
शिवपुरी की रामसर साइट का दर्जा हासिल माधव लेक झील अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है और उसे चारों तरफ से जलकुंभी ने घेर रखा है. इसके संरक्षण के लिए प्रशासनिक तौर पर कोई बड़े कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. यही वजह है कि एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में इस झील के संरक्षण को लेकर कई सवाल खड़े किए थे. इसके बाद एक जनहित याचिका झील संरक्षण को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में लंबित है, जिसकी पैरवी एडवोकेट निपुण सक्सेना और उनके सहयोगी वकील कर रहे हैं.

अदालत में पेशी के दौरान इस मामले में बड़ा फैसला आया है और हाईकोर्ट ने मामले में सभी संबंधित अधिकारियों को 5 अगस्त को पेश होने के लिए समन जारी कर दिया है. एनडीटीवी की खबर के बाद सामने आए इस मामले को लेकर हाई कोर्ट ने पहले भी झील के संरक्षण को लेकर कड़े निर्देश जारी र चुका है. रामसर साइट का दर्जा हासिल होने के बावजूद भी झील को संरक्षित करने के प्रयास में कोताही बरती गई.

एनडीटीवी ने दो बार प्रमुखता से दिखाई खबर
सिंधिया स्टेट में संरक्षित और विकसित की गई मध्य प्रदेश की रामसर साइट दर्जा हासिल इस झील का नाम संख्या सागर सिंधिया राजघराने से जुड़ा हुआ है झील माधव नेशनल पार्क टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आती है जिसे रिजर्व क्षेत्र में संरक्षित और विकसित किए जाने का दायित्व वन क्षेत्र के तहत वन मंडल शिवपुरी का है.
साथ ही इस झील को संरक्षित करने के लिए PHE विभाग एवं नगर पालिका भी बराबर के जिम्मेदार है यही वजह है कि कोर्ट ने इन सब के जिम्मेदार अधिकारियों को उपस्थित रहने के निर्देश जारी कर दिए हैं
कोर्ट ने किस-किस से कहा हाजिर हो
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ग्वालियर खंडपीठ ने आदेश जारी करते हुए संबंधित पीएच विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर वन मंडल के सीसीएफ ग्वालियर डिविजन के तहत तथा सीएमओ नगर पालिका को मुख्य रूप से उपस्थित रहने के दिशा निर्देश जारी करते हुए समन जारी किया है. बताना जरूरी है की अदालत ने इससे संबंधित और भी कई अधिकारियों को समन जारी करते हुए 5 अगस्त को अगली सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने के लिए कहा गया है.
झील को संरक्षण करने के लिए अब तक क्या हुआ
झील बेहद आकर्षक एवं खूबसूरत होने के साथ-साथ अपना प्राचीन महत्व रखती है और यही वजह है कि जनहित याचिका के दौरान इसे लेकर माननीय उच्च न्यायालय ग्वालियर खंड पीठ चिंतित है. इससे संबंधित ग्वालियर हाई कोर्ट ने झील को संरक्षित करने के दिशा निर्देश जारी किए थे अधिकारियों ने उसे हवा हवा में लेकर सिर्फ एक जलकुंभी निकालने के लिए मशीन झील में उतारी लेकिन उसका कोई खास असर नहीं पड़ा और झील में आज भी जलकुंभी का कब्जा है.
इससे झील और उसमें रहने वाले जीव जंतु दुखी एवं परेशान है यही वजह है कि इस बार हाई कोर्ट को सख्त रवैया के साथ पेश आकर सभी संबंधित अधिकारियों को उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं.
बताना यह भी जरूरी है कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दिशा निर्देश जारी करते हुए झील को एक समय सीमा के तहत जलकुंभी से मुक्त करने की बात कहते हुए आदेश दिए थे
क्या कहते हैं याचिका के पक्षकार
हाईकोर्ट मामले को लेकर बेहद संवेदनशील है. जो तर्क न्यायालय के समक्ष रखे गए हैं, उनको विचारण में लेकर आगे की कार्रवाई सुनिश्चित कर रही है.
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