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रसगुल्ला चुराया, नमक चुराया और बकरियां चुराई पर पुलिस 'मुस्कुराई' ! नए कानून का ये झोल आपको पता है?

Madhya Pradesh Crime: मध्यप्रदेश के जबलपुर से चोरी के तीन छोटे-छोटे केस सामने आए हैं. रसगुल्ला चोरी,बकरी चोरी और नमक की पांच बोरियों की चोरी की. फरियादी पुलिस के पास पहुंचे अपनी शिकायत लेकर तो पुलिस ने नए कानून का हवाला देकर इसे असंज्ञेय अपराध बताया. क्या है पूरा मामला समझिए इस रिपोर्ट में

रसगुल्ला चुराया, नमक चुराया और बकरियां चुराई पर पुलिस 'मुस्कुराई' ! नए कानून का ये झोल आपको पता है?

Jabalpur Crime: हरिशंकर परसाई का शहर -जबलपुर-कभी संस्कारधानी कहलाया करता था लेकिन अब यहां चोरी की नई किस्में पैदा हो रही हैं—रसगुल्ला चोरी, बकरी चोरी और  नमक की पांच बोरियों की चोरी, वो भी एक्टिवा में रखकर बड़े ठाठ से ! इससे पहले की आप कुछ और सोचें...हम आपको बता दें कि जबलपुर में ये वारदातें हुई हैं और पुलिस के पास शिकायत भी पहुंची है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई...मतलब फरियादियों को इंसाफ नहीं मिला वो भी तब जब पुलिस मानती है कि ये जुर्म है...आप पूछेंगे ऐसा क्यों? तो इसी सवाल का जवाब मिलेगा आपको इस रिपोर्ट में. अलग-अलग केस स्टडी को जानने से पहले आप कानून की नई किताब की कुछ नई बातें जान लीजिए. 

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पहली कहानी- रसगुल्ले की चोरी 

जबलपुर के सिहोरा के एक बेकरी शॉप में जब दुकानदार नींद के आगोश में था और सपनों में समोसे तल रहा था, तभी स्कूटी सवार दो युवक उसकी दुकान पर आए.CCTV में दिखता है कि एक ने मुँह ढका था, दूसरा मानो चोरी की नैतिक निगरानी कर रहा हो. दोनों ने मौका देखा, रसगुल्ला उठाया, और गुटखे के पाउच को बोनस समझ के साथ ले गए. चोरी की कुल लागत निकली—125 रुपए. सुबह जब दुकानदार उठा तो अपनी शिकायत लेकर थाने पहुंच गया पर पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया. दुकानदार को बताया गया कि ये पाप तो हुआ है लेकिन जुर्म नहीं है. 

दूसरी कहानी- 5 बोरी नमक की चोरी 

जबलपुर में ही चार दिनों बाद स्वाद का दूसरा अध्याय खुला – देवताल में. यहां रात की खामोशी में एक सफेद एक्टिवा पर आए चोर ने 5 बोरी नमक पर हाथ फेर दिया. CCTV में दिख रहा है कि चोर इतनी शांति से चोरी कर गया मानो किराने की नहीं, अपनी शादी की खरीदारी करने आया हो. पांच बोरी नमक की ये चोरी जयपाल प्रजापति की दुकान में हुई और इसका कुल मूल्य लगभग 1000 रुपए है. चोर आया, नमक लादा, मुस्कराया और निकल गया—मानो किराना नहीं, कोई डोमिनोज़ डिलीवरी हो. जयपाल पुलिस के पास गए तो उनकी शिकायत पर भी FIR नहीं हुई. 

तीसरी कहानी- बकरी की चोरी

जबलपुर के अधारताल में चार शातिर चोर 9 बकरियां लग्ज़री कार में भरकर फरार हो गए—जैसे बारात नहीं, बकरात निकली हो. बकरियों के मालिक हेमंत रजक सुबह उठे तो देखा बाड़ा खाली है. शिकायत पर  पुलिस पहुंची तो CCTV में कार की तस्वीरें दिखीं . छानबीन हुई तो अयान, योगेन्द्र, मोहसिन, उमर पकड़े गए. उनके कब्जे से 8 बकरियां बरामद हुईं, एक अभी भी फरार है. लेकिन पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश नहीं किया. 

5000 से कम की चोरी है तो अपराध असंज्ञेय होगा

अब सवाल यह है कि जबलपुर में चोरी हो रही है या ज़ायकेदार क्राइम फेस्टिवल? दरअसल न्याय की नई किताब कहती है – अगर चोरी ₹5000 से कम है, तो केस नहीं, कोर्स वर्क है. कोई रसगुल्ला खा जाए, या नमक चुरा ले… पहले कोर्ट जाओ, फिर इंसाफ मांगो. अब पुलिस FIR नहीं, 'फूड आइटम रिकॉल' रिपोर्ट बना रही है. जबलपुर के एडिशनल SP सूर्यकांत शर्मा बताते हैं कि भारतीय न्याय संहिता  जो नया हमारा कानून है उसकी धारा 303 चोरी के अपराध के लिए दंड निर्धारित करती है. उसमें 5000 से कम की जो चोरी होती है उसे असंज्ञेय अपराध माना गया है. इसमें हम रिपोर्ट तो लिखते हैं लेकिन वह अदमचेक होता है. उसमें हम फरयादी को न्यायालय जाने की सलाह देते हैं. यदि अपराध 5000 से उपर की है तो हम विधिवत FIR दर्ज करके उसकी विवेचना करते हैं. उसमें 5 वर्ष तक कारावास की सजा का प्रावधान है. अब आपको ये भी बता देते हैं कि अदमचेक क्या है? 

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"पुलिस दुरुपयोग न कर ले इसलिए हुआ ये प्रावधान"

हम तो यही कहेंगे कि हरिशंकर परसाई अगर आज होते तो शायद लिखते –जबलपुर में अब चोर भी पढ़ा-लिखा है… वो जानता है कि कौन सी चीज़ चुरानी है और किस धारा में वो सिर्फ चेतावनी पाकर बच निकलेगा. वैसे कानून के जानकार इस पर क्या कहते हैं ये भी जान लीजिये. वकील विशाल बघेल के मुताबिक अपराध विधि में मजिस्ट्रेट का बंधन लगाया जाना इसलिए जरूरी है क्योंकि यदि पुलिस को ऐसे असंख्य अपराध में कार्रवाई करने के अधिकार मिल जाते हैं तो इनके दुरुपयोग की संभावनाएं पहले से ही जो चल रही होती है और बढ़ जाती है. अब यदि संबंधित मजिस्ट्रेट को यह प्रतीत होता है कि यह मामला कोंग्लिजांस  लेने लायक है तो वह उसमें अपना अपनी राय दे कर इस संबंध में निर्देश दे सकते हैं. 

अदमचेक लगेगा या इंसाफ मिलेगा?

मतलब अब चोरी भी क्लास और सेक्शन देखकर होती है. चोरी की कीमत ₹5000 से कम हो गई, तो नया कानून यानी भारतीय न्याय संहिता की धारा 303(2) कहती है—जुर्म है... मगर इतना भी नहीं कि पुलिस परेशान हो. इतना ही नहीं यदि सबूत थोड़ा इधर-उधर निकला, तो पुलिस पेश करती है ‘अदमचेक रिपोर्ट'—यानी ‘हमने देखा, समझा, कुछ नहीं मिला, अब आप कोर्ट जाइए, हम थाने में चाय पीते हैं. यानि बकरी,रसगुल्ला और नमक की हर छोटी चोरी के बाद सबसे जरूरी सवाल उठेगा- अदमचेक लगेगा या इंसाफ मिलेगा?' 

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