
Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के लिए प्रचार अभियान बुधवार शाम को समाप्त हो गया. वहीं, प्रदेश के बालाघाट( Balaghat), मंडला (Mandala) और डिंडोरी (Dindori) के नक्सल प्रभावित (Naxal Effected Belt) जिलों में चुनाव प्रचार दोपहर तीन बजे ही बंद हो गया था. इससे पहले प्रदेश में चुनाव लड़ रहे दलों के नेता राज्य में घूम-घूमकर जनसभाएं, रोड शो करते हुए आरोप-प्रत्यारोप और अपने उम्मीदवारों के लिए वोट मांगने के लिए कई वादे किए .
2,049 मतदान केंद्रों पर होगा मतदान

प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए कुल 2,533 उम्मीदवार मैदान में हैं. यहां सत्ता के लिए मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और विपक्षी कांग्रेस के बीच है. मप्र में कम से कम 5,60,60,925 मतदाता अपने प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेगी. इनमें से 2,88,25,607 पुरुष, 2,72,33,945 महिलाएं और 1,373 तीसरे लिंग के मतदाता हैं. ये सभी शुक्रवार यानी 17 नवंबर को अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे. मध्य प्रदेश में एक चरण में शुक्रवार को मतदान सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक राज्य के 2,049 मतदान केंद्रों पर चलेगा.

आखिरी दिन दिग्गजों ने झोंकी थी ताकत
चुनाव प्रचार के आखिरी दिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, उनकी पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (तीनों भाजपा से) ने अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए मतदाताओं को लुभाने के लिए आखिरी मिनट तक प्रयास किए. प्रचार के आखिरी दिन समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी रैलियों को संबोधित किया. इससे पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन चुनावी सभाओं को संबोधित किया और इंदौर में एक रोड शो किया. केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के मुख्य रणनीतिकार अमित शाह ने भी मंगलवार को जबलपुर में इतनी ही संख्या में सभाओं को संबोधित किया और रोड शो किया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य ने भी मंगलवार को अपने उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया.
भाजपा के इन स्टार प्रचारकों ने किए धुंआधार प्रचार
भाजपा के शीर्ष प्रचारक मोदी ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद प्रदेश का नौ दफा दौरा किया और 14 जनसभाओं को संबोधित किया. सत्ता बरकरार रखने के लिए भाजपा प्रधानमंत्री के करिश्मे और लोकप्रियता पर भारी भरोसा कर रही है. मोदी, शाह और अन्य भाजपा नेताओं ने राज्य और केंद्र की पिछली कांग्रेस सरकारों पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार में शामिल होने और सार्वजनिक धन की लूट का आरोप लगाया और अयोध्या में आगामी राम मंदिर और आदिवासी समाज के कल्याण के बारे में भी बात की.
कांग्रेस की तरफ से इन स्टार प्रचारकों ने बहाए पसीने
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कांग्रेस ने भ्रष्टाचार, ओबीसी सर्वे, बेरोजगारी और महंगाई को बनाया मुद्दा
कांग्रेस का चुनाव प्रचार जाति सर्वेक्षण और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कल्याण के वादे पर केंद्रित था, जो राज्य की आबादी का लगभग 48 प्रतिशत है. प्रियंका गांधी ने 12 जून को मप्र में अपनी पार्टी के अभियान की शुरुआत करते हुए भाजपा पर तीखा हमला बोला और कहा कि मप्र में 220 महीने के भाजपा शासन में 225 'घोटाले' हुए हैं. उन्होंने दावा किया कि पिछले तीन वर्षों में भाजपा सरकार द्वारा राज्य में केवल 21 सरकारी नौकरियां प्रदान की गई. कांग्रेस के अभियान ने बेरोजगारी, महंगाई को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि राज्य में 50 प्रतिशत 'कमीशन राज' व्याप्त है.
जीत कर भी सत्ता से बाहर हो गई थी कांग्रेस
प्रदेश में 2018 के चुनाव के बाद 114 सीटों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसने कमलनाथ के नेतृत्व में बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों की मदद से सरकार बनाई. हालांकि, मार्च 2020 में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके प्रति वफादार कांग्रेस विधायकों के विद्रोह के बाद कमलनाथ शासन का पतन हो गया, जिससे शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ.
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