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This Article is From Oct 25, 2024

MP High Court ने दिखाई सख्ती, त्योहारों व शादियों के दौरान ध्वनि प्रदूषण पर सरकार से जवाब मांगा

Noise Pollution: कुछ दिनों पहले ही डीजे (DJ) की तेज आवाज की वजह से 13 साल के मासूम की मौत हो गई थी. इस मामले को NDTV ने प्रमुखता से दिखाया था. उसके बाद राज्य मानव अधिकार आयोग ने इस पर संज्ञान भी लिया था. वहीं अब इस तेज आवाज में चलाए जा रहे साउंड सिस्टम की गूंज हाईकोर्ट तक पहुंच गई है.

MP High Court ने दिखाई सख्ती, त्योहारों व शादियों के दौरान ध्वनि प्रदूषण पर सरकार से जवाब मांगा

MP High Court: मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) ने प्रदेश में त्योहारों (Festivals) और शादियों  (Weddings) के दौरान ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग वाली जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किए हैं. न्यायमूर्ति (Justice) संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने बुधवार को केंद्र सरकार और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर जनहित याचिका पर चार सप्ताह में जवाब मांगा है. यह याचिका जबलपुर स्थित नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ गोविंद प्रसाद मिश्रा, सेवानिवृत्त मुख्य वन संरक्षक आरपी श्रीवास्तव, पूर्व कार्यपालक अभियंता (सिंचाई विभाग) केपी रेजा और सेवानिवृत्त सहायक भूविज्ञानी वाईएन गुप्ता सहित कई लोगों द्वारा दायर की गई है.

याचिकाकर्ताओं की क्या मांग है?

याचिकाकर्ताओं के वकील आदित्य सांघी ने बताया कि याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया है कि वे प्रतिवादियों को मध्यप्रदेश में ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दें. सांघी ने कहा कि डॉ मिश्रा 82 वर्ष के हैं, जबकि श्रीवास्तव 100 वर्ष के हैं. उन्होंने कहा कि इस उम्र में वे ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए अपने वर्तमान आवास से किसी अन्य स्थान पर नहीं जा सकते हैं.

सांघी ने अदालत को बताया कि डेसिबल का स्तर इतना अधिक है कि खिड़कियों के शीशे भी हिलते हैं और कोई भी चैन से सो नहीं सकता, खासकर त्योहारों और शादियों के दौरान. केंद्रीय नियमों के अनुसार, दिन के समय 75 डीबी (डेसिबल) की उच्चतम स्वीकार्य सीमा है. उन्होंने कहा कि आवासीय क्षेत्रों में यह 45 डीबी और रात में शांत क्षेत्रों में 40 डीबी है.

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि 80 डीबी से अधिक की ध्वनि सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है. उन्होंने तर्क दिया कि अधिकारियों द्वारा उनकी शिकायतों का समाधान नहीं किए जाने के बाद याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.

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