
NHRC In Action: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में कप सिरप से हुई बच्चों की मौत के लेकर दोनों राज्यों के स्वास्थ्य विभागों के प्रमुख सचिवों को नोटिस जारी किया है. NHRC ने यह नोटिस दोनों राज्यों में कथित तौर पर नकली कफ सिरप पीने से 12 बच्चों की मौत के मामले में जारी किया है.
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नकली कप सिरप पीने से बच्चों की मौत को लेकर दर्ज कराई गई थी शिकायत
गौरतलब है मध्य प्रदेश औऱ राजस्थान में नकली कप सिरप पीने से हुई बच्चों की मौत को लेकर एनएचआरसी में एक शिकायत कराई गई थी. एनएचआरसी के सदस्य प्रियंक कानूनगो की अध्यक्षता वाली बेंच को भेजी गई शिकायत में दवा सुरक्षा और नियामक तंत्र में गंभीर खामियों को लेकर आरोप लगाया गया था.
कप सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल जैसे पदार्थ नहीं मिले
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के शुरुआती परीक्षणों में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले पदार्थ नहीं मिले, जो किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं, लेकिन बच्चों की मौत का सटीक कारण अभी स्पष्ट नहीं है. हालांकि कई मामलों में किडनी फेल होने और अन्य जटिलताओं की बात सामने आई है.
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एमपी, राजस्थान व यूपी की सरकारों के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिवों को नोटिस
एनएचआरसी ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12 के तहत कार्रवाई करते हुए एमपी, राजस्थान और यूपी की सरकारों के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिवों को नोटिस कर उन्हें तुरंत जांच करने, कफ सिरप के नमूने एकत्र करने, क्षेत्रीय लैब में जांच कराने और नकली दवाओं की बिक्री पर तत्काल रोक निर्देश दिए हैं.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने नकली दवाओं की सप्लाई चेन की गहन जांच के निर्देश
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल (डीसीजीआई), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को नकली दवाओं की आपूर्ति श्रृंखला की गहन जांच करने का निर्देश दिया है. साथ ही, संबंधित राज्यों के सभी क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं को नमूने एकत्र करने और उनकी जांच करने का आदेश दिया गया है.
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दो सप्ताह के भीतर अधिकारियों को कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) जमा करने के लिए कहा
एनएचआरसी ने जारी नोटिस में कहा, "सभी संबंधित राज्यों के मुख्य ड्रग्स कंट्रोलरों को नकली दवाओं पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया शुरू करने और अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया जाता है. सभी अधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर एनएचआरसी को अपनी कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) जमा करने के लिए कहा गया है, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके.