोड, बजरिया होते हुए इंदिरा पार्क रामलीला मंच (सुभाष गंज), तुलसी पार्क से स्टेशन रोड, गांधी पार्क होते हुए माधव भवन गढ़ी स्थित राधा कृष्ण मंदिर पहुंची.
साल दर साल बढ़ रहा आस्था का सैलाब
साल 1991 में पंडित कैलाशपति नायक द्वारा प्रभात फेरी हनुमान मंदिर से ध्वज लेकर शुरू की गई थी. ये परंपरा साल 1997 तक चली. वहीं साल 1997 से शहर में नित्य प्रभात फेरी निकाली जा रही है. लगभग 1 साल तक सुराणा चौराहा से इंदिरा पार्क तक निकाली जा रही प्रभात फेरी में गाय को शामिल किया गया. शुरुआत में जो प्रभात फेरी चंद लोगों से शुरू हुई थी वो अब हजारों की संख्या में पहुंच गई. वहीं इस दौरान लोग गलियों को दीपों से जगमगाते हैं.
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