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This Article is From Nov 27, 2023

MP Elections: बुंदेलखंड में दागी और बागी बने मुसीबत, क्या अब की बार चलेगी बदलाव की बयार? 

MP Elections: बुंदेलखंड में दागी और बागी बने मुसीबत, क्या अब की बार चलेगी बदलाव की बयार? 
MP Elections: बुंदेलखंड में दागी और बागी बने मुसीबत, क्या अब की बार चलेगी बदलाव की बयार? 

Madhya Pradesh Assembly Election 2023: छतरपुर (Chhatarpur) की छह सीटों पर उतरे उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 3 दिसंबर को तय हो जाएगा. जिले में इस बार विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) पर प्रत्याशियों से ज्यादा भाजपा (BJP), कांग्रेस (Congress) और सपा (Samajwadi Party) के दिग्गज चेहरों की नजर है क्योंकि बुंदेलखंड (Bundelkhand) में कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां से हार-जीत के साथ ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav), भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma Bharti) और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित कांग्रेस के दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) की साख दांव पर है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने छतरपुर की महाराजपुर (Maharajpur) और निवाड़ी (Niwari) विधानसभा में पूरा जोर लगा दिया है क्योंकि पिछली बार छतरपुर से बिजावर सीट सपा को मिली थी. इसलिए वह प्रदेश में कहीं न कहीं अपना वजूद बनाए रखने के लिए ताबड़तोड़ सभाएं करते रहे. 

बड़े चेहरों ने लगाया एड़ी-चोटी का जोर 

जिले की महाराजपुर सीट पर कांग्रेस से बागी हुए अजय दौलत तिवारी के समर्थन में अखिलेश यादव ने चुनावी सभाएं कीं और नौगांव में पार्टी के लिए लोगों को एक साथ करने का काम किया. बुंदेलखंड में चुनाव के नजदीक कुछ दिनों में अखिलेश यादव खजुराहो में डेरा डाले रहे. चुनावी परिणाम आने में अभी करीब छह दिन बाकी हैं. चुनावी कयास भले ही किसी भी पार्टी के हार-जीत के लगाए जाते रहे हो लेकिन असल फैसला 3 दिसंबर को ही सामने आएगा.  बुंदेलखंड में अपने नाम का झंडा गाड़ने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और सपा मुखिया अखिलेश यादव सभी दिग्गजों ने पूरी ताकत झोंक दी थी. 


दरअसल, इन दिग्गजों के करीबी या चाहने वाले ही चुनावी मैदान में उतरे हैं. इसलिए इन तीनों दिग्गजों की प्रतिष्ठा का भी सवाल है. हालांकि इस बार उमा भारती चुनावी मैदान में कम नजर आईं. खास बात यह है कि बुंदेलखंड की सीटों पर भोपाल और यूपी से नजरें गढ़ी हुई हैं. विधानसभा चुनावों को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने एड़ी-चोड़ी का जोर लगाया है. भाजपा कांग्रेस के प्रभाव के बीच अखिलेश यादव भी नौगांव, निवाड़ी और चंदला आदि सीटों पर अपना झंडा गाड़ने में तुले हुए हैं. क्योंकि इन जगहों पर अखिलेश यादव ने खूब ताकत झोंकी है. 

उम्मीदवारों का भविष्य तय करेगा चुनाव

इस बार का चुनाव जो पिछला चुनाव हारे और इस बार पहली बार चुनाव में खड़े हुए...दोनों ही प्रत्याशियों के लिए बेहद अहम है.  क्योंकि इस बार की हार-जीत आने वाले दिनों की राजनीति तय करेगी. छतरपुर से ललिता यादव के लिए भी यह चुनाव बहुत अहम है. भाजपाइयों के कड़े अंदरूनी विरोध के चलते वह टिकट पाने में कामयाब रही थीं और उन्होंने पूरी दमदारी से चुनाव भी लड़ा है लेकिन छतरपुर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे आलोक चतुर्वेदी भी पहले से ही अपनी चुनावी चौसर बिछाए बैठे थे. यहां कांग्रेस से बागी हुए बब्बू राजा के चुनावी मैदान में आने से त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है.  
 

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इधर ललिता यादव तो शिवराज को जीत की बधाई तक देने पहुंच गई. त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी महाराजपुर कांग्रेस से दौलत तिवारी के बागी होने के बाद से ही महाराजपुर में त्रिकोणीय मुकाबला कहा जा रहा था. यहां त्रिकोणीय मुकाबले में सीट फंसी हुई है. महाराजपुर से पहली बार भाजपा से चुनावी मैदान में उतरे कामाख्या प्रताप सिंह को मिला युवाओं का साथ चुनावी समीकरण बदलने का काम कर सकता है. वहीं, कांग्रेस के नीरज दीक्षित की घर-घर तक पकड़ रही है. उधर, बसपा भी सबसे आगे रहने के दावे कर रहे हैं. ऐसे में इस कड़े चुनावी मुकाबले में कौन किस पर भारी पड़ेगा यह देखना वाकई दिलचस्प रहेगा. बताते चलें कि विधानसभा चुनावों के नतीजें 3 दिसंबर को आएंगे. 

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