
Madhya Pradesh Police: आम तौर पर जब भी दो लोगों या पक्षों में विवाद होता है तो वे इंसाफ के लिए सबसे पहले पुलिस स्टेशन जाते हैं और वहां जो सबसे बड़े अधिकारी उन्हें मिलते हैं वे हैं थानेदार. जनता को उम्मीद होती है कि वर्दी पर थ्री स्टार लगा रखा ये अधिकारी उन्हें न्याय दिलाएगा लेकिन मध्यप्रदेश में इन दिनों हालात कुछ अलग हैं. यहां कुछ ऐसे थानेदारों के मामले सामने आ रहे हैं जिनकी अपराधियों से सांठगांठ की बात सामने आई है.
ऐसा माना-समझा जाता है कि थानेदारों का इकबाल इतना होता है कि अपराधी उनसे कतराते हैं लेकिन MP में कुछ ऐसे थानेदार हैं जिनका नाम सुनते ही अपराधी मुस्कुराने लगे हैं. आलम ये है कि पुलिस मुख्यालय भी इससे परेशान नजर आ रहा है...ये वो थानेदार हैं जिनकी कारगुज़ारियों को आप सुनेंगे तो आप खुद भी हैरान रह जाएंगे. क्या है पूरा मामला देखते हैं इस रिपोर्ट में. सबसे पहले बात कुछ ताजा मामलों की

NDTV से कुछ पीड़ितों ने भी बात की. सिवनी में जिन दो युवकों की हत्या हुई उनके मामा संजय बघेल कहते हैं- मैंने थानेदार साहब को अपराधी की शिकायत की थी लेकिन उन्होंने आरोपी को शहर से रवाना कर दिया. ऐसे छेड़छाड़ की शिकार युवती के मामले में परिवार के एक करीबी शख्स विमल राठौर कहते हैं- जब जांच अधिकारी ही समझौते के ऑफर दें, तो फिर बेटी की सुरक्षा भगवान भरोसे ही होगी न. वैसे आपको बता दें कि ये मामले सिर्फ नमूने हैं.पूरी लिस्ट इतनी लंबी है कि थानों के बाहर शिकायत नहीं, रजिस्टर ही कम पड़ जाएं. हद ये है कि इन मामलों में सजा के नाम पर थानेदारों को लाइन अटैच किया जाता है. लाइन अटैच का एक मतलब ये भी होता है कि छुट्टी पर रहते हुए सैलरी मिलना. हालांकि भोपाल के पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा का कहना है कि कुछ मामलों की जांच चल रही है, कुछ में तो कार्रवाई भी हो चुकी है.
अब तो कई जानकार तंज कसते हुए कहने लगे हैं- पुलिस का काम अब अपराध रोकना नहीं, अपराधी को सही ‘exit route' बताना हो गया है. रिटायर्ड स्पेशल डीजी शैलेंद्र श्रीवास्तव से जब हमने पूछा तो उन्होंने कहा-पुलिस भी समाज का ही हिस्सा है और जो हर जगह होता है वो पुलिस में भी होता है. लेकिन आज आप पुलिसकर्मियों के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं और इस पर कार्रवाई भी होती है.
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