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भोपाल गैस त्रासदी : MP हाई कोर्ट ने दिखाई सख्ती, कहा- एक महीने में हटाएं यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा

Bhopal Gas Tragedy Case: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने भोपाल (Bhopal) स्थित यूनियन कार्बाइड (Union Carbide Toxic Waste) से जहरीला कचरा 4 सप्ताह में हटाने के आदेश जारी किये हैं. ऐसा नहीं करने पर प्रदेश के मुख्य सचिव और भोपाल गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास विभाग के प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण पेश करना होगा.

भोपाल गैस त्रासदी : MP हाई कोर्ट ने दिखाई सख्ती, कहा- एक महीने में हटाएं यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा

MP High Court News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) की युगलपीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of MP High Court) सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन शामिल हैं, ने भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड परिसर से जहरीले कचरे को एक महीने के भीतर हटाने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने सभी विभागों को एक सप्ताह के भीतर संयुक्त बैठक कर जरूरी प्रक्रियाएं पूरी करने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने साफ तौर पर चेतावनी दी है कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया, तो संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. मुख्य सचिव और भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) राहत एवं पुनर्वास विभाग के प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा गया है. अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी.

सालों से लंबित है मामला

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कोर्ट को बताया कि यह मामला 2004 से लंबित है. जनहित याचिकाकर्ता एपी सिंह के निधन के बाद कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की. गौरतलब है कि 1984 की भोपाल गैस त्रासदी में यूनियन कार्बाइड से जहरीली गैस रिसाव के कारण 4,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. त्रासदी के बाद फैक्टरी में 350 मीट्रिक टन जहरीला कचरा पड़ा है, जिसका निपटान अब तक नहीं हो सका है.

केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसने अपने हिस्से के 126 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं, लेकिन राज्य सरकार ने इसे खर्च नहीं किया. राज्य सरकार ने बताया कि ठेकेदार को 20% राशि का भुगतान कर दिया गया है, लेकिन उसने अब तक काम शुरू नहीं किया.

कचरे का निपटान पीथमपुर में संभव

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारी ने जानकारी दी कि जहरीले कचरे का निपटान पीथमपुर में किया जाना है. इसके लिए आवश्यक तैयारी पूरी है, और 12 ट्रकों का उपयोग कचरा परिवहन के लिए किया जा सकता है. राज्य सरकार को तीन सप्ताह में इस प्रक्रिया को गति देने के लिए कहा गया है.

भोपाल गैस त्रासदी: एक दर्दनाक इतिहास

भोपाल गैस त्रासदी 2-3 दिसंबर 1984 की रात हुई थी, जब यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से मीथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ. इस हादसे को इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी माना जाता है. जहरीली गैस ने हजारों लोगों की जान ले ली और लाखों प्रभावित हुए, जिनमें से कई आज भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं. इस हादसे ने न केवल देश में औद्योगिक सुरक्षा मानकों की खामियों को उजागर किया, बल्कि वैश्विक स्तर पर कॉर्पोरेट जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़े किए. इस त्रासदी के पीड़ित आज भी न्याय और पुनर्वास की मांग कर रहे हैं.

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