
MP High Court News: जबलपुर हाईकोर्ट ने 500 करोड़ रुपये के चिटफंड घोटाले में संज्ञान लिया है. गहन जांच के लिए कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. इसके लिए संबंधित पक्षों को चार सप्ताह का समय दिया.यह मामला तब प्रकाश में आया जब भोपाल निवासी सौरभ गुप्ता ने जनहित याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने न्यायालय से इस गंभीर आर्थिक अनियमितता के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. अधिवक्ता रवींद्र गुप्ता ने याचिकाकर्ता की ओर से बहस करते हुए बताया कि मामला 2021 से लंबित है, और इस दौरान केंद्र और राज्य सरकारों सहित अन्य संबंधित संस्थाओं को नोटिस जारी किए जा चुके हैं.
ये टीमें भी कर सकती हैं जांचें..
मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ के समक्ष हुई. गुप्ता ने इस मामले की जटिलता को देखते हुए जांच को विशेष जांच दल (एसआईटी), विशेष कार्यबल (एसटीएफ), या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जैसी उच्चस्तरीय एजेंसियों से कराए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
बैंकिंग कानूनों का उल्लंघन हुआ है
याचिका में दावा किया गया है कि यह मामला 500 करोड़ रुपये से अधिक की सार्वजनिक जमा राशि से संबंधित अनियमितताओं से जुड़ा है, जिसमें निवेशकों के हितों के संरक्षण अधिनियम, भारतीय रिजर्व बैंक के विनियमों, बहु राज्य सहकारी समिति अधिनियम और बैंकिंग कानूनों का उल्लंघन हुआ है.
सात सहकारी समितियां संचालित हो रहीं थीं
बहस के दौरान कोर्ट को अवगत कराया गया कि 'सागा ग्रुप' के अंतर्गत सात सहकारी समितियां संचालित हो रही थीं, जिनमें स्वामी विवेकानंद मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी, लोनी अर्बन मल्टी स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसायटी, लस्टिनेस जनहित क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी, मानव कल्याण ऋण एवं बचत सहकारी समिति, श्री सरणेश्वर क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी, विश्वास क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी, और यशोदीप मल्टी अर्बन को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी शामिल हैं.
जांच की दिशा में प्रगति की जानकारी मांगी
इन समितियों को समीर अग्रवाल और चंदन गुप्ता नामक निदेशक नियंत्रित कर रहे थे. उन्होंने निवेशकों को बड़े मुनाफे का वादा करके अपनी ओर आकर्षित किया.लेकिन जब निवेश की परिपक्वता अवधि पूरी हो गई, तो निवेशकों को उनकी राशि वापस नहीं दी गई, जिससे निवेशकों को ठगा हुआ महसूस हुआ. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, पीड़ित निवेशकों ने भोपाल के पिपलानी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई.हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच की दिशा में प्रगति की जानकारी मांगी है, जिससे पीड़ितों को न्याय मिल सके.
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