
Jabalpur Central Jail News: 5250 वर्ष पूर्व द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म (Birth of Lord Shri Krishna) एक कारागार में हुआ था, ठीक वैसा ही नजारा जबलपुर सेंट्रल जेल (Jabalpur Central Jail) में देखने को मिला. जबलपुर की नेताजी सुभाषचंद्र बोस सेंट्रल जेल में इन दिनों श्रीमद् भागवत (Srimad Bhagwat) पुराण का आयोजन सिंधी समाज द्वारा कराया जा रहा हैं. इस आयोजन का उद्देश्य यह है कि कैदी अपनी गलतियों का पश्चताप कर समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें और उनमें सकारात्मकता का संचार हो सके.

Jabalpur News: जेल के अंदर कृष्ण जन्मोत्सव के दृश्य
श्री कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान झूम उठे कैदी
इस आयोजन से जेल में मौजूद कैदियों के बीच भी हर्ष-उल्लास का माहौल देखने को मिल रहा है. स्वामी अशोकानंद महाराज पूरे विधि विधान के साथ भागवत सुना रहे हैं. जेल में श्री कृष्ण जन्म प्रसंग के अवसर पर जब नन्हे कृष्ण नंद बाबा की टोकरी में कैदियों के बीच से निकले तो बंदी भी अपने जीवन में हुए पाप को भूल कर कृष्ण लीला में डूब गए.

Jabalpur News: जेल के अंदर कृष्ण जन्मोत्सव के दृश्य
कैदियों पर दिख रहा सकारात्मक असर
जेल के अंदर श्रीमद् भागवत पुराण का आयोजन पहली बार हो रहा है. मौजूदा समय में जेल में अपनी सजा काट रहे कैदियों से चर्चा करने से इस भागवत पुराण के आयोजन की वजह से उन पर बहुत सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है और वह सब साथ-मिलकर नाच-गाकर एक साथ इस श्रीमद् भागवत पुराण का आनंद उठा रहे हैं. आजीवन कैद की सजा काट रहे नन्हे ने बताया कि बचपन मे माँ के साथ भागवत सुनी थी यदि उसी समय समझ आ जाती तो अपराध न होता, अब सुन कर किए पर पश्चताप हो रहा है.

Jabalpur News: जेल के अंदर कृष्ण जन्मोत्सव के दृश्य
जेल अधिकारियों ने संभाल रखा है मोर्चा
इतने सारे कैदियों के बीच भागवत का आयोजन करना एक कठिन कार्य है क्योंकि कैदी के साथ भागवत सुनने के लिए जेल आए बाहर से भी लोग आ रहे हैं इसलिए जेल की कठिन सुरक्षा व्यवस्था के बीच कैदियों को भागवत सुनना एक चैलेंज ही है. जेल अधिकारियों के प्रयासों के कारण ही इस तरह के कार्यक्रम बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित हो रहे हैं. इतने सारे कैदियों को संभालना, कार्यक्रमों का बेहद ही शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होना यह किसी अचम्म्भे से कम नहीं है.
भागवत कथा के आयोजक तारु खत्री बताते हैं कि एक कैदी अपनी किसी न किसी परिस्थितियों में तंग आकर कोई अपराध करता है और फिर वह जेल आता है. कई बंदी तात्कालिक स्थिति या क्रोध के कारण सजा पाए हैं, जो स्वाभाविक रूप से अपराधी नहीं होते. कई सारे बंदी तो निर्दोष ही परिस्थितियों बस सजा काट रहे होते हैं. इन सभी को मानसिक शांति के लिए इस कथा का आयोजन किया जा रहा है. जब वे अपनी सजा पूरी कर वापस समाज में पहुंचेंगे, तब वे एक अच्छे नागरिक की जिंदगी जी सके, इसी कारण हम लोगों ने यह आयोजन किया है. कई कैदियों का स्वभाव थोड़ा उग्र होता है, इसके बावजूद भी यहां पर सारे कार्यक्रम बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो रहे हैं.