
Union Carbide Waste: MP हाई कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटारे को लेकर गठित एक्सपर्ट कमेटी की कार्यप्रणाली और जवाबों पर कड़ा असंतोष जताया है. कोर्ट ने सभी एक्सपर्ट सदस्यों को पूर्व में पूछे गए सवालों के विस्तृत व सटीक उत्तर के साथ अगली सुनवाई में उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं. अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी.
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कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि “एक्सपर्ट आप हैं या ये लोग?
रिपोर्ट के मुताबिक हाई कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता हरप्रीत सिंह रूपराह से यह पूछकर आश्चर्य जताया कि “एक्सपर्ट आप हैं या ये लोग? एक्सपर्ट को आप कैसे तैयार करेंगे?” रूपराह ने समिति को अगले अवसर तक तैयार करने का भरोसा दिया था, जिस पर कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
क्या थे हाई कोर्ट के वो तीन सवाल
1. जहरीले कचरे में शामिल हेवी मेटल व मरकरी के प्रभावों को लेकर विशेषज्ञों की क्या राय है?
2. इतनी गंभीर प्रकृति के कचरे के निस्तारण के लिए ऐसी साइट क्यों चुनी गई, जो रिहायशी क्षेत्र के निकट है?
3. कचरा नष्ट करने की प्रक्रिया में जनस्वास्थ्य और पर्यावरण पर संभावित नुकसान की अनदेखी क्यों की गई?
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पूर्व सुनवाई में दी गई ये जानकारी
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ व खालिद नूर फखरुद्दीन ने कोर्ट को अवगत कराया था कि पूर्ववर्ती सुनवाई में राज्य शासन ने एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें कहा गया था कि यूनियन कार्बाइड के कचरे का सफलतापूर्वक पीथमपुर स्थित सुविधा केंद्र में तकनीकी विशेषज्ञों की निगरानी में निपटारा कर दिया गया है.
850 मीट्रिक टन राख व अवशेष एकत्रित हुए
पूर्ववर्ती सुनवाई में हाई कोर्ट की गई जानकारी के मुताबिक करीब 850 मीट्रिक टन राख व अवशेष एकत्रित हुए हैं, जिन्हें एमपी-पीसीबी की मंजूरी के बाद पृथक लैंडफिल सेल में नष्ट किया जाना है. कोर्ट ने उस रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था.
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रेडियोधर्मी अवशेषों को लेकर नई चिंता
इस बीच कोर्ट में दाखिल एक नई जनहित याचिका में यह दावा किया गया है कि यूनियन कार्बाइड की राख में रेडियोधर्मी तत्व सक्रिय हैं, जो जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हो सकते हैं. कोर्ट ने इस मुद्दे को भी मूल याचिका के साथ जोड़ते हुए अगली सुनवाई में सभी पहलुओं पर विचार करने की व्यवस्था दी है.