
Aryan sir: पुलिस या जेल की वर्दी पहनने के बाद जहां कर्मचारी अपराध के नियंत्रण और अपराधियों को पकड़े के फर्ज को निभाते देखे जाते हैं, लेकिन मैहर जिले में एक ऐसा भी जेल प्रहरी है जो ड्यूटी से फुर्सत मिलते ही स्कूल का रुख कर लेता है. किताब लेकर चॉक डस्टर के साथ ब्लैकबोर्ड में पढ़ाने लगता है. यह सिलसिला पिछले दो सालों से चल रहा है. बात मैहर में पदस्थ जेल प्रहरी अनिल की है जो इन दिनों बच्चों के बीच ‘आर्यन सर' के नाम से मशहूर हैं.
बच्चों को नि:शुल्क में पढ़ाते हैं अनिल
अनिल जब भी ड्यूटी से खाली होते हैं तो सीधे संदीपनी विद्यालय मैहर पहुंच जाते हैं और बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाते हैं. वो किसी एक विषय तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हिंदी, इंग्लिश, फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी और मैथ जैसे कठिन विषयों को सरलता से समझा देते हैं.

विद्यालय के छात्र-छात्राओं का कहना है कि आर्यन सर जेल प्रहरी हैं, लेकिन कक्षा में बिल्कुल एक अच्छे शिक्षक की तरह हमें ट्रीट करते हैं. जब कक्षा खाली रहती है तो वे खुद आकर पढ़ाना शुरू कर देते हैं. उनका पढ़ाने और समझाने का तरीका अलग है. धैर्य और मोटिवेशन से भरा हुआ. कठिन से कठिन सवालों को वे चुटकियों में हल करवा देते हैं.
खुद के संघर्ष से मिली प्रेरणा
अनिल को नहीं आर्यन सर को सब जानते हैं. उन्होंने बताया कि बचपन में पढ़ाई के दौरान मुझे कभी कोई मोटिवेशन देने वाला नहीं मिला. कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा. उसी कमी को पूरा करने के लिए मैंने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. नौकरी लगने से पहले भी मैं 10वीं और 12वीं के छात्रों को पढ़ाता था.'
विद्यालय प्रबंधन ने की सराहना
संदीपनी विद्यालय के प्राचार्य डी.पी. गोस्वामी ने बताया कि आर्यन पिछले दो वर्षों से हमारे विद्यालय में पढ़ा रहे हैं. जब उन्होंने स्वयं यहां पढ़ाने की इच्छा जताई तो हमने पहले ट्रायल लिया और बच्चों से फीडबैक लिया. बच्चों के बताए अनुसार उनका पढ़ाने का तरीका बेहद प्रभावी है, इसलिए उन्हें क्लास देना शुरू कर दिया गया. वर्दी और किताब दोनों का संतुलन साधते हुए आर्यन सर आज मैहर के बच्चों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं.