National Green Tribunal: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी (NGT) ने मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सभी कलेक्टर (Collector) को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे ग्रीन पटाखा फर्जीवाडे (Green Cracker Fraud) को गंभीरता से लेकर दंडात्मक कार्रवाई करें. इसके तहत पर्यावरणीय मुआवजा भी वसूला जाए. एनजीटी के न्यायमूर्ति (NGT Justice) शिव कुमार सिंह व एक्सपर्ट मेम्बर डॉ अफराेज अहमद की युगलपीठ ने अपने आदेश के अनुच्छेद-25 (Article 25) में तल्ख टिप्पणी करते हुए इस बात पर चिंता जताई कि राज्य में ग्रीन पटाखों के लेबल लगाकर प्रतिबंधित रसायनों के पटाखे बेचे जा रहे हैं. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला?
किसने लगायी थी याचिका?
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच, जबलपुर के प्रांताध्यक्ष डॉ पीजी नाजपांडे व रतज भार्गव की ओर से अवमानना याचिका लगाई गई थी जिस पर सुनवाई करते हुए एनजीटी की युगलपीठ ने अपने आदेश में आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी के पूर्व दिशा-निर्देशों का खुला उल्लंघन हो रहा है. लिहाजा, एमपी के सभी जिला कलेक्टर अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लेकर ठोस कार्रवाई के लिए आगे आएं.
मध्य प्रदेश सरकार के परिपत्र का दिया हवाला
अवमानना याचिकाकर्ताओं डाॅ नाजपांडे व भार्गव की ओर से अधिवक्ता प्रभात यादव ने पक्ष रखा. उन्होंने एनजीटी को इस बारे में अवगत कराया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार मप्र शासन ने 31 अक्टूबर, 2021 को परिपत्र जारी कर पटाखों की टेस्टिंग व पटाखे बेचने वालों से अंडरटेकिंग लेने के निर्देश सभी जिलों में भेजे थे. लेकिन महज कागजी कार्यवाही की गई. नतीजतन दीवाली की रात व दूसरे दिन आबोहवा बुरी तरह प्रदूषित हुई. जबलपुर, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर में खराब वायु से नागरिक स्वास्थ पर प्रतिकूल प्रभाव परिलक्षित हुआ.
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