
MP NEWS: जबलपुर शहर में महीनों से बंद पड़े ट्रैफिक सिग्नल और बिगड़ी यातायात व्यवस्था के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है.
नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉ. पी.जी. नाजपांडे और रजत भार्गव की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने राज्य सरकार, कलेक्टर, एसपी, डीएसपी ट्रैफिक, नगर निगम और स्मार्ट सिटी लिमिटेड को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.
याचिका में कहा गया है कि शहर के ज्यादातर ट्रैफिक सिग्नल लंबे समय से बंद हैं, जिससे यातायात व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है. कई चौराहों पर तो दिन में कई बार जाम की स्थिति बनती है. याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि सिग्नल पर लगे सीसीटीवी कैमरे भी बंद हैं, जिससे ई-चालान की प्रक्रिया ठप पड़ी है और शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है.
शहर में ट्रैफिक व्यवस्था की जिम्मेदारी तीन अलग-अलग एजेंसियों — नगर निगम, स्मार्ट सिटी और ट्रैफिक पुलिस — पर है, लेकिन तीनों एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं. न तो सिग्नल सुधारने की कोई ठोस योजना सामने आई है और न ही कोई तकनीकी सर्वे कराया गया है. ब्लूम चौक जैसे प्रमुख चौराहों पर रोज 10-15 मिनट का ट्रैफिक जाम आम हो गया है.
कोर्ट ने सभी संबंधित विभागों से यह स्पष्ट करने को कहा है कि अब तक क्या प्रयास किए गए हैं और आगे क्या कदम उठाए जाएंगे. हाईकोर्ट ने यह भी संकेत दिए हैं कि अगर स्थिति में सुधार नहीं होता तो अदालत सख्त निर्देश जारी कर सकती है।
अब सबकी निगाहें 28 जुलाई की सुनवाई पर टिकी हैं, जब सरकार और अफसरों को अदालत को यह बताना होगा कि उन्होंने जबलपुर के नागरिकों को ट्रैफिक अव्यवस्था से राहत दिलाने के लिए क्या किया है.