Madhya Pradesh News: कोविड काल में हुई झोलाछाप डॉक्टरों की नियुक्ति के आरोपों के मामले में हाईकोर्ट सख्त हुआ है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने झोलाछाप की नियुक्ति के आरोप पर राज्य शासन सहित अन्य को जवाब के लिए चार सप्ताह की अंतिम मोहलत दे दी है. मामला कोविड काल में मरीजों की जान से खिलवाड़ के आरोप से संबंधित है.
ये है मामला
जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी दिनेश प्रीत व ऋषिकेश सराफ की ओर से अधिवक्ता परितोष गुप्ता ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि जिन दिनों कोविड जैसी महमारी से दुनिया भयाक्रांत थी, तब जबलपुर में एक गजब हुआ था.
कोविड महामारी के प्रभावी प्रबंधन हेतु राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन भोपाल ,मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर ने शुभम अवस्थी, रामकुमार चौधरी, संतोष कुमार मार्को सहित अन्य फर्जी डिग्री और बिना डिग्री के झोलाछाप डॉक्टरों के दस्तावेजों का सत्यापन किए बिना ही चिकित्सक के रूप में चयन कर लिया था.
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कोर्ट ने दिया ये निर्देश
इस पर अतिरिक्त महाधिवक्ता अमित सेठ ने जवाब प्रस्तुत करने के लिए अंतिम मोहलत दिए जाने का निवेदन किया. कोर्ट ने यह निवेदन मंजूर कर लिया. कोर्ट ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, रजिस्ट्रार, आयुर्वेद, यूनानी एवं प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड, प्रबंध निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, क्षेत्रीय निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, कलेक्टर जबलपुर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जबलपुर और जिला कार्यक्रम प्रबंधक जबलपुर को चार सप्ताह के भीतर जबाव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.
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