
MP Judicial Service Rules 2023: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें तीन साल की प्रैक्टिस की अनिवार्यता के बिना सिविल न्यायाधीश के पद पर भर्ती को प्रतिबंधित किया गया था. ‘मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा (भर्ती और सेवा की शर्तें) नियम, 1994' को 23 जून, 2023 को संशोधित किया गया था, जिसमें दीवानी न्यायाधीश प्रवेश-स्तर की परीक्षा में बैठने के लिए तीन साल के वकालत के अनुभव को अनिवार्य बनाया गया था.
उच्च न्यायालय ने इन संशोधित नियमों को बरकरार रखा था. हालांकि, चयनित नहीं हुए दो उम्मीदवारों ने यह दावा किया कि यदि संशोधित नियम लागू किए जाते हैं, तो वे पात्र हो जाते. इसके साथ ही उन्होंने ‘कट-ऑफ' की समीक्षा करने का अनुरोध भी किया.
हाईकोर्ट ने भर्ती पर लगाई रोक
उच्च न्यायालय ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए निर्देश दिया था कि प्रारंभिक परीक्षा में सफल उन उम्मीदवारों को बाहर कर दिया जाए, जो संशोधित भर्ती नियमों के तहत पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते.
सुप्रीम कोर्ट की हस्तक्षेप
न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर अपनी अपील में, याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि खंडपीठ इस बात को समझने में विफल रही कि सुविचारित निर्णय की समीक्षा केवल तभी हो सकती है, जब रिकॉर्ड में कोई स्पष्ट गलती हो.
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संशोधित भर्ती नियमों के तहत पात्र विधि स्नातकों से आवेदन आमंत्रित करते हुए 17 नवंबर 2023 को एक विज्ञापन जारी किया गया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश द्वारा सभी विधि स्नातकों को प्रारंभिक परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी है.
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