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Karwa Chauth: पति को मौत के मुंह से खींच लाई पत्‍नी, दोनों किडनी ने छोड़ दिया था साथ, आज की सावित्री की कहानी

Karwa Chauth love story: अब प्रिया और पुरुषोत्तम दोनों स्वस्थ हैं, साथ-साथ खुशहाल जीवन बिता रहे हैं. उनके लिए करवा चौथ अब सिर्फ व्रत नहीं, जीवन का उत्सव बन गया है. आज रात जब आसमान में चांद निकलेगा तो प्रिया भी उसी की तरह चमकेगी क्‍योंकि उसने अपने सुहाग को बचाकर ‘व्रत’ को ‘वरदान’ में बदल दिया है.

Karwa Chauth: पति को मौत के मुंह से खींच लाई पत्‍नी, दोनों किडनी ने छोड़ दिया था साथ, आज की सावित्री की कहानी

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ... वो दिन जब पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए दिनभर निर्जला व्रत रखती है, रात को चांद का दीदार करती है और पत‍ि की सलामती की कामना कर अपना व्रत खोलती है. इस करवा चौथ पर हम आपको बता रहे हैं एक ऐसी सच्ची कहानी, जिसने यह साबित कर दिया कि यह व्रत सिर्फ़ आस्था नहीं, बल्कि वो शक्ति है जो अपने पति की मौत हो भी टाल सकती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया राजगढ़ जिले की प्रिया ने जो अपने पति पुरुषोत्तम को मौत के मुंह से वापस ले आई और उन्‍हें एक नई जिंदगी दे दी.

दरअसल, राजगढ़ जिले के रहने वाले पुरुषोत्तम कोविड के बाद बीमार रहने लगे. उनके सिर में हमेशा दर्द रहता और शरीर में कमजोरी बनी थी. काफी समय तक इससे जूझने के बाद पुरुषोत्तम डॉक्‍टर के पास पहुंचे. जांच हुई तो डॉक्टरों ने बताया कि उनकी दोनों किडनियां फेल हो चुकी हैं. अब सिर्फ किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय है. यह सुनकर पुरुषोत्तम ही नहीं उनके परिवार के पैरों तले जमीन खिसक गई. माता-पिता और भाई-बहन डरे गए, सबसे सामने यही सवाल था कि अब क्‍या होगा. फिर करवा चौथ की कथा की पात्र सावित्री की तरह पुरुषोत्तम की पत्‍नी प्रिया सामने आई. उसने कहा क‍ि अगर, मेरे मेरी किडनी से पति की जान बच सकती है, तो मैं इसके लिए तैयार हूं. प्रिया की यह बात सुनकर परिवार के लोगों ने सुकून की सांस ली.

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ऑपरेशन सफल रहा

किस्‍मत ने भी पुरुषोत्तम और प्रिया का साथ दिया. डॉक्टरों ने जांच कराई तो दोनों का ब्लड ग्रुप और टिश्यू मैच कर गए. इसके बाद ऑपरेशन कर डॉक्‍टरों ने प्र‍िया की एक किडनी पुरुषोत्तम को ट्रांसप्लांट कर दी. ऑपरेशन सफल रहा और पुरुषोत्तम की जान बच गई. पत्‍नी ने जो किया उसे लेकर पुरुषोत्तम आज भी भावुक हैं. वे कहते हैं- मेरी पत्नी मेरे लिए साक्षात माता पार्वती जैसी हैं. वे मुझे मौत के मुंह से खींचकर वापस लाई हैं. हर करवा चौथ मेरे लिए नया जीवन लेकर आता है.

“मेरी ज़िंदगी तुम्हारे कारण है”

अब प्रिया और पुरुषोत्तम दोनों स्वस्थ हैं, साथ-साथ खुशहाल जीवन बिता रहे हैं. उनके लिए करवा चौथ अब सिर्फ व्रत नहीं, उनके जीवन का उत्सव बन गया है. प्रिया हर साल छलनी से चांद देखकर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं, इस दौरान पुरुषोत्तम मुस्कुराते हुए कहते हैं- “अब मैं ही तुम्हारा चांद हूं, मेरी ज़िंदगी तुम्हारे कारण ही है.”

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‘व्रत' को ‘वरदान' में बदला

प्रिया और पुरुषोत्तम की यह कहानी बताती है कि करवा चौथ सिर्फ़ व्रत ही नहीं, नारी शक्ति, त्याग और प्रेम का प्रतीक है जो अपने पति के लिए कुछ भी कर सकती है. आज रात जब आसमान में चांद निकलेगा तो प्रिया भी उसी की तरह चमकेगी क्‍योंकि उसने अपने सुहाग को बचाकर ‘व्रत' को ‘वरदान' में बदल दिया है.

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