MP High Court Decision : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि केवल राज्य सरकार के स्थाई कर्मचारी ही नहीं बल्कि सरकार के अधीन निगमों के स्थाई कर्मचारी भी इलाज की प्रतिपूर्ति (Reimbursement) पाने के हकदार हैं. यह आदेश जस्टिस विनय सराफ की एकलपीठ ने एक याचिका की सुनवाई के बाद दिया है. अदालत ने यह भी कहा है कि मप्र सिविल सर्विस (मेडिकल सेवा) के नियम 1958 की कंडिका 1(2) में यह स्पष्ट प्रावधान है कि मप्र शासन का कर्मचारी चाहे सेवा में हो, प्रतिनियुक्ति पर हो, अवकाश पर हो या फिर निलंबित हो, उन्हें यह लाभ दिया जाना चाहिए. अदालत ने आगे कहा कि ठेके पर रखे गए कर्मचारी, होमगार्ड, कन्टिनजेंसी और वर्कचार्ज कर्मचारी भी इस लाभ के हकदार हैं.
यह है मामला
दरअसल मप्र बीज एवं फॉर्म विकास निगम के कर्मचारी आनंद बारी ने याचिका दायर की थी. जिसमें यह कहा गया था कि कोरोना के दौरान उसे अपना इलाज प्राइवेट अस्पताल में कराना पड़ा था, जिसका करीब 1 लाख रुपए बिल बना था. इसके बाद निगम ने इस बिल की प्रतिपूर्ति करने से मना कर दिया था.
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6 फीसदी ब्याज सहित मूल राशि देने का आदेश
इस मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को इलाज में खर्च की मूल राशि के साथ 6 फीसदी ब्याज भी देने का आदेश दिया गया. याचिकाकर्ता की ओर से इस मामले में अधिवक्ता शाश्वत अवस्थी ने पक्ष रखा था.
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