Madhya Pradesh News: लोकसभा (Loksabha Election) के पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को होनी है. जिसमें अब ज्यादा समय नहीं बचा है. चुनाव आयोग (Election Commission) भी पूरी कोशिश में है कि कैसे भी वोटिंग प्रतिशत को बढ़ाया जाए. लेकिन मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना (Satna) से एक ऐसा मामला सामने आया है जो चुनाव आयोग के साथ-साथ सत्ताधारी दल के लिए झटका कहा जा सकता है. इस जिले के इटमा के लोगों ने "रोड नहीं तो वोट नहीं" का ऐलान कर दिया है.
सतना : लोकसभा चुनाव से पहले ग्रामीणों का बड़ा ऐलान, "रोड नहीं तो वोट नहीं"#LokSabhaElections2024 pic.twitter.com/6TpR3mJKgQ
— NDTV MP Chhattisgarh (@NDTVMPCG) April 7, 2024
शिवराज सिंह चौहान ने किया था सड़क बनवाने का वादा
सतना जिले के सोहावल विकासखंड की इटमा पंचायत में चार साल पहले रैगांव विधानसभा के उपचुनाव के दौरान ग्रामीणों को पुल और सड़क बनाने का आश्वासन दिया गया था, जो आज तक पूरा नहीं हुआ है. अपनी मांग पूरी न होने से नाराज ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है. ग्रामीणों का आरोप है कि रैगांव विधानसभा के उपचुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने सड़क और पुल बनाने का वादा किया था. मगर 4 साल गुजर जाने के बाद इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है. सरकार की वादा खिलाफी से नाराज इटमा गांव के सैकड़ो ग्रामीणों ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर कर पहले जिला कलेक्टर अनुराग वर्मा को लोकसभा के मतदान का बहिष्कार करने से संबंधित आवेदन दिया. इसके साथ रविवार को पोस्टर लगाकर नारेबाजी भी की.
बरसात के दिनों में होती है काफी समस्या
ग्राम पंचायत की सरपंच के पति राकेश बागरी ने बताया कि इटमा ग्राम पंचायत की बसाहट में शामिल चरघटा नाला के पुल और छोटा इटमा की सड़क बनाने के लिए लगातार मांग की जा रही है. तमाम किसान परिवारों को पुल और सड़क की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ता है. बरसात के दिनों में वैकल्पिक व्यवस्था पूरी तरह से तहस - नहस हो जाती है जिससे खेती - किसानी का काम काफी प्रभावित होता है. ग्रामीणों के मुताबिक पुल और सड़क नहीं होने के कारण कई खेत खाली पड़े रह जाते हैं. जिससे किसानों की माली हालत भी खराब हो रहा है. पुल की लंबाई लगभग 35 फ़ीट है जबकि सड़क लगभग 900 मीटर की ही है.
हर साल मिट्टी डलवाती है ग्राम पंचायत
किसानों की सहूलियत के लिए ग्राम पंचायत बरसात के बाद आगमन बहाल करने के लिए हर मिट्टी डलवाता है. जिस पर लगभग 15 से 20 हजार रुपये खर्च होते हैं. यह राशि या तो ग्राम पंचायत का सरपंच अपनी जेब से खर्च करता है या फिर गांव वाले चंदा एकट्ठा करके रास्ता बनाते हैं. अगर शासन - प्रशासन स्तर पर पुल और सड़क निर्माण मंजूर हो जाए तो यह वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करनी पड़ेगी.
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राज्य मंत्री की गृह विधानसभा में है पंचायत
सोहावल विकासखंड की इटावा ग्राम पंचायत प्रदेश सरकार की राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी की गृह विधानसभा में आती है. बताया जाता है कि ग्रामीणों के द्वारा अपनी समस्या के संबंध में सतना सांसद गणेश से और राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी को भी अवगत कराया गया था. मगर दोनों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. वहीं अब गांव के तमाम लोग लोकसभा चुनाव 2024 के मतदान का बहिष्कार करने का ऐलान कर चुके हैं.
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