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This Article is From Dec 23, 2024

NGT ने एमपी को थमाया नोटिस, सीएक्यूएम से मांगा जवाब, एमपी क्यों बना पराली जलाने में नंबर वन

NGT Notice to MP Government: एनजीटी ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम), केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) के अधिकारियों को मामले में प्रतिवादी बनाया है.

NGT ने एमपी को थमाया नोटिस, सीएक्यूएम से मांगा जवाब, एमपी क्यों बना पराली जलाने में नंबर वन
नयी दिल्ली:

NGT Notice: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में पराली जलाने के बढ़ते मामलों पर गंभीर चिंता जताई है. एक मीडिया रिपोर्ट में राज्य में पराली जलाने की 11,382 घटनाओं का जिक्र किया गया था, जिसके आधार पर एनजीटी ने ये नोटिस भेजा है. इसमें एनजीटी ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से जवाब तलब किया है. गौरतलब है कि यह संख्या पंजाब में पराली जलाने के 9,655 मामलों से भी अधिक है.

पराली जलाने से जुड़े आंकड़े और प्रमुख क्षेत्र

राज्य में सबसे ज्यादा प्रभावित जिले श्योपुर है. यहां पराली जलाने के 2,424 मामले सामने आए. वहीं, नर्मदापुरम से पराली जलाने के 1,462 मामले सामने आए हैं. पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि को धान की खेती में बढ़ोतरी से जोड़ कर देखा जा रहा है, जो पिछले दशक में दोगुनी हो चुकी है.

किसानों की मजबूरी और समाधान की कमी

एनजीटी ने इस बात पर भी ध्यान दिलाया है कि पराली जलाने के विकल्पों की अनुपलब्धता के कारण कई किसान इसे जलाने को मजबूर हैं. हालांकि, बैतूल और बालाघाट जैसे जिलों में कुछ किसानों ने टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल तरीकों को अपनाया है.

सीएक्यूएम और अन्य संस्थानों से जवाब तलब

एनजीटी ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम), केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) के अधिकारियों को मामले में प्रतिवादी बनाया है. अधिकरण ने इन सभी पक्षों को नोटिस जारी कर 10 फरवरी को भोपाल में मामले की सुनवाई के लिए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ ने इस समस्या को गंभीर मानते हुए कहा कि यह मुद्दा पर्यावरण और किसानों की आजीविका दोनों के लिए हानिकारक है.

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