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Tiger Reserve: एमपी को मिला एक और टाइगर रिजर्व का तोहफा, माधव नेशनल पार्क बना 8वां बाघ अभयारण्य

Madhav National Park: एमपी को एक और टाइगर रिजर्व मिल चुका है. शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क को एमपी का आठवां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है.

Tiger Reserve: एमपी को मिला एक और टाइगर रिजर्व का तोहफा, माधव नेशनल पार्क बना 8वां बाघ अभयारण्य
माधव नेशनल पार्क बना टाइगर रिजर्व

Madhav National Park: टाइगर स्टेट कहे जाने वाले मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) को एक और टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve) की सौगात मिली है. अब एमपी में आठ टाइगर रिजर्व हो गए है. शिवपुरी (Shivpuri) जिले के माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की तकनीकी समिति ने माधव राष्ट्रीय उद्यान (Madhav National Park) को टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. यह प्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व होगा. अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वाइल्ड लाइफ) एल. कृष्णमूर्ति ने बताया कि एनटीसीए की तकनीकी समिति ने प्रस्तावित बाघ अभयारण्य का कोर क्षेत्र 375 वर्ग किलोमीटर, बफर क्षेत्र 1276 वर्ग किलोमीटर और कुल क्षेत्रफल 1751 वर्ग किलोमीटर होगा. 

माधव नेशनल पार्क

माधव नेशनल पार्क

सीएम ने भेजा था प्रस्ताव

समिति ने इस राष्ट्रीय उद्यान में एक नर और एक मादा बाघ को छोड़ने की भी मंजूरी दी है. बता दें कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व घोषित करने के लिये प्रस्ताव भेजा था. कृष्णमूर्ति ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा की गयी संरक्षण पहल माधव राष्ट्रीय उद्यान और कूनो राष्ट्रीय उद्यान में वन्य-जीव प्रबंधन को मजबूत करेगी. 

माधव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास

माधव राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1958 में मध्य प्रदेश के राज्य बनने के साथ ही की गई थी. यह मूलत: ग्वालियर महाराजा के लिए शाही शिकार का अभयारण्य था. इस नेशनल पार्क का कुल क्षेत्रफल 354.61 वर्ग किमी है. माधवराव सिंधिया ने वर्ष 1918 में मनिहार नदी पर बांधों का निर्माण करते हुए साख्या सागर और माधव तालाब का निर्माण कराया था, जो आज अन्य झरनों और नालों के साथ पार्क के सबसे बड़े जल निकाय हैं.     

अकबर से भी रहा है रिश्ता

शिवपुरी स्थित माधव नेशनल पार्क का नाम इतिहास के पन्नों में अकबर के शासनकाल से लेकर औपनिवेशिक काल तक दर्ज है. ऐसा कहा जाता है कि अकबर ने यहां हाथियों के पूरे झुंड को अपने अस्तबल तक पहुंचाया था. इतिहास में दर्ज इस लेख से साबित होता है कि शिवपुरी का जंगल हाथियों और शेरों का सदियों पुराना रहवास है. नेशनल हाईवे-3 पर स्थापित नेशनल पार्क की देखरेख वन विभाग वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत कर रहा है. हर साल हजारों टूरिस्ट यहां वाइल्ड लाइफ और प्रकृति के अनूठे नजारे देखने पहुंचते हैं.

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इन जानवरों का है मुख्य आकर्षण

इस राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियां हिरण की हैं, जो यहां आसानी से कुलांचे भरते नजर जाते हैं. यहां सबसे ज्यादा संख्या छोटे चिंकारा, भारतीय गेजल और चीतल की है. इनके अलावा नील गाय, सांभर, चौसिंघा, ब्लैक बक, भालू, बंदर और लंगूर भी हैं. यहां पट्टीदार हाइना, जंगली बिल्ली, लोमड़ी आदि वाइल्ड लाइफ को आसानी से घूमते देखा जा सकता है. हर साल यहां हजारों प्रवासी पक्षी भी आते हैं.

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