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This Article is From Sep 15, 2023

छिंदवाड़ा में आज होगा पत्थर मारने का खूनी खेल, लोग करते हैं प्रेमी जोड़े को मारने का प्रायश्चित

सुबह चंडी माता की पूजा अर्चना कर पांढुरना के ग्रामीण जाम नदी में पेड़ गाड़ते हैं उसमे एक झंडा बांधा जाता है. नदी के एक किनारे सावरगांव और दूसरे किनारे पर पांढुरना के लोग एक दूसरे पर जमकर पत्थर बाजी करते हैं. दोनो ही झंडा निकालने की होड़ में लगे रहते हैं. देर शाम तक खेल जारी रहता है. बड़ी बात है कि दोनो गांव के बीच खेले जाना वाले इस खेल के बाद यहां के लोग एक-दूसरे के प्रति कोई बुराई नही रखते.

छिंदवाड़ा में आज होगा पत्थर मारने का खूनी खेल, लोग करते हैं प्रेमी जोड़े को मारने का प्रायश्चित
इस खेल या परंपरा को लेकर उत्साह कम हो भी कैसे सकता है क्योंकि यहां बात किसी के प्रेम की है.किसी के प्रेम के सम्मान की है और प्रेमी जोड़ को मारने के पाप को धुलने की है
छिंदवाड़ा:

किसी को पत्थर मारने पर सजा होती है लेकिन छिंदवाड़ा के पांढुरना में आस्था और परंपरा के नाम आज पत्थर बाजी का खेल ही होने वाला है. दरअसल इस खेल में पांढुरना और सावरगांव के प्रेमी जोड़े की कहानी को लेकर दोनो गांव के लोग एक- दूसरे पर जमकर पत्थर बाजी करते हैं. इसमें कई लोग घायल होते हैं, लेकिन फिर लोगों का इस खेल के प्रति उत्साह कम नही हुआ है. 

इस खेल या परंपरा को लेकर उत्साह कम हो भी कैसे सकता है क्योंकि यहां बात किसी के प्रेम की है. प्रशासन इस खेल के प्रति लोगों का उत्साह कम करने के अन्य सांस्कृतिक आयोजन करवाता है लेकिन फिर भी लोगो का उत्साह इसके प्रति कम नही होता दिखता है, क्योंकि प्रेम के सम्मान से ऊपर कुछ नहीं होता.

आपको बताते है कि कैसे होता है ये खेल

सुबह चंडी माता की पूजा अर्चना कर पांढुरना के ग्रामीण जाम नदी में पेड़ गाड़ते हैं उसमे एक झंडा बांधा जाता है. नदी के एक किनारे सावरगांव और दूसरे किनारे पर पांढुरना के लोग एक दूसरे पर जमकर पत्थर बाजी करते हैं. दोनो ही झंडा निकालने की होड़ में लगे रहते हैं. देर शाम तक खेल जारी रहता है. बड़ी बात है कि दोनो गांव के बीच खेले जाना वाले इस खेल के बाद यहां के लोग एक-दूसरे के प्रति कोई बुराई नही रखते.

खेल के पीछे है दुखद कहानी

पांढुरना में हर साल पत्थर बरसाने के इस खूनी खेल के पीछे एक दुखद प्रेम कहानी है, जिसका अंत खून से हुआ था, उसी की याद में यह खूनी खेल पांढुरना में खेला जाता है. मान्यता है कि सालों पहले पांढुरना के एक युवक को सांवरगांव की लडक़ी से प्रेम हो गया था, लेकिन यह प्रेम कहानी उनके परिवार वालों को रास नहीं आ रही थी, दोनों ही परिवार शादी के लिए राजी नहीं थे, कहा जाता है कि अक्सर सच्चा प्रेम मिला नहीं करता, किसी ना किसी की नजर लग ही जाती है ऐसा यहां भी हुआ, जब कोई रास्ता नहीं दिखा तो आधी रात को युवक अपनी प्रेमिका के घर गया और उसे अपने साथ लेकर आ गया.

हमारे देश में प्रेम को लेकर कई रोचक किस्से कहानियां हैं लेकिन ये कहानी और इस कहानी से स्थानीय लोगों का आज तक जुड़ा होना बड़ा ही अनोखा है. सच ही कहा गया है प्रेम से प्यारा और अनमोल कुछ भी नहीं होता. यहां के कुछ लोगों का कहना है कि काश सबको उनका प्यार मिल जाता तो कोई भी दर्दनाक या बुरी कहानी नहीं होती और ना ही इस तरह की परंपरा से प्रायश्चित की जरूरत होती.

प्रेम से बड़ा कुछ नहीं होता

प्रेम करने वाले के लिए बस प्रेम ही सब कुछ होता है, जब कोई प्रेम में होता है तो उसके लिए अपने प्रेमी साथी को पाना, उसको खुश रखना, उसके बारे में सोचना, हमेशा उसके ख्याल में रहना ही पहला ध्येय बन जाता है. यहां भी ऐसा ही था दोनों बस किसी भी तरह एक होना चाहते थे लेकिन इस जालिम दुनिया को ये कहां मंजूर था.
दोनों प्रेमी प्रेमिका जब जाम नदी के पास पहुंचे तो दोनों के परिवार वालों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया. इस प्रेमी जोड़े के ऊपर दोनों ही तरफ से पत्थर बरसने लगे. ऐसे में दोनों की यहां दर्दनाक मौत हो गई. दोनों जिंदा रहकर ना सही मरकर एक हो ही गए.

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 करते हैं प्रायश्चित

इसी बात का प्रायश्चित यहां पर आज भी जारी है, तथा लोग यहां पत्थर बरसाकर एक दूसरे का खून बहाते रहते हैं. अब तक दर्जनों लोगों की मौत इस खूनी गोटमार में हो चुकी है लेकिन प्रेमी जोड़े को मारने का प्रायश्चित आज भी पूरा नहीं हो पाया है और शायद कभी हो भी ना. है ना प्रेम की गजब कहानी और इन दोनों गांव वालों का प्रायश्चित करने का तरीका भी अजब है.

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