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OBC आरक्षण पर MP हाई कोर्ट ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल, जनिए HC ने कैसे लगा दी क्लास?

OBC Reservation in MP : मध्य प्रदेश विधानसभा ने साल 2019 में ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का विधेयक पारित किया था. वहीं इस विधेयक के ख़िलाफ़ कई याचिकाएं दायर की गई थीं. इन याचिकाओं में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक, एससी, एसटी, और ओबीसी के लिए कुल आरक्षण 50% से ज़्यादा नहीं हो सकता.

OBC आरक्षण पर MP हाई कोर्ट ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल, जनिए HC ने कैसे लगा दी क्लास?
OBC Reservation in MP : हाईकोर्ट की फटकार

OBC Reservation In MP: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने राज्य सरकार (MP Government) से स्पष्ट किया है कि यदि ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण (OBC Reservation) देने का कानून बनाया गया है, तो उसे लागू क्यों नहीं किया जा रहा है? बुधवार को हुई सुनवाई में उन याचिकाओं पर चर्चा हुई, जिनमें सरकार द्वारा 13% पदों को होल्ड करने को चुनौती दी गई है. इस मुद्दे पर लगभग 300 ओबीसी और ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों ने याचिकाएं दायर कर रखी हैं. इस मामले में चीफ जस्टिस (Chief Justice of MP) सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने अलग-अलग याचिकाओं को एक साथ लिंक करके सुनवाई करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को तय की गई है.

सरकार पर कानून लागू न करने का आरोप

टीकमगढ़ की निकिता सिंह व अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट में पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि 27% आरक्षण देने वाले कानून पर कोई रोक नहीं है, फिर भी सरकार इसे लागू नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने पूर्व में पारित एक अंतरिम आदेश का हवाला देकर ओबीसी के हजारों उम्मीदवारों के चयन को होल्ड कर दिया, जो पूरी तरह अवैधानिक है.

महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने जवाब दिया कि उक्त कानून को कई याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई है, इसलिए इसे लागू नहीं किया जा रहा. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि जब तक किसी कानून की संवैधानिकता तय नहीं हो जाती, उसे निलंबित नहीं किया जा सकता.

सरकार की मंशा पर सवाल

सुनवाई के दौरान यह भी तर्क दिया गया कि सरकार जानबूझकर इस कानून को लागू नहीं करना चाहती. ओबीसी आरक्षण से जुड़े कई मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित किया गया है और राज्य सरकार बार-बार सुनवाई की तारीख बढ़वाने का प्रयास कर रही है. इस स्थिति के चलते प्रदेश के हजारों उम्मीदवार प्रभावित हो रहे हैं, और उनका भविष्य अनिश्चितता में है. हाईकोर्ट ने इस गंभीर मुद्दे पर राज्य सरकार से ठोस जवाब देने को कहा है.

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