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'हरदा फैक्ट्री ब्लास्ट में मारे गए लोगों की सही संख्या छिपा रही सरकार', जीतू पटवारी का बड़ा आरोप

पटवारी ने दावा किया कि कारखाने में मौतों का इतिहास रहा है लेकिन अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई की स्थिति ज्ञात नहीं है. उन्होंने कहा कि बचाव अभियान विशेषज्ञों और फॉरेंसिक टीमों को शामिल किए बिना और लापरवाही से चलाया जा रहा है.

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'हरदा फैक्ट्री ब्लास्ट में मारे गए लोगों की सही संख्या छिपा रही सरकार', जीतू पटवारी का बड़ा आरोप
जीतू पटवारी ने हरदा ब्लास्ट मामले में सरकार पर लगाए बड़े आरोप

Jitu Patwari on Harda Blast: कांग्रेस ने बुधवार को दावा किया कि मध्य प्रदेश सरकार अपने 'अपराध' को छिपाने के लिए पटाखा कारखाना त्रासदी में मरने वालों की वास्तविक संख्या का खुलासा नहीं कर रही है. कांग्रेस ने इस मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच की मांग की है. हरदा के पास मंगलवार की सुबह एक कारखाने में हुए विस्फोट और भीषण आग में मरने वालों की संख्या 11 है, जबकि घायलों की संख्या 217 है.

मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोप लगाया, 'हताहतों की वास्तविक संख्या आधिकारिक आंकड़ों से अधिक है. यह सरकार द्वारा मृतकों की वास्तविक संख्या को छिपाने की साजिश है. अनेक शव हैं. सरकार और प्रशासन अपना गुनाह छुपा रहे हैं.' उन्होंने विस्फोट-आग हादसे को 'सरकार द्वारा निर्मित अपराध' करार दिया और प्रत्येक मृतक के परिवार को एक करोड़ रुपए, प्रत्येक घायल को 10 लाख रुपए और लापता व्यक्तियों के परिजनों को एक करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता देने की मांग की.

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'यह सरकार की लापरवाही के कारण हुई हत्या है'

विस्फोट स्थल का दौरा करने और घायल लोगों से मिलने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए पटवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव को लोगों से माफी मांगनी चाहिए और अधिकारियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या के आरोप में मामला दर्ज किया जाना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया, 'यह सरकार द्वारा प्रेरित अपराध है. यह सरकार की लापरवाही के कारण हुई हत्या है.'

'कारखाने में मौतों का इतिहास रहा है'

पटवारी ने दावा किया कि कारखाने में मौतों का इतिहास रहा है लेकिन अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई की स्थिति ज्ञात नहीं है. उन्होंने कहा, '2018 में इस कारखाने में दो लोगों की मौत हो गई थी, जिसके लिए इसके मालिक को अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी. इसी कारखाने में 2020 और 2022 में तीन-तीन लोगों की मौत हो गई, लेकिन कोई नहीं जानता कि क्या कार्रवाई की गई.'

लापरवाही से चलाया जा रहा बचाव अभियान

पटवारी ने कहा कि बचाव अभियान विशेषज्ञों और फॉरेंसिक टीमों को शामिल किए बिना और लापरवाही से चलाया जा रहा है. घायल व्यक्तियों का हवाला देते हुए, पटवारी ने दावा किया कि 100-150 स्थानीय लोगों सहित लगभग 400-600 लोग कारखाने में काम करते थे और उनमें से 80 प्रतिशत दलित समुदाय के थे. उन्होंने दावा किया कि तीन मंजिल की इमारत में एक तहखाना था और लगभग 100-150 लोग वहां काम कर रहे थे.

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कारखाने में रखे हुए थे हजारों किग्रा विस्फोटक

पटवारी ने कहा, 'कई लोग इमारत से कूदकर भाग गए. यहां तक कि जो लोग सुरक्षित भागे वे भी जीवित नहीं बचे. सभी घायल और जिनकी मौत हुई है वे या तो बाहर (हरदा) के लोग हैं या कारखाने से बाहर आए लोग हैं. घटना के वक्त कारखाने के अंदर कितने लोग थे, इसका पता नहीं चल पाया है.' उन्होंने कहा कि विस्फोट की भयावहता इससे पता चलती है कि कारखाने में हजारों किलोग्राम विस्फोटक रखे हुए थे. उन्होंने आरोप लगाया, 'यह त्रासदी बताती है कि मध्य प्रदेश में बारूद माफिया भी सक्रिय है.'

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