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नगर निगम के शोषण से आहत कर्मचारी ने खाई सल्फास की गोलियां, बमुश्किल बची जान

MP Municipal Corporation : रतलाम नगर निगम में बड़े अधिकारी अपने कर्मचारियों का ऐसा शोषण कर रहे हैं कि अब उन्हें सल्फास की गोलियां तक खानी पड़ रही है. ताजा घटना रतलाम नगर निगम में उस समय देखने को मिला जब प्रभारी कार्यालय अधीक्षक गोपाल झालीवाल ने धरना देकर सल्फास की गोलियां खाने की कोशिश की.

नगर निगम के शोषण से आहत कर्मचारी ने खाई सल्फास की गोलियां, बमुश्किल बची जान
नगर निगम के शोषण से आहत कर्मचारी ने खाई सल्फास की गोलियां, बमुश्किल बची जान

Ratlam News : रतलाम नगर निगम में बड़े अधिकारी अपने कर्मचारियों का ऐसा शोषण कर रहे हैं कि अब उन्हें सल्फास की गोलियां तक खानी पड़ रही है. ताजा घटना रतलाम नगर निगम में उस समय देखने को मिला जब प्रभारी कार्यालय अधीक्षक गोपाल झालीवाल ने धरना देकर सल्फास की गोलियां खाने की कोशिश की. दरअसल, गोपाल झालीवाल और उनके साथ एक दर्जन से अधिक कर्मचारी नगर निगम के लेखापाल विजय बालोत्रा के कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर रहे थे. इन कर्मचारियों का चौथा वेतनमान पिछले दो महीने से बिना किसी स्पष्ट आदेश के रोक दिया गया था, जिससे वे काफी परेशान थे. प्रदर्शन के दौरान गोपाल झालीवाल ने सल्फास की गोलियां खाकर अपनी जान देने की कोशिश की. हालांकि, आसपास के लोगों ने समय रहते उन्हें रोक लिया और सल्फास की गोलियां उनसे छीन लीं. इस घटना के बाद नगर निगम में हंगामा मच गया और वहां की स्थिति तनावपूर्ण हो गई.

नगर निगम पर लगे शोषण के आरोप

कर्मचारी गोपाल झालीवाल और अन्य प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने नगर निगम के लेखापाल विजय बालोत्रा पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि बिना किसी कारण के उनका वेतनमान रोक दिया गया, जिससे वे मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हो गए.

मामले को लेकर क्या बोले जिम्मेदार ?

घटना के बाद उपायुक्त दंडोतिया ने इसे दो कर्मचारियों के बीच गलतफहमी का परिणाम बताया है. हालांकि, इस घटना ने नगर निगम के अंदर छोटे कर्मचारियों के साथ हो रहे शोषण को उजागर कर दिया है, जो कि अपनी समस्याओं से इस हद तक परेशान हो गए हैं कि उन्हें आत्महत्या जैसा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

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नगर निगम के अधिकारियों पर उठे सवाल

इस घटना ने नगर निगम के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जो कि अपने कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करने में असफल साबित हो रहे हैं. कर्मचारियों के प्रदर्शन के बावजूद, उनकी मांगों को नजरअंदाज करना और उन्हें प्रताड़ित करना अधिकारियों की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है. घटना के बाद नगर निगम के अधिकारियों से इस मुद्दे पर कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.

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